📍नई दिल्ली | 19 Nov, 2025, 5:51 PM
Indian Navy MDL Projects: भारतीय नौसेना आने वाले वर्षों में अपनी समुद्री क्षमता को तेजी से बढ़ाने की तैयारी में है। देश की सरकारी शिपबिल्डिंग कंपनी मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने संकेत दिए हैं कि भारतीय नौसेना के साथ कई बड़े नए प्रोजेक्ट्स पर बातचीत चल रही हैं। ये प्रोजेक्ट्स नौसेना के लिए अगले दशक के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री प्लेटफॉर्म तैयार कर सकते हैं, जिनमें नए डेस्ट्रॉयर, सबमरीन, फ्रिगेट और लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक शामिल हैं।
Indian Navy MDL Projects: नए डेस्ट्रॉयर प्रोजेक्ट की तैयारी
अपने तिमाही रिजल्ट्स की घोषणा करते हुए एमडीएल के अधिकारियों ने बताया कि भारतीय नौसेना आने वाले समय में कम से कम एक नए डेस्ट्रॉयर क्लास प्रोजेक्ट को मंजूरी दे सकती है। यह प्रोजेक्ट भारतीय नौसेना की युद्धक क्षमता को और मजबूत करेगा और समुद्री सुरक्षा के लिए बड़ा कदम माना जा रहा है। एमडीएल ने इस दौरान कहा कि या तो प्रोजेक्ट-15सी हो सकता है या अगली पीढ़ी का डेस्ट्रॉयर होगा, जिसकी कीमत लगभग 70,000-80,000 करोड़ रुपये आंकी गई है।
एमडीएल ने कहा है कि डेस्ट्रॉयर प्रोजेक्ट के साथ-साथ जापान के साझेदारी में एक साझा डिजाइन पर विचार चल रहा है। नौसेना एक तरह से जापान की शिपयार्ड के साथ मिलकर एक सामान्य डेस्ट्रॉयर बनाने पर शुरुआती चर्चा कर रही है, पर अभी कोई एमओयू साइन नहीं हुआ है।
Indian Navy MDL Projects: प्रोजेक्ट-15सी क्या है?
पहली बार MDL ने सार्वजनिक रूप से बताया कि नौसेना P-15C नाम से एक नया प्रोजेक्ट विचार कर रही है। इससे पहले भारत ने तीन डेस्ट्रॉयर प्रोजेक्ट बनाए थे, जिनमें प्रोजेक्ट 15– दिल्ली क्लास, प्रोजेक्ट 15ए – कोलकाता क्लास औऱ प्रोजेक्ट 15बी – विशाखापत्तनम क्लास है। वहीं, पी-15सी, प्रोजेक्ट-15बी का एक अपग्रेडेड क्लास हो सकता है। अधिकारियों के अनुसार यह प्रोजेक्ट, नेक्स्ट जनरेशन डेस्ट्रॉयर जैसे बड़े प्रोजेक्ट को पूरा करने में समय बचा सकता है और नौसेना को एक एडवांस डेस्ट्रॉयर तेजी से मिल सकेगा। नेक्स्ट जनरेशन डेस्ट्रॉयर को वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो तैयार कर रहा है। इसमें एडवांस स्टेल्थ डिजाइन, बेहतर एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम, हाई-एनर्जी वेपन सिस्टम और अत्याधुनिक सेंसर शामिल हो सकते हैं।
Indian Navy MDL Projects: तीन नई पी-75 सबमरीन
एमडीएल ने बताया कि तीन नई सबमरीन जोड़ने का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय के पास लगभग तैयार है। कमर्शियल बातचीत पूरी हो चुकी है और अब सिर्फ औपचारिक मंजूरी बाकी है। ये सबमरीन मौजूदा स्कॉर्पीन क्लास पर आधारित होंगी। इन सबमरीन के आने से नौसेना की समंदर पानी के भीतर लड़ाई की क्षमता और बढ़ेगी। अधिकारियों का कहना है कि यह कॉन्ट्रैक्ट अगले साल मार्च तक साइन हो सकता है।
वहीं, पी-75आई में 60% से अधिक इंडिजेनस कंटेंट होगा, जो स्कॉर्पीन प्रोजेक्ट से काफी अधिक है। साथ ही, भविष्य में एमडीएल इनकी मेंटेनेंस और एशिया–साउथ अमेरिका में एक्सपोर्ट से भी फायदा देख रही है।
इसके अतिरिक्त एमडीएल ने कहा है कि एक बड़े लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक (एलपीडी) प्रोजेक्ट के लिए उन्होंने गुजरात की स्वॉन शिपयार्ड (SDHI) के साथ एक्सक्लूसिव समझौता किया है। इस समझौते के तहत चार जहाजों के निर्माण की संभावना है, जिनकी अनुमानित कीमत लगभग 40,000 करोड़ रुपये है। स्वॉन शिपयार्ड के पास पिपावाव में देश का सबसे बड़ा ड्राईडॉक है, जरूरत पड़ने पर आगे टीमिंग एग्रीमेंट भी साइन किया जा सकता है। एलपीडी पर बड़े हेलीकॉप्टर, सैनिकों और भारी हथियारों को समुद्र में तैनात किया जा सकता है। साथ ही, ये भारत को मानवीय सहायता, आपदा राहत और सैन्य ऑपरेशन में महत्वपूर्ण बढ़त देंगे।
मौजूदा स्थिति पर एमडीएल का कहना है कि डेस्ट्रॉयर व सबमरीन प्रोजेक्ट अभी प्रारंभिक चरण में हैं, लेकिन वह अपनी क्षमताओं व संसाधनों को इन बड़े प्रोजेक्ट के मुताबिक तैयार कर रही है। उन्होंने एक शिपयार्ड क्षमता विस्तार का भी जिक्र किया है जिसमें बड़े जहाज व सबमरीन एक साथ तैयार की जा सकें।
