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HAL Restructuring: तेजस फाइटर जेट बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड में बड़े बदलाव की तैयारी में सरकार, कंसल्टिंग ग्रुप को सौंपी जिम्मेदारी!

सूत्रों का कहना है कि सरकार के सामने एक विकल्प यह है कि कंपनी को तीन अलग-अलग स्वतंत्र यूनिट्स में बांटा जाए। माना जा रहा है कि एचएएल के पास इस समय रिकॉर्ड स्तर का ऑर्डर बुक है, जिसकी कीमत करीब 2.7 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है...

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📍नई दिल्ली | 30 Sep, 2025, 12:10 PM

HAL Restructuring: भारत सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की एयरोस्पेस दिग्गज कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के स्ट्रक्चर में बड़े बदलाव पर विचार कर रही है। इस बदलाव का उद्देश्य है कंपनी की कार्यक्षमता बढ़ाना और डिफेंस फोर्सेस को समय पर इक्विपमेंट्स उपलब्ध कराना। सूत्रों के अनुसार सरकार ने इसके लिए एक बाहरी कंसल्टिंग ग्रुप को जिम्मेदारी सौंपी है, जो एचएएल के मौजूदा स्ट्रक्चर और कामकाज की गहन समीक्षा कर रहा है।

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माना जा रहा है कि एचएएल के पास इस समय रिकॉर्ड स्तर का ऑर्डर बुक है, जिसकी कीमत करीब 2.7 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है। इसमें फाइटर जेट्स, यूटिलिटी हेलीकॉप्टर, अटैक चॉपर और इंजन शामिल हैं। इसके अलावा आने वाले महीनों में और भी बड़े ऑर्डर मिलने की संभावना है। इतने बड़े स्तर पर पेंडिंग ऑर्डर एचएएल की क्षमता और डिलीवरी टाइमलाइन पर असर डाल सकते हैं।

सूत्रों का कहना है कि सरकार के सामने एक विकल्प यह है कि कंपनी को तीन अलग-अलग स्वतंत्र यूनिट्स में बांटा जाए। इनमें से एक यूनिट फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट यानी फाइटर जेट और ट्रांसपोर्ट प्लेन निर्माण पर ध्यान दे, दूसरी यूनिट हेलीकॉप्टर मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस करे, और तीसरी यूनिट मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल सर्विसेज की एक्सपर्ट बने। हालांकि, इससे पहले भी ऐसा प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन तब कंपनी के पास इतने बड़े ऑर्डर नहीं थे, इसलिए योजना लागू नहीं हो पाई थी।

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मौजूदा वक्त में एचएएल का ऑर्डर बुक उसकी सालाना आय से आठ गुना ज्यादा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी बड़ी जिम्मेदारी कंपनी की समय पर डिलीवरी क्षमता को कमजोर कर सकती है। क्योंकि पहले ही भारतीय वायुसेना के लिए बनाए जा जा रहे लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस की डिलिवरी पहले ही तय समय से काफी पीछे चल रही है। एयर फोर्स ने अपनी चिंताएं जताई हैं क्योंकि फाइटर स्क्वॉड्रन की संख्या लगातार घट रही है।

एचएएल पर दबाव केवल मौजूदा परियोजनाओं तक ही सीमित नहीं है। कंपनी को भारत के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट एडवांस्ड मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) कार्यक्रम में भी सक्रिय भूमिका निभानी है। लेकिन वर्तमान में डिलीवरी में देरी और बड़े ऑर्डर बुक से इसकी भागीदारी पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

सरकार की इस रिव्यू का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि एचएएल न केवल मौजूदा जरूरतें पूरी करे बल्कि भविष्य की डिफेंस जरूरतों को भी समय पर पूरा करे। इसके लिए इसके रीस्ट्रक्चरिंग को लेकर मंथन तेज हो गया है और टॉप मैनेजमेंट के साथ लगातार बातचीत की जा रही है।

इससे पहले पिछले महीने 22 अगस्त को रक्षा मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने बेंगलुरु में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड का दौरा किया था। दस सदस्यों वाली इस समिति की अगुवाई लोकसभा सांसद राधा मोहन सिंह ने की। समिति ने हेलिकॉप्टर डिवीजन, एलसीए तेजस डिवीजन और एयरक्राफ्ट डिवीजन का निरीक्षण किया और एचएएल की आधुनिकीकरण योजनाओं तथा स्वदेशी परियोजनाओं की प्रगति पर जानकारी ली थी। इस दौरान तेजस Mk-1A, हिंदुस्तान टर्बो ट्रेनर-40, यशस जेट ट्रेनर, ध्रुव एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर, लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर और हॉक-आई जैसे विमानों ने उड़ान भरी थी।

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वहीं, इससे पहले, जुलाई में प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा ने एचएएल की सुविधाओं का दौरा कर तेजस Mk-2, एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA), ‘प्रचंड’ लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर और गगनयान मिशन से जुड़ी तैयारियों का जायजा लिया था।

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    रक्षा समाचार न्यूज डेस्क भारत की अग्रणी हिंदी रक्षा समाचार टीम है, जो Indian Army, Navy, Air Force, DRDO, रक्षा उपकरण, युद्ध रणनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी विश्वसनीय और विश्लेषणात्मक खबरें पेश करती है। हम लाते हैं सटीक, सरल और अपडेटेड Defence News in Hindi। हमारा उद्देश्य है – "हर खबर, देश की रक्षा से जुड़ी।"

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