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Defence Innovation: भारतीय सेना के इनोवेटर मेजर राज प्रसाद बोले- इंजीनियरिंग छात्रों को भी मिले रक्षा कंपनियों में काम करने का मौका

मेजर राज प्रसाद ने 12 टेक्नोलॉजी इनोवेशन बनाए हैं, जिनमें से 4 भारतीय सेना में इस्तेमाल हो रहे हैं...

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भारत में टैलेंट पाइपलाइन तैयार करने के तरीके पर फिर से सोचने की जरूरत बताते हुए, मेजर प्रसाद ने एमबीबीएस इंटर्नशिप मॉडल को आईआईटी ग्रेजुएट्स पर भी लागू करने का सुझाव दिया। उन्होंने पूछा, “अगर मेडिकल स्टूडेंट्स को हॉस्पिटल्स में एक साल की सेवा करनी पड़ती है, तो इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स को डिफेंस पीएसयूज में एक या दो साल के लिए क्यों नहीं भेजा जा सकता, ताकि वे स्वदेशी टेक्नोलॉजी डेवलप कर सकें?
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📍नई दिल्ली | 30 Jul, 2025, 7:58 PM

Defence Innovation:भारतीय सेना की इंजीनियरिंग कोर से जुड़े मेजर राज प्रसाद का कहना है कि जैसे सिविल इंजीनियरिंग छात्रों को सीआरआरआई (Compulsory Rotary Residential Internship) जैसे संस्थानों में इंटर्नशिप का मौका मिलता है, वैसे ही इंजीनियरिंग छात्रों को डिफेंस सेक्टर की सार्वजनिक कंपनियों में भी मौका मिलना चाहिए। मेजर राज प्रसाद भारतीय सेना में इनोवेटर हैं और उनके चार इनोवेशंस को भारतीय में बखूबी इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्हें एनएसजी काउंटर IED इनोवेटर अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।

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नई दिल्ली में आयोजित ‘द वीक एजुकेशन कॉन्क्लेव’ के दौरान मेजर राज प्रसाद ने शिक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा और तकनीक के बारे बात करते हुए कहा कि भारत को सिर्फ विदेशी तकनीक को अपनाने वाला देश नहीं रहना चाहिए, बल्कि हमें खुद अपनी तकनीक विकसित करने वाला देश बनना चाहिए। मेजर प्रसाद ने कहा, “भारतीय सेना सिर्फ लड़ाई नहीं लड़ती, हम टेक्नोलॉजी वाले सोल्जर हैं।” उन्होंने बताया कि सेना के पास रडार, ड्रोन, वायरलेस डेटोनेटर जैसी कई तकनीकें हैं, और इन्हें चलाने व डेवलप के लिए बेहतरीन दिमाग की जरूरत है। इसमें आम छात्रों और नागरिकों की भी मदद ली जा सकती है।

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उन्होंने बताया कि अब तक उन्होंने 12 टेक्नोलॉजी इनोवेशन बनाए हैं, जिनमें से 4 भारतीय सेना में इस्तेमाल हो रहे हैं। इनमें से एक वायरलेस डेटोनेशन सिस्टम है जो बिना तार के 2.5 किलोमीटर दूर से विस्फोट कर सकता है और एक ऐसा सिस्टम है जो बिना आदमी की जान को खतरे में डाले बारूदी सुरंगों का पता लगा सकता है। ये तकनीकें युद्ध के दौरान कई सैनिकों की जान बचा चुकी हैं। इनमें से वायरलेस डेटोनेशन सिस्टम को पेटेंट भी किया जा चुका है।

उन्होंने भारतीय सेना के इनोवेशन फ्रेमवर्क के तहत टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की सफलता की ओर भी इशारा किया। उन्होंने कहा, “हमने एक टेक्नोलॉजी ट्रांसफर मॉडल तैयार किया। फील्ड ट्रायल्स के बाद हमारे सिस्टम्स को प्राइवेट कंपनियों को सौंप दिया गया ताकि उनका बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन किया जा सके। इससे न सिर्फ रेवेन्यू आया, बल्कि हमारी मैन्युफैक्चरिंग कैपेबिलिटी भी बढ़ी और जॉब्स भी क्रिएट हुईं।”

पुणे स्थित कॉलेज ऑफ मिलिट्री इंजीनियरिंग में इनोवेशन प्रोग्राम्स के हेड और फिलहाल आईआईटी दिल्ली में आर्मी टेक्नोलॉजी सेल की जिम्मेदारी संभाल रहे मेजर प्रसाद सशस्त्र बलों और प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक आईआईटी दिल्ली को 24 टेक्नोलॉजी प्रपोजल्स मिले हैं और सेना सितंबर में एक एकेडेमिया सेमिनार आयोजित करने की योजना बना रही है, ताकि देशभर के संस्थानों को जोड़ा जा सके।

भारत में टैलेंट पाइपलाइन तैयार करने के तरीके पर फिर से सोचने की जरूरत बताते हुए, मेजर प्रसाद ने एमबीबीएस इंटर्नशिप मॉडल को आईआईटी ग्रेजुएट्स पर भी लागू करने का सुझाव दिया। उन्होंने पूछा, “अगर मेडिकल स्टूडेंट्स को हॉस्पिटल्स में एक साल की सेवा करनी पड़ती है, तो इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स को डिफेंस पीएसयूज में एक या दो साल के लिए क्यों नहीं भेजा जा सकता, ताकि वे स्वदेशी टेक्नोलॉजी डेवलप कर सकें?”

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मेजर प्रसाद ने कहा कि सिर्फ लिखित परीक्षा पास करना ही काफी नहीं, हमें छात्रों के प्रोजेक्ट, रुचियों और असली दुनिया में उनके काम को भी महत्व देना चाहिए। इससे असली टैलेंट की पहचान होगी। उन्होंने यह भी कहा कि आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस छात्रों को ढेर सारी जानकारी दे रहा है, लेकिन छात्रों को सही दिशा दिखाना अभी भी शिक्षकों की जिम्मेदारी है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि डिफेंस टेक्नोलॉजी जैसे हाई प्रेशर सेक्टर में मानसिक स्वास्थ्य को भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

मेजर प्रसाद ने चेतावनी दी कि दुनिया में तकनीक बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है और हमें भी उस रफ्तार से खुद को तैयार करना होगा। उन्होंने सरकार द्वारा शुरू किए गए iDEX जैसे प्लेटफॉर्म्स का जिक्र किया, जिनके जरिए नए इनोवेटर्स और स्टार्टअप्स भी सेना के साथ मिलकर टेक्नोलॉजी डेवलप कर सकते हैं।

मेजर प्रसाद ने कहा कि “विकसित भारत और आत्मनिर्भर भारत तब तक संभव नहीं है जब तक हम चिप से शुरू होकर अपनी तकनीकी क्षमताएं खुद नहीं बनाते। सरकार ने जरूरी प्लेटफॉर्म तैयार कर दिए हैं, अब जमीन पर काम करने वाले लोगों की जिम्मेदारी है कि वे इसमें भाग लें और इसे सफल बनाएं।” आखिर में उन्होंने छात्रों को कहा, “जो भी सेक्टर चुनो, उसमें सबसे बेहतर बनो। भीड़ के पीछे मत चलो, खुद को एक्सपर्ट बनाओ।”

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