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Operation Sarp Vinash: 22 साल पहले में जम्मू की पहाड़ियों में चला था ऐतिहासिक मिलिट्री ऑपरेशन, अब लेफ्टिनेंट जनरल लिड्डर ने अपनी किताब में खोले राज

लेफ्टिनेंट जनरल लिड्डर ने बताया कि ऑपरेशन की योजना बेहद सावधानी से बनाई गई थी और इसका लक्ष्य आतंकवादियों को भागने का कोई रास्ता नहीं देना था। उन्होंने कहा कि आतंकियों की रणनीति हमेशा शूट एंड रन की होती है। इसे खत्म करने के लिए सेना ने ऑपरेशन को इस तरह डिजाइन किया कि आतंकवादी चारों ओर से घिर जाएं...

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📍नई दिल्ली | 4 Oct, 2025, 6:49 PM

Operation Sarp Vinash Book launch: इस साल सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खात्मे के लिए ऑपरेशन सर्प विनााश 2.0 चलाया था। लेकिन जम्मू–कश्मीर में आज से 22 साल पहले चलाए ऑपरेशन सर्प विनाश के बारे में कम ही लोग जानते हैं। उस ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के नेटवर्क को समूल नष्ट कर दिया था।

लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एचएस लिड्डर ने Operation Sarp Vinash Book launch अपनी नई किताब  “ऑपरेशन सर्प विनाश” में उस ऐतिहासिक सैन्य ऑपरेशन के बारे में विस्तार से बताया है। इस किताब में भारतीय सेना द्वारा 2003–04 में जम्मू-पुंछ के इलाकों में चलाए गए ऐतिहासिक आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन के कई अहम पहलुओं को पहली बार विस्तार से पेश किया है।

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लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) हरदेव सिंह लिड्डर ने बताया कि इस ऑपरेशन की योजना, क्रियान्वयन और परिणाम को समझे बिना आज की सुरक्षा चुनौतियों का आकलन अधूरा रहेगा। उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन भारतीय सेना के इतिहास में एक मील का पत्थर था, क्योंकि यह एक ऐसा अभियान था, जिसमें आतंकवादियों को उनके मजबूत बिलों से बाहर निकालकर आतंकवाद के फन को कुचला गया।

बताई ऑपरेशन की अंदरूनी रणनीति

लेफ्टिनेंट जनरल लिड्डर ने बताया कि ऑपरेशन की योजना बेहद सावधानी से बनाई गई थी और इसका लक्ष्य आतंकवादियों को भागने का कोई रास्ता नहीं देना था। उन्होंने कहा कि आतंकियों की रणनीति हमेशा शूट एंड रन की होती है। इसे खत्म करने के लिए सेना ने ऑपरेशन को इस तरह डिजाइन किया कि आतंकवादी चारों ओर से घिर जाएं।

लेफ्टिनेंट जनरल लिड्डर ने कहा कि ऑपरेशन से पहले ही इलाके को चारों तरफ से कवर कर लिया गया था। उन्होंने 15 कोर के कमांडर को बताया था कि आतंकवादी भागने की कोशिश करेंगे, इसलिए सभी संभावित रास्तों को जाल की तरह बंद कर दिया गया।

जब आतंकवादी भागने लगे, तो 18 आतंकी घेराबंदी में मारे गए। उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि एक ऐसा निर्णायक मोड़ था जिसने उस समय जम्मू-पुंछ क्षेत्र में आतंकवाद की रीढ़ तोड़ दी। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के दौरान लॉन्चर, आर्टिलरी, और हेलिकॉप्टर जैसे सभी संसाधन तैयार रखे गए थे ताकि किसी भी स्थिति से निपटा जा सके। इस अभियान में सेना ने अपनी रणनीतिक और सामरिक क्षमता का प्रदर्शन किया।

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लेफ्टिनेंट जनरल लिड्डर ने किताब में बताया है कि यह ऑपरेशन केवल आतंकियों की संख्या घटाने के लिए नहीं था, बल्कि उनके ठिकानों को स्थायी रूप से खत्म करने के लिए था। जब तक आतंकियों के सुरक्षित बेस मौजूद रहते हैं, तब तक आतंकवाद खत्म नहीं किया जा सकता। सेना ने इन बेसों को खत्म कर आतंकवाद की जड़ पर चोट की।

Operation Sarp Vinash: Lt Gen H.S. Lidder’s Book Revisits the Historic Counter-Terror Operation in Poonch
Operation Sarp Vinash: Author Lt Gen H.S. Lidder and Co-Author Jaishree

को-ऑथर जयश्री ने बताई किताब लिखने की वजह – Operation Sarp Vinash Book launch

किताब की को-ऑथर जयश्री ने भी इस मौके पर अपने अनुभव साझा किए। जयश्री ने कहा कि 2023 के अंत में उन्होंने लेफ्टिनेंट जनरल लिड्डर से लंबी बातचीत की थी, जिसमें उन्होंने ऑपरेशन सर्प विनाश के विवरण साझा किए। इसके बाद उन्होंने इस ऑपरेशन के इतिहास को दस्तावेज के रूप में सामने लाने का फैसला लिया।

जयश्री ने बताया कि उनके लिए जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी इलाकों के नाम और भूगोल शुरू में अनजान थे। लेकिन ऑपरेशन में शामिल वरिष्ठ अधिकारियों और सैनिकों की मदद से वे इस अभियान के हर चरण को समझ पाईं। उन्होंने कहा कि यह किताब उन लोगों के लिए है जो यह जानना चाहते हैं कि भारतीय सेना ने किस तरह कठिन परिस्थितियों में एक बड़े आतंकी गढ़ को ध्वस्त किया।

लोग पूछते थे “कितने आतंकवादी मारे गए”

बुक लॉन्च में लेफ्टिनेंट जनरल रमन धवन ने भी अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि उस समय ऑपरेशन के दौरान उन पर काफी दबाव था और मीडिया में भी इसे लेकर खूब चर्चा हुई थी। कई वरिष्ठ अधिकारी इस ऑपरेशन को समझ नहीं पा रहे थे, क्योंकि उस दौर में आतंकवाद विरोधी अभियानों को सिर्फ “कितने आतंकवादी मारे गए” के आंकड़ों से आंका जाता था।

उन्होंने कहा कि 2001 से 2003 के बीच पुंछ-राजौरी क्षेत्र में हालात बेहद गंभीर थे। पहाड़ों और जंगलों से भरे इस इलाके में आतंकवादी 5,000 से 7,000 फीट की ऊंचाई पर बने अपने ठिकानों से सुरक्षा बलों और स्थानीय लोगों को निशाना बनाते थे। हर महीने औसतन 35-45 आतंकवादी मारे जाते थे, लेकिन इसके साथ ही 10-12 सुरक्षाकर्मी भी शहीद होते थे। कई बार जवानों और अधिकारियों को हर दूसरे दिन अपने साथियों की अंत्येष्टि में शामिल होना पड़ता था।

हिलकाका में चलाया था ऑपरेशन सर्प विनाश

उन्होंने बताया कि साल 2001 से लेकर 2003 के बीच जम्मू क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों में भारी बढ़ोतरी हुई थी। विशेष रूप से पुंछ-राजौरी के हिलकाका इलाकों में स्थिति बेहद गंभीर थी। पाकिस्तान से प्रशिक्षित आतंकवादी नियंत्रण रेखा पार कर इस घने जंगल और पहाड़ी क्षेत्र में आसानी से छिप जाते थे। इस इलाके की ऊंचाई 5,000 से 7,000 फीट तक थी।

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हिलकाका का इलाका घने जंगलों, दुर्गम पहाड़ियों और बिना सड़कों वाला क्षेत्र था। नियंत्रण रेखा से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इन पहाड़ियों में आतंकवादी को प्राकृतिक गुफाएं और अस्थायी ‘धोक’ को अपना ठिकाना बनाते थे। गुर्जर-बकरवाल जनजातियां हर साल गर्मियों में यहां मवेशी चराने आती थीं और सर्दियों में खाली छोड़ जाती थीं। आतंकवादी इन्हीं खाली ‘धोक’ पर कब्जा कर लेते थे और सालों तक बिना रुकावट के गतिविधियां चलाते रहे। यह क्षेत्र इतना सुरक्षित माना जाता था कि आतंकवादी स्थानीय लोगों के साथ क्रिकेट तक खेलते थे।

रोमियो फोर्स और 163 इन्फैंट्री ब्रिगेड ने बनाई रणनीति

आतंकवाद को खत्म करने के लिए सेना ने मल्टी डायमेंशनल रणनीति अपनाई। ऑपरेशन की प्लानिंग गुप्त रखी गई। चार वरिष्ठ अधिकारियों तक ही रणनीति सीमित रही ताकि आतंकियों को भनक न लगे। पहाड़ियों में फिश नेट की तरह घेराबंदी कर आतंकियों को भागने का कोई रास्ता नहीं छोड़ा गया। इस ऑपरेशन को नाम दिया गया ‘ऑपरेशन सर्प विनाश’। इसमें दो कोर श्रीनगर स्थित 15 कोर और नागरोटा स्थित 16 कोर ने मिलकर अभियान चलाया।

16 कोर की रिजर्व फॉर्मेशन 163 इन्फेंट्री ब्रिगेड को इलाके में भेजा गया। 9 पैरा कमांडो पहले से इलाके में सक्रिय थे और उन्होंने नई टुकड़ियों को रात के समय गाइड कर ऑपरेशन शुरू कराया। साथ ही वायुसेना की मदद से हेलिपैड और सप्लाई बेस बनाये गये ताकि दुर्गम क्षेत्रों में रसद और घायल सैनिकों को निकाला जा सके। स्थानीय गुर्जर-बकरवाल समुदाय से भी खुफिया जानकारी जुटाई गई।

सबसे अहम भूमिका 9 पैरा कमांडो की थी, जो पहले से इलाके में सक्रिय थे और इलाके से भलीभांति परिचित थे। इन कमांडो को गाइड बनाकर 163 इन्फेंट्री ब्रिगेड को रात के समय तीन दिशाओं से इलाके में उतारा गया। उद्देश्य था आतंकियों को चारों तरफ से घेरकर उनके ठिकानों पर सर्च एंड डिस्ट्रॉय अभियान चलाना।

65 आतंकवादियों को मार गिराया

सर्दियों के बाद मार्च के आखिरी सप्ताह में सेना की टुकड़ियां हिलकाका और आसपास के इलाकों में दाखिल हुईं। ऑपरेशन की प्लानिंग इस तरह से थी कि आतंकवादी भाग न सकें। वहीं, आतंकवादी भागने की कोशिश में 15 कोर की घात में फंस गए।

लगभग एक महीने तक चले इस ऑपरेशन में सेना ने 65 आतंकवादियों को मार गिराया, तीन को जिंदा पकड़ा और भारी मात्रा में युद्ध सामग्री बरामद की। इस दौरान पांच सैनिक शहीद हुए। आतंकियों के ठिकाने पूरी तरह नष्ट कर दिए गए और हिलकाका क्षेत्र को दोबारा भारत के नियंत्रण में सुरक्षित कर लिया गया और सुरक्षा बलों ने ऊंचाई वाले इलाकों में स्थायी चौकियां स्थापित कर दीं।

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इस ऑपरेशन की खासियत यह थी कि इसे लिखित ऑपरेशन ऑर्डर के तहत, हेलिकॉप्टरों और मल्टी-डायरेक्शनल रणनीति के साथ अंजाम दिया गया। आमतौर पर आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन इतने बड़े पैमाने पर नहीं होते, लेकिन यह अभियान उस दृष्टि से ऐतिहासिक था। हिलकाका का इलाका ऊबड़-खाबड़ पहाड़ियों, घने जंगलों और सीमित रास्तों वाला था। कोई पक्की सड़कें नहीं थीं, जिससे सेना को पैदल और हवाई रास्तों से ऑपरेशन चलाना पड़ा। दुश्मन की नज़रों से बचकर रात में पहाड़ियों पर चढ़ाई करना सैनिकों के लिए बड़ी चुनौती थी। फिर भी भारतीय सेना ने बिना हिचके ऑपरेशन को अंजाम दिया।

ऑपरेशन सर्प विनाश की अहमियत

लेफ्टिनेंट जनरल लिड्डर ने कहा कि सैकड़ों ऑपरेशन होते हैं, लेकिन इतने बड़े पैमाने पर, इतनी सफलता के साथ आतंकवाद विरोधी अभियान कम ही हुए हैं। इस ऑपरेशन को सैन्य अकादमियों में अध्ययन के लिए एक ‘स्टडी केस’ के रूप में लिया जाना चाहिए।

वहीं, लेफ्टिनेंट जनरल धवन ने बताया कि हिलकाका को खत्म कर सेना ने पाकिस्तान के संभावित युद्धकालीन रणनीतिक खतरे को भी समाप्त कर दिया। अगर वह क्षेत्र आतंकियों के हाथ में रहता, तो किसी भी संघर्ष की स्थिति में पाकिस्तान की घुसपैठ को बड़ी सामरिक बढ़त मिल सकती थी।

Operation Sarp Vinash Book launch हो चुकी है हर आप इस बुक को पढ़ना चाहते है तो ऑनलाइन खरीद सकते है।

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  • Operation Sarp Vinash: 22 साल पहले में जम्मू की पहाड़ियों में चला था ऐतिहासिक मिलिट्री ऑपरेशन, अब लेफ्टिनेंट जनरल लिड्डर ने अपनी किताब में खोले राज

    हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवाद, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।

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