📍नई दिल्ली | 11 Nov, 2025, 7:06 PM
Delhi Defence Dialogue: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर मॉडर्न वॉरफेयर का एक सशक्त उदाहरण है, जिसमें तकनीकी श्रेष्ठता और तुरंत फैसले लेने की क्षमता ने निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन में प्रिसिजन स्ट्राइक, नेटवर्क-सेंट्रिक ऑपरेशन, डिजिटाइज्ड इंटेलिजेंस और मल्टी-डोमेन टैक्टिक्स का बेहद प्रभावी इस्तेमाल किया गया।
जनरल चौहान दिल्ली में आयोजित दिल्ली डिफेंस डायलॉग में ‘इम्पैक्ट ऑफ टेक्नोलॉजी ऑन मॉडर्न वॉरफेयर विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आज के दौर में तकनीकी विशेषज्ञता ही युद्ध के नतीजे तय करती है और वही देश विजयी होता है जो तकनीक में आगे रहता है।
Delhi Defence Dialogue: तकनीक से तय हो रही है जीत की दिशा
सीडीएस चौहान ने कहा कि आधुनिक युद्ध सिर्फ हथियारों की ताकत पर नहीं, बल्कि तकनीक पर आधारित है। उन्होंने बताया कि उभरती हुई तकनीकें जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और क्वांटम टेक्नोलॉजी ने युद्ध की परिभाषा बदल दी है। उन्होंने कहा कि आज के युद्धक्षेत्र में डेटा, नेटवर्क और तुरंत फैसले लेने की क्षमता ही सबसे बड़ी ताकत है।
जनरल चौहान ने बताया कि भारतीय सेनाएं अब तेजी से नई तकनीकों को अपना रही हैं और पारंपरिक युद्ध से आगे बढ़कर मल्टी-डोमेन ऑपरेशन की दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य का युद्ध केवल सीमा पर नहीं लड़ा जाएगा, बल्कि इसमें साइबर, स्पेस और इलेक्ट्रॉनिक डोमेन भी शामिल होंगे।
General Anil Chauhan #CDS delivered a Special Address on “Impact of Technology on Modern Warfare” at the inaugural Delhi Defence Dialogue #DDD25 organised by Manohar Parrikar Institute for Defence Studies and Analyses on 11–12 Nov 2025.
Highlighting the profound impact of… pic.twitter.com/BQeFvjbDAI— HQ IDS (@HQ_IDS_India) November 11, 2025
यह दो दिवसीय सम्मेलन मनोज पार्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (MP-IDSA) द्वारा आयोजित किया गया था। इस वर्ष संस्थान के 60वें स्थापना दिवस के मौके पर इसका आयोजन किया गया।
सम्मेलन का विषय था, ‘हार्नेसिंग न्यू एज टेक्नोलॉजी फॉर डिफेंस कैपेबिलिटी डेवलपमेंट’ यानी नई पीढ़ी की तकनीक का उपयोग कर रक्षा क्षमता का विकास।
Delhi Defence Dialogue
कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उद्घाटन किया, जबकि मनोज पार्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस के डीजी एंबेसडर सुजान चिनॉय ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया औद्योगिक युग से आगे बढ़कर सूचना और साइबर युग में प्रवेश कर चुकी है, जहां तकनीक ही सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है।
एंबेसडर चिनॉय ने बताया कि रक्षा क्षेत्र में भारत को विदेशी तकनीक पर निर्भरता घटाकर आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज दुनिया की सेनाएं इंडस्ट्रियल एज से निकलकर डिजिटल और साइबर युद्ध के दौर में पहुंच चुकी हैं, जहां मशीन और मानव दोनों की भूमिका बराबर है।
जनरल चौहान ने कहा कि भारतीय सेनाएं अब सिर्फ युद्ध नहीं, बल्कि तकनीकी उत्कृष्टता के माध्यम से सुरक्षा और स्थिरता की दिशा में काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाया कि अगर तकनीक, रणनीति और कॉर्डिनेशन एक साथ हो, तो सीमित समय में भी बड़े रिजल्ट हासिल किए जा सकते हैं।
कार्यक्रम में नीति-निर्माता रक्षा विशेषज्ञ, उद्योगपति और शिक्षाविद भी शामिल हुए। सभी ने एकमत से कहा कि भारत को भविष्य की रक्षा प्रणाली में डेटा-ड्रिवन दृष्टिकोण अपनाना होगा और टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन को आगे बढ़ाना होगा।
जनरल चौहान ने कहा, “युद्ध का असली मकसद जीत सुनिश्चित करना है, और यह तभी संभव है जब हमारे पास श्रेष्ठ तकनीक, सटीक जानकारी और फैसला लेने की क्षमता हो।”
