📍नई दिल्ली | 12 hours ago
Explained NSAB: 30 अप्रैल 2025 को भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) का पुनर्गठन कर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। इस बोर्ड के नए अध्यक्ष के रूप में पूर्व रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) प्रमुख अलोक जोशी को नियुक्त किया गया है। सात सदस्यीय इस बोर्ड में तीन सैन्य सेवानिवृत्त अधिकारी, दो भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के सेवानिवृत्त अधिकारी, और एक भारतीय विदेश सेवा (IFS) का सेवानिवृत्त अधिकारी शामिल हैं। इस बोर्ड के पुनर्गठन का समय बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।
Explained NSAB: क्या है और क्या करता है?
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (National Security Advisory Board – NSAB) भारत की सुरक्षा से जुड़ा एक बहुत महत्वपूर्ण समूह है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) को सलाह देता है, जिसके प्रमुख खुद प्रधानमंत्री होते हैं। NSC देश की सुरक्षा और विदेश नीति के बड़े फैसले लेता है, और NSAB उसे लंबे समय तक चलने वाली योजनाएं और सुझाव देता है। इस बोर्ड का काम है कि यह आतंकवाद, सीमा की सुरक्षा, साइबर खतरों और पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों जैसे मुद्दों पर सरकार को रास्ता दिखाए।
NSAB की शुरुआत 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने की थी। इसमें आमतौर पर सेना, खुफिया एजेंसी, पुलिस और विदेश सेवा के रिटायर्ड विशेषज्ञ शामिल होते हैं। यह बोर्ड सरकार से थोड़ा अलग काम करता है, ताकि वह निष्पक्ष और भविष्य को ध्यान में रखकर सलाह दे सके। उदाहरण के लिए, 2001 में NSAB ने भारत की परमाणु नीति बनाई थी और 2002 में रक्षा से जुड़े बड़े दस्तावेज तैयार किए थे।
Explained NSAB: सात लोगों का नया बोर्ड बनाया
इस बार सरकार ने NSAB को और मजबूत करने के लिए सात लोगों का नया बोर्ड बनाया है। इसका नेतृत्व अलोक जोशी कर रहे हैं, जो R&AW के पूर्व प्रमुख हैं। जोशी ने अपने करियर में कई बड़े खुफिया ऑपरेशन को अंजाम दिया है, और उनकी नियुक्ति से भारत की खुफिया और बाहरी सुरक्षा को नई ताकत मिलेगी। जोशी गहरी रणनीतिक सोच और कूटनीतिक समझ रखते हैं। साथ ही, भारत की विदेश नीति और खुफिया रणनीति को लेकर लंबा अनुभव है।

बोर्ड के बाकी छह सदस्य इस प्रकार हैं:
- एयर मार्शल पी.एम. सिन्हा (रिटायर्ड) वायुसेना के वेस्टर्न एयर कमांड के पूर्व प्रमुख रहे हैं, जो वायुसेना की ताकत और एयर स्ट्रैटेजी में विशेषज्ञता रखते हैं।
- लेफ्टिनेंट जनरल ए.के. सिंह (रिटायर्ड) थलसेना के साउदर्न आर्मी कमांडर के रूप में सेवा दे चुके हैं, और थल सेना के रणनीतिक अभियानों में लंबा अनुभव है।
- रियर एडमिरल मॉन्टी खन्ना (रिटायर्ड) नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी हैं, जो समुद्री सुरक्षा व हिंद महासागर क्षेत्र की रणनीति के जानकार हैं।
- राजीव रंजन वर्मा (रिटायर्ड IPS) पुलिस के पूर्व अधिकारी हैं और रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के पूर्व महानिदेशक भी रहे हैं। उन्हें आंतरिक सुरक्षा और लॉ एंड ऑर्डर का लंबा अनुभव है।
- मनमोहन सिंह (रिटायर्ड IPS) सशस्त्र सीमा बल (SSB) के पूर्व महानिदेशक रह चुके हैं। साथ ही, वे भारत-नेपाल और भारत-भूटान सीमा सुरक्षा के विशेषज्ञ भी हैं।
- बी. वेंकटेश वर्मा (रिटायर्ड IFS) पूर्व राजनयिक हैं, रूस में पूर्व राजदूत रह चुके हैं। उनका रक्षा और परमाणु कूटनीति में विशेष योगदान रहा है।
इस बोर्ड में सेना, पुलिस और विदेश सेवा के लोग शामिल हैं, जो इसे हर तरह की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाएगा। यह बोर्ड आतंकवाद, साइबर हमले और पड़ोसी देशों के साथ तनाव जैसे मुद्दों पर एक साथ काम करेगा।
🚨 National Security Revamp
The Centre has reconstituted the National Security Advisory Board (NSAB), appointing ex-RAW Chief Alok Joshi as its head.
New members include:
🔹 3 ex-armed forces officers – Air Marshal P.M. Sinha, Lt Gen A.K. Singh, Rear Admiral Monty Khanna
🔹 2…— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) April 30, 2025
Explained NSAB: क्यों हुआ यह पुनर्गठन?
NSAB का नया स्वरूप ऐसे समय में सामने आया है, जब भारत को कई तरह की सुरक्षा समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि यह सीमा पार से आतंकवाद का हिस्सा है। इसके बाद भारत ने इंडस वाटर ट्रीटी को रोक लगा दी, सीमा पर सैनिकों की संख्या बढ़ा दी और पाकिस्तान के साथ हवाई यात्रा और व्यापार पर पाबंदी लगा दी। इसके अलावा साइबर हमले और हाइब्रिड वॉर का खतरा भी बढ़ रहा है। ऐसे में भारत को एक ऐसे रणनीतिक सलाहकार ढांचे की जरूरत थी जो केवल कागजी न रहकर जमीनी, खुफिया, तकनीकी और कूटनीतिक मोर्चों पर सरकार की मदद कर सके।
इन सभी घटनाओं के बीच, NSAB का पुनर्गठन भारत की सुरक्षा को और मजबूत करने का एक जरूरी कदम है। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक के बाद लिया गया, जिसमें आतंकवाद और सीमा सुरक्षा पर गहन चर्चा हुई थी।
NSAB के पुनर्गठन से क्या फायदे होंगे?
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) आतंकवाद, उग्रवाद, साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा, परमाणु नीति, विदेश नीति में रणनीति, सैन्य आधुनिकीकरण, सीमा प्रबंधन, और रक्षा अनुसंधान व विकास पर सलाह देता है। यह भारत की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए दीर्घकालिक रणनीतियां बनाता है।
NSAB का नया स्वरूप भारत की सुरक्षा को कई तरह से मजबूत करेगा। यह बोर्ड देश को मौजूदा और भविष्य की चुनौतियों से निपटने में मदद करेगा। नए बोर्ड में हर क्षेत्र के विशेषज्ञ एक साथ हैं। इसमें सेना, पुलिस, खुफिया और विदेश सेवा के अनुभवी लोग हैं। नए बोर्ड को हर तरह की समस्या को अलग-अलग नजरिए से देखने और हल करने की ताकत मिलेगी। मिसाल के तौर पर, अलोक जोशी खुफिया जानकारी जुटाने और आतंकवाद से निपटने की योजना बनाएंगे। सैन्य अधिकारी युद्ध और रक्षा की रणनीति पर काम करेंगे, जबकि राजनयिक विदेश नीति को बेहतर बनाएंगे।
पहलगाम हमले ने दिखाया कि आतंकवाद अब भी भारत के लिए बड़ा खतरा है। NSAB का नया बोर्ड आतंकवाद के खिलाफ लंबे समय तक चलने वाली योजनाएं बनाएगा। यह बोर्ड सरकार को सलाह देगा कि पाकिस्तान से आने वाले आतंकवाद को कैसे रोका जाए, खुफिया जानकारी को कैसे बेहतर किया जाए और आतंकवादियों को पकड़ने के लिए क्या कदम उठाए जाएं।
पड़ोसी देशों के साथ तनाव से निपटने में भी यह बोर्ड मदद करेगा। NSAB का बोर्ड इन समस्याओं का गहराई से विश्लेषण करेगा और भारत को सैन्य और कूटनीतिक रणनीति सुझाएगा। मिसाल के तौर पर, अगर पाकिस्तान आतंकियों की मदद कर रहा है, तो बोर्ड भारत को जवाबी कदम उठाने की सलाह दे सकता है।
आज युद्ध सिर्फ बंदूक और टैंक से नहीं, बल्कि कंप्यूटर और ड्रोन से भी लड़ा जाता है। NSAB का नया बोर्ड साइबर हमलों, ड्रोन युद्ध और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे नए खतरों से निपटने की योजना बनाएगा। अलोक जोशी जैसे विशेषज्ञ साइबर खुफिया जानकारी को और मजबूत करेंगे, ताकि भारत के बैंक, बिजली ग्रिड और सरकारी सिस्टम सुरक्षित रहें।
NSAB के पुलिस अधिकारी, जैसे राजीव रंजन वर्मा और मनमोहन सिंह, देश की पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को बेहतर बनाने की सलाह देंगे। यह बोर्ड केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सुरक्षा को लेकर तालमेल बढ़ाने में भी मदद करेगा।
इसके अलावा NSAB का बोर्ड भारत को दुनिया के मंच पर और मजबूत बनाएगा। यह संयुक्त राष्ट्र और अन्य जगहों पर भारत की सुरक्षा नीतियों को सही तरीके से पेश करने की रणनीति बनाएगा। मिसाल के तौर पर, यह बोर्ड पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन को दुनिया के सामने लाने के लिए ठोस सबूत और रास्ते सुझा सकता है।
NSAB का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह भविष्य को ध्यान में रखकर योजनाएं बनाता है। यह बोर्ड अगले 10-20 साल में भारत को किन खतरों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी या पड़ोसी देशों की नीतियां, इन पर सलाह देगा। इससे भारत पहले से तैयार रहेगा।
क्यों जरूरी था बदलाव?
2020 के बाद भारत ने देखा कि चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर तनाव बढ़ा है। साइबर हमले और हाइब्रिड वॉर का खतरा भी गहराया है। ऐसे में भारत को एक ऐसे रणनीतिक सलाहकार ढांचे की जरूरत थी जो केवल कागज़ी न रहकर जमीनी, खुफिया, तकनीकी और कूटनीतिक मोर्चों पर सरकार की मदद कर सके।
अजीत डोभाल को करता है रिपोर्ट
NSAB सीधे तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल को रिपोर्ट करता है। इसका फीडबैक प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को जाता है। इसका काम है नीतिगत सिफारिशें तैयार करना, जिन पर राष्ट्रीय स्तर पर फैसले लिए जा सकते हैं।
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क्यों भारत के लिए है Gamechange?
भारत आज जिस जियोपॉलिटिकल टकराव के दौर से गुजर रहा है, उसमें NSAB जैसे रणनीतिक सलाहकार बोर्ड का मजबूत और अनुभवी होना जरूरी है। RAW के पूर्व प्रमुख से लेकर सेना और विदेश सेवा के दिग्गजों की मौजूदगी यह सुनिश्चित करेगी कि भारत की सुरक्षा नीतियां व्यापक, व्यावहारिक और भविष्य के प्रति सोच रखते हों। यह बोर्ड न सिर्फ सरकार को सही सलाह देगा, बल्कि भारत की रणनीतिक तैयारी और प्रतिक्रिया क्षमता को भी सुदृढ़ करेगा। बदलते वैश्विक समीकरणों में यह बदलाव भारत के लिए “रणनीतिक आत्मनिर्भरता” की दिशा में एक अहम कदम है।