back to top
HomeGeopoliticsक्या म्यांमार ने Coco Islands को लेकर भारत से बोला झूठ? कहा-...

क्या म्यांमार ने Coco Islands को लेकर भारत से बोला झूठ? कहा- नहीं हैं चीनी सैनिक, नौसेना के लिए क्यों है चिंता की बात, पढ़ें एक्सप्लेनर

भारत की मुख्य चिंता यह है कि म्यांमार के इन द्वीपों पर चीन ने सर्विलांस और सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT) इक्विपमेंट्स तैनात किए हैं। माना जाता है कि यह सेंटर भारत के बालासोर मिसाइल परीक्षण रेंज और रामबिल्ली नौसैनिक अड्डे की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं...

रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US
Read Time 0.20 mintue

📍नई दिल्ली | 10 Oct, 2025, 11:47 AM

Coco Islands: भारत और म्यांमार के बीच डिफेंस डॉयलॉग के दौरान यंगून स्थित जुंटा सरकार ने भारत को भरोसा दिलाया है कि बंगाल की खाड़ी में स्थित कोको द्वीपों पर कोई भी चीनी नागरिक या सैनिक मौजूद नहीं है। यह बयान तब आया जब भारत ने पिछले कई महीनों से इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों को लेकर चिंता जताई थी।

म्यांमार की यह सफाई ऐसे समय में आई है जब सैटेलाइट इमेजरी में कोको द्वीपों पर नए निर्माण, लंबे रनवे और कम्यूनिकशन इक्विपमेंट्स की तैनाती देखी गई है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यह क्षेत्र चीन की समुद्री निगरानी रणनीति का हिस्सा बन सकता है।

INS Androth in Indian Navy: भारतीय नौसेना में शामिल हुआ दूसरा एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट, 14 और जहाज कमीशनिंग के लिए कतार में

Coco Islands: भारतीय नौसेना को दौरे की नहीं मिली अनुमति

भारत ने कोको द्वीपों का निरीक्षण करने के लिए म्यांमार सरकार से औपचारिक अनुमति मांगी थी। सूत्रों के मुताबिक, भारतीय नौसेना ने “फ्रेंडली विजिट” के तहत वहां एक प्रतिनिधिमंडल भेजने का अनुरोध किया था, लेकिन अब तक जंटा शासन की ओर से कोई मंजूरी नहीं दी गई है।

भारतीय रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने 25 से 27 सितंबर के बीच म्यांमार की यात्रा की थी और वहीं यह मुद्दा उठाया था। यह उनका दूसरा सालाना डिफेंस डॉयलॉग था, जिसमें म्यांमार के सशस्त्र बलों के ट्रेनिंग चीफ मेजर जनरल क्याव को हटिके भी शामिल थे। हालांकि म्यांमार ने यह दोहराया कि “कोको द्वीपों पर एक भी चीनी नागरिक नहीं है,” लेकिन भारत को दौरे की इजाजत न मिलने से संदेह पैदा हो गया है।

Coco Islands: भारत की चिंता: सर्विलांस सेंटर बना सकता है चीन

भारत की मुख्य चिंता यह है कि म्यांमार के इन द्वीपों पर चीन ने सर्विलांस और सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT) इक्विपमेंट्स तैनात किए हैं। माना जाता है कि यह सेंटर भारत के बालासोर मिसाइल परीक्षण रेंज और रामबिल्ली नौसैनिक अड्डे की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

बालासोर और एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप (ओडिशा) जहां भारत अपने बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण करता है, कोको द्वीपों के लगभग समान अक्षांश यानी लेटिट्यूड पर स्थित हैं। रणनीतिक जानकारों का कहना है कि चीन इस इलाके का इस्तेमाल भारतीय परमाणु पनडुब्बियों और मिसाइल परीक्षणों को ट्रैक करने के लिए कर सकता है।

Coco Islands: क्या है इसका रणनीतिक महत्व

कोको द्वीप बंगाल की खाड़ी में स्थित एक छोटा लेकिन रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण द्वीप समूह है। वहीं इनकी दूरी म्यांमार के मुख्य भूमि से करीब 414 किमी दक्षिण में है। जबकि भारत के अंडमान-निकोबार द्वीप समूह से मात्र 55 किलोमीटर दूर है। यह इलाका भारत के अंडमान और निकोबार के भी नजदीक है, जहां भारत का एकमात्र ट्राई-सर्विसेज थिएटर कमांड है और जो हिंद महासागर में भारत की सैन्य मौजूदगी का प्रमुख केंद्र है।

यह भी पढ़ें:  Indus Waters Treaty: सिंधु जल समझौते के निलंबन को पाकिस्तान ने बताया 'जल युद्ध', अफगानिस्तान का साथ मिला तो प्यासे मरेंगे आतंकी

यह द्वीप दो प्रमुख हिस्सों में बंटा है ग्रेट कोको और लिटिल कोको। यहां के रनवे को हाल ही में बढ़ाकर 2,300 मीटर किया गया है, जिससे अब यहां ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट उतर सकते हैं।

ब्रिटिश शासन के दौरान भारत का हिस्सा थे Coco Islands

ब्रिटिश शासन के दौरान कोको द्वीप भारत का हिस्सा था। 1948 में म्यांमार की आजादी के बाद ये द्वीप उसके कंट्रोल में आ गए। 1962 के म्यांमार के सैन्य तख्तापलट के बाद, ग्रेट कोको पर एक जेल कॉलोनी बनी, जो 1971 में बंद हो गई। उसके बाद ये म्यांमार नेवी के कब्जे में आ गए।

1990 के दशक में जापानी मीडिया ने रिपोर्ट किया कि चीन म्यांमार को यहां सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में मदद कर रहा है। 1994 में अफवाहें फैलीं कि म्यांमार ने यह द्वीप चीन को 30 साल की लीज पर दे दिया है, ताकि वह यहां रडार और सर्विलांस केंद्र स्थापित कर सके। हालांकि म्यांमार और चीन दोनों ने इससे इनकार किया।

Coco Islands: 2005 में भारत ने किया था दौरा

भारत ने 2005 में तत्कालीन भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने कोको द्वीप (Coco Islands) का दौरा किया था। उनके दौरे का मकसद उन अफवाहों की जांच करना था, जिनमें कहा जा रहा था कि चीन ने कोको द्वीप पर सैन्य या सिग्नल इंटेलिजेंस बेस स्थापित किया है। दौरे के बाद, एडमिरल अरुण प्रकाश ने सार्वजनिक रूप से कहा कि कोको द्वीप पर कोई चीनी सैन्य मौजूदगी नहीं है। उन्होंने इन अफवाहों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि द्वीप पर केवल म्यांमार की नौसेना की सीमित सुविधाएं हैं, और वहां कोई विदेशी सैन्य गतिविधि या बेस नहीं देखा गया। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कोको द्वीप की सामरिक स्थिति भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के करीब है।

Coco Islands: सैटेलाइट तस्वीरों ने बढ़ाई चिंता

2023 से लेकर अब तक कई अंतरराष्ट्रीय सैटेलाइट एजेंसियों जैसे मैक्सार और प्लैनेट लैब्स की तस्वीरों में कोको द्वीपों (Coco Islands) पर नए निर्माण दिखाई दिए हैं। इनमें रनवे विस्तार, हैंगर, बैरक और नई सड़कों का निर्माण शामिल है। खुफिया सूत्रों के अनुसार, यहां अब लगभग 1,500 सैन्यकर्मी तैनात हैं और पास के जेरी आइसलैंड से जुड़ने के लिए एक कॉजवे का निर्माण हो रहा है। इन सभी गतिविधियों ने भारत के साथ-साथ अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे इंडो-पैसिफिक सहयोगी देशों की चिंता बढ़ा दी हैं।

यह भी पढ़ें:  Permanent Commission for Woman: सुप्रीम कोर्ट ने नौसेना को लगाई फटकार, 'अहंकार छोड़ें, महिला अधिकारी को दें परमानेंट कमीशन'

देखें: गूगल मैप्स में पूरा कोको आइसलैंड 

Coco Islands: भारत की रणनीतिक तैयारी

भारत ने हाल के सालों में अंडमान-निकोबार में अपनी सैन्य मौजूदगी को मजबूत किया है। यहां नौसेना के जहाजों के लिए नया डॉकयार्ड, एयरबेस और मिसाइल सिस्टम तैयार किए जा रहे हैं। इसके अलावा, भारत ने म्यांमार के साथ द्विपक्षीय रक्षा संवाद को तेज किया है ताकि चीन के प्रभाव को सीमित किया जा सके। वहीं क्वाड देशों भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने भी हिंद महासागर में समुद्री निगरानी बढ़ाने का फैसला किया है।

चीन पर निर्भर म्यांमार

2023 की चैथम हाउस की रिपोर्ट कहती है कि 2021 में म्यांमार में सेना के तख्तापलट के बाद से वहां की जुंटा सरकार अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के चलते चीन पर और अधिक निर्भर हो गई है। चीन न सिर्फ म्यांमार का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, बल्कि उसकी सैन्य तकनीक और हथियारों का भी मुख्य स्रोत है। भारत को यह डर है कि इस निर्भरता के चलते म्यांमार चीन को अपने सामरिक ठिकानों तक पहुंच दे सकता है। वहीं, बीजिंग लगातार यह कहता रहा है कि “चीन की कोई सैन्य मौजूदगी कोको द्वीपों (Coco Islands) में नहीं है।”

Coco Islands Chinese Presence
Coco Islands Chinese Presence (Pic: Google Earth)

क्या कहती हैं भारत की इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स

भारतीय खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोको द्वीपों (Coco Islands) पर लगे नए रडार और एंटीना सिस्टम 1,000 किलोमीटर तक की दूरी तक सिग्नल ट्रैक कर सकते हैं। इसका सीधा असर भारत की सामरिक गोपनीयता पर पड़ सकता है। इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन इन द्वीपों से हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की गतिविधियों की निगरानी करता है, खासकर जब परमाणु-संचालित पनडुब्बियां रामबिल्ली नेवल बेस से निकलती हैं।

रामबिल्ली आंध्र प्रदेश का एक छोटा तटीय गांव है, यह भारत का पहला समर्पित न्यूक्लियर सबमरीन बेस है, जो न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन (SSBN) और न्यूक्लियर अटैक सबमरीन (SSN) के लिए बनाया गया है। यह भारत की “सी-बेस्ड न्यूक्लियर डिटरेंट” (समुद्री-आधारित परमाणु प्रतिरोध) को मजबूत करेगा। यह भारतीय नौसेना के ईस्टर्न नेवल कमांड का हिस्सा है। यह नौसेना का सबसे सुरक्षित और आधुनिक सबमरीन बेस है, जो मुख्य रूप से न्यूक्लियर-पावर्ड सबमरीनों के लिए डिजाइन किया गया है। यह विशाखापत्तनम बंदरगाह को डीकंजेस्ट करने के लिए बनाया गया है, जहां नौसेना और सिविल शिपिंग दोनों का उपयोग होता है। इसका निर्माण लगभग पूरा हो चुका है और 2026 में कमीशनिंग की उम्मीद है। यहां कालवरी-क्लास सबमरीनों जैसे आईएनएस अरिहंत भी डॉक की जा सकेंगी।

यह भी पढ़ें:  MQ-9B SeaGuardian: भारतीय नौसेना को मिला नया अमेरिकी ड्रोन, सी गार्डियन के क्रैश होने के बाद General Atomics ने दी रिप्लेसमेंट

यहां डिस्ट्रॉयर और फ्रिगेट के अलावा 8 से 12 न्यूक्लियर सबमरीन रखी जा सकेंगी। इसमें वेरी लो फ्रिक्वेंसी संचार प्रणाली, डीमैग्नेटाइजेशन (पनडुब्बियों को चुंबकीय रूप से न्यूट्रलाइज करने) की सुविधा और हाई-सिक्योरिटी शेल्टर्स हैं। यह यह चीनी हैनान द्वीप के न्यूक्लियर बेस जैसा है, जिसे “लुक ईस्ट पॉलिसी” के तहत बनाया गया, जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की विस्तारवादी गतिविधियों का जवाब है। यह बंगाल की खाड़ी में भारत की पावर प्रोजेक्शन बढ़ाएगा।

म्यांमार ने दिया ये आधिकारिक बयान

हाल ही में म्यांमार के विदेश मंत्रालय ने कहा, “कोको द्वीप (Coco Islands) पर केवल हमारे सैनिक हैं, कोई विदेशी नहीं।” यंगून ने यह भी कहा कि द्वीप पर हो रहा विकास कार्य पूरी तरह नागरिक उद्देश्य के लिए है। हालांकि, भारतीय अधिकारियों का मानना है कि खासकर चिंदविन नदी के पार वाले क्षेत्रों में म्यांमार सरकार का नियंत्रण देश के उत्तरी और पश्चिमी हिस्सों में कमजोर है, वहां चीन समर्थित सशस्त्र समूहों का प्रभाव अधिक है।

इंडो-पैसिफिक पर क्या पड़ेगा असर

वहीं, कोको द्वीपों (Coco Islands) का मामला केवल भारत-म्यांमार तक सीमित नहीं है। यह पूरे इंडो-पैसिफिक सुरक्षा ढांचे से जुड़ा मुद्दा है। यह इलाका मलक्का जलडमरूमध्य (स्ट्रैट ऑफ मलक्का) के पास स्थित है, जिससे होकर दुनिया के 25 फीसदी समुद्री व्यापारिक जहाज गुजरते हैं। अगर चीन यहां अपनी स्थायी उपस्थिति बनाता है, तो वह हिंद महासागर में सामरिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है।

Author

  • Harendra Chaudhary

    हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवादों, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।📍 Location: New Delhi, in 🎯 Area of Expertise: Defence, Diplomacy, National Security

रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US
हरेंद्र चौधरी
हरेंद्र चौधरी
हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवादों, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।📍 Location: New Delhi, in 🎯 Area of Expertise: Defence, Diplomacy, National Security

Most Popular

Share on WhatsApp