📍नई दिल्ली | 21 Nov, 2025, 1:33 PM
Exercise Trishul: भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना ने हाल ही में अपनी सबसे बड़ी जॉइंट मिलिट्री एक्सरसाइज त्रिशूल की थी, जिसे भारत की मल्टी-डोमेन वॉरफेयर तैयारी का प्रतीक माना गया। यह अभ्यास 30 अक्टूबर से 13 नवंबर के बीच राजस्थान, गुजरात और उत्तरी अरब सागर के तटीय इलाकों में किया गया, जिसमें तीनों सेनाओं ने एक-साथ ऑपरेशन करने की अपनी क्षमता दिखाई।
‘द डिप्लोमैट’ की रिपोर्ट के अनुसार, त्रिशूल को खास बनाता है इसका पैमाना, समय और इसमें शामिल नए ऑपरेशनल कॉन्सेप्ट्स। रिपोर्ट में कहा गया कि अभ्यास का मुख्य उद्देश्य तीनों सेवाओं के बीच इंटीग्रेटेड कोऑर्डिनेशन बढ़ाना था, ताकि भविष्य के किसी भी संघर्ष में भारत तुरंत और प्रभावी तरीके से मल्टी-डोमेन ऑपरेशन चला सके।
अभ्यास में थलसेना के 30,000 से अधिक जवान, नौसेना के 25 वॉरशिप और सबमरीन, वायुसेना के 40 एयरक्राफ्ट और सीएपीएफ के जवान शामिल हुए। इसे पाकिस्तान के लिए चिंता की बात बताया गया है, क्योंकि अभ्यास ने भारत की वाइड स्पेक्ट्रम स्ट्राइक की क्षमता, सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर बड़े संयुक्त अभियानों तक, स्पष्ट रूप से दिखा दी।
रिपोर्ट में कहा गया कि त्रिशूल के दौरान भारतीय सेना ने अपने नई रूद्र ब्रिगेड, भैरव बटालियन और अशिनि प्लाटून जैसे नए स्ट्रक्चर की टेस्टिंग की। सेना इन नई फॉर्मेशन को अपने रीस्ट्रक्चरिंग मॉडल का हिस्सा मानती है।
अभ्यास में कई सब-ड्रिल भी शामिल थीं जैसे ब्रहमशिरा, अखंड प्रहार, मरुज्वाला और एम्फैक्स-25, जिनमें रेगिस्तान, दलदली जमीन और समुद्री इलाकों में कॉम्बैट ऑपरेशन की क्षमता का परीक्षण किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, इस अभ्यास ने दिखाया कि भारत ने बड़े पैमाने पर संयुक्त ऑपरेशनों की अपनी क्षमता बिल्कुल नहीं छोड़ी है। बल्कि, यह अभ्यास नई डायनामिक रिस्पोंस स्ट्रेटेजी (डीआरएस) को दर्शाता है, जिसके तहत राजनीतिक नेतृत्व मिशन के अनुसार कई तरह के विकल्प चुन सकता है।
