📍नई दिल्ली/इस्लामाबाद | 3 days ago
Pakistan cyber attack: पाकिस्तान के नामी परमाणु वैज्ञानिक डॉ. समर मुबारकमंद ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसने भारत-पाकिस्तान के बीच पहले से तनावपूर्ण रिश्तों में आग में घी डालने का काम किया है। डॉ. मुबारकमंद को 1998 में चगाई में किए गए पाकिस्तान के परमाणु परीक्षणों और शाहीन मिसाइल कार्यक्रम में अहम योगदान के लिए जाना जाता है। उन्होंने दावा किया है कि पाकिस्तान के पास भारत के बांधों, जैसे चिनाब नदी पर बने बगलिहार और सलाल बांधों के कंप्यूटर सिस्टम को हैक करने की तकनीकी क्षमता है। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत ने सिंधु नदी का प्रवाह रोका, तो पाकिस्तान अपनी शाहीन-दो और शाहीन-तीन मिसाइलों से इन बांधों को नष्ट कर सकता है।
Pakistan cyber attack: बस 3 बटन और सिस्टम हैक
29 मई, 2025 को एक यूट्यूब को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “बस 3 बटन… अगर भारत ने पाकिस्तान का पानी रोका तो? मुबारकमंद ने कहा, “अगर भारत हमारे पानी को रोकता है, तो हम साइबर हमले के जरिए बांधों के गेट खोल सकते हैं।” उन्होंने पाकिस्तान की साइबर तकनीकी क्षमताओं पर जोर देते हुए कहा कि उनके पास भारत के रन-ऑफ-द-रिवर बांधों के सिस्टम में सेंध लगाने की ताकत है। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर जरूरत पड़ी, तो पाकिस्तान वायुसेना (PAF) शाहीन-दो (रेंज: 1,500–2,000 किमी) और शाहीन-तीन (रेंज: 2,750 किमी) मिसाइलों का इस्तेमाल करके बगलिहार (900 मेगावाट) और सलाल (690 मेगावाट) जैसे बांधों को नष्ट कर सकती है।
अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि (IWT) को निलंबित कर दिया था। इस संधि के तहत, चिनाब, झेलम और सिंधु नदियों का पानी भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारा होता है। भारत ने निलंबन के बाद चिनाब नदी पर बने बगलिहार और सलाल बांधों के गेट बंद कर दिए, जिसे उसने डिसिल्टिंग और रिफिलिंग का हवाला देकर जरूरी कदम बताया।
पाकिस्तान में खेती पर संकट
पाकिस्तान की इंडस रिवर सिस्टम अथॉरिटी (IRSA) के मुताबिक, मई 2025 के पहले हफ्ते में पाकिस्तान के मराला हेडवर्क्स में पानी का प्रवाह 31,000 क्यूसेक से घटकर 3,100 क्यूसेक रह गया, यानी 90% की कमी दर्ज की गई। चिनाब नदी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के लिए लाइफलाइन है, जो वहां की 80% कृषि सिंचाई को सपोर्ट करती है। इससे पाकिस्तान में खेती पर संकट छा गया है। पाकिस्तान काउंसिल ऑफ रिसर्च इन वॉटर रिसोर्सेज ने पहले ही चेतावनी दी थी कि 2025 तक देश में पानी की भारी कमी हो सकती है।
डॉ. मुबारकमंद के दावों का सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जमकर मजाक उड़ाया गया है। यूजर्स ने इसे “पाकिस्तान की ख्याली दुनिया” और “हास्यास्पद दावा” करार दिया। कई यूजर्स ने तंज कसते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान के पास इतनी एडवांस साइबर तकनीक होती, तो वह अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने में इसका इस्तेमाल करता। एक यूजर ने लिखा, “पाकिस्तान को पहले अपनी बिजली और इंटरनेट की समस्या सुलझानी चाहिए, फिर बांध हैक करने की बात करे।”
साइबर हमले का दावा अव्यावहारिक
भारत के रक्षा विशेषज्ञों ने भी इस बयान को गंभीरता से नहीं लिया है। रक्षा विश्लेषक मेजर जनरल (रिटायर्ड) राजीव शर्मा ने कहा, “भारत के बांधों के साइबर सिस्टम अत्यधिक सुरक्षित हैं। इनमें कई परतों वाली सिक्योरिटी और ऑफलाइन बैकअप सिस्टम हैं। साइबर हमले का दावा अव्यावहारिक है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि मिसाइल हमले की धमकी “युद्ध को आमंत्रित करने” जैसी है, जो पाकिस्तान के लिए भारी पड़ सकता है।
पाकिस्तान में पानी की कमी एक गंभीर मुद्दा है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान दुनिया के उन देशों में शामिल है, जहां पानी की उपलब्धता प्रति व्यक्ति सबसे कम है। चिनाब और झेलम नदियां पाकिस्तान की कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं। भारत का बांधों पर नियंत्रण और संधि का निलंबन पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी है।
पाकिस्तान के कुछ विशेषज्ञों ने भी इस बयान पर सवाल उठाए हैं। इस्लामाबाद के एक साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञ हसन अली ने कहा, “भारत के बांधों के सिस्टम को हैक करना आसान नहीं। ये सिस्टम जटिल और सुरक्षित हैं। बिना ठोस सबूत के ऐसा दावा करना गैर-जिम्मेदाराना है।”
सेंध लगाना आसान नहीं
भारत के साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत के बांधों के नियंत्रण सिस्टम में सेंध लगाना आसान नहीं। बगलिहार और सलाल जैसे बांधों के गेट्स का ऑपरेशन डिजिटल और मैनुअल दोनों तरह से ऑपरेट होता है। साइबर हमले से बचने के लिए इनमें कई लेयर की सिक्योरिटी होती है, जिसमें एयर-गैप्ड सिस्टम (इंटरनेट से पूरी तरह अलग) शामिल हैं।
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जहां तक मिसाइल हमले की बात है, शाहीन-दो और शाहीन-तीन मिसाइलें निश्चित रूप से लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम हैं। लेकिन भारत की मिसाइल रक्षा प्रणाली, जैसे S-400, और मजबूत हवाई रक्षा तंत्र ऐसे हमलों को नाकाम कर सकते हैं। इसके अलावा, बांधों पर हमला युद्ध के हालात पैदा कर सकता है, जिसके परिणाम दोनों देशों के लिए विनाशकारी हो सकते हैं।