📍नई दिल्ली | 11 Sep, 2025, 1:58 PM
Zorawar Tank ATGM Test: भारत अपनी रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रहा है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन और लार्सन एंड टुब्रो राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में जोरावर लाइट टैंक से स्वदेशी एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) का ट्रायल करने की तैयारी कर रहे हैं। यह ट्रायल्स न सिर्फ मिसाइल की मारक क्षमता को परखने के लिए होगा, बल्कि इससे यह भी पता लगेगा कि जोरावर टैंक की हथियार प्रणाली और मिसाइल इंटीग्रेशन सही से काम कर रही है या नहीं।
इस ट्रायल को बेहद अहम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह ट्रायल्स जोरावर लाइट टैंक की रीयल वॉर कंडीशंस में क्षमता को साबित करेगा और भारतीय सेना की जरूरतों के मुताबिक इसे और प्रभावी बनाएगा। इस ट्रायल का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसमें मिसाइल को जोरावर टैंक के फायर-कंट्रोल सिस्टम के साथ इंटीग्रेट किया जाएगा।
जोरावर लाइट टैंक को खासतौर पर उन इलाकों के लिए तैयार किया गया है जहां भारी टैंक तैनात करना मुश्किल है। पूर्वी लद्दाख जैसे ऊंचाई और नदी-नालों वाले इलाकों में इस्तेमाल के लिए हल्के लेकिन ताकतवर टैंक की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी। डीआरडीओ की इकाई कॉम्बैट व्हीकल्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (CVRDE) और एलएंडटी का बनाया यह टैंक “मेक-वन” कैटेगरी के तहत बनाया गया है और इसका वजन लगभग 25 टन है।
इस टैंक में 105 मिमी की कॉकरिल गन लगी है, जिसमें अत्याधुनिक फायर-कंट्रोल और स्टेबिलाइजेशन सिस्टम मौजूद हैं। अब इसमें स्वदेशी एंटी-टैंक मिसाइल ATGM को शामिल करने से इसकी युद्ध क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। यह मिसाइल दुश्मन के भारी बख्तरबंद वाहनों और टैंकों को भी मार गिराएगी।
इस परीक्षण में मिसाइल के सीकर लॉक-ऑन समय, गाइडेंस एक्यूरेसी, उड़ान स्थिरता और कवच भेदने की क्षमता का परीक्षण किया जाएगा। रेगिस्तानी धूल और ऊंचे तापमान जैसी कठिन परिस्थितियों में ATGM के प्रदर्शन को परखना भी इस ट्रायल का अहम हिस्सा होगा। इसके अलावा, यह भी देखा जाएगा कि टैंक का फायर-कंट्रोल सिस्टम मिसाइल के साथ कितनी सहजता से काम करता है।
जोरावर लाइट टैंक को पूर्वी लद्दाख के इलाकों में तैनाती के लिए डिजाइन किया गया है। चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव की स्थिति में हल्के लेकिन ताकतवर टैंकों की जरूरत लगातार बनी रहती है। भारी टैंक को इन इलाकों में ऑपरेट करने में दिक्कत आती है। जबकि जोरावर जैसे लाइट टैंक ऊंचाई और मुश्किल इलाकों में भी प्रभावी ढंग से काम कर सकते हैं।