back to top
HomeExplainersExplainer Integrated battle Groups: क्या है इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप? ब्यूरोक्रेसी से परेशान...

Explainer Integrated battle Groups: क्या है इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप? ब्यूरोक्रेसी से परेशान सेना प्रमुख ने क्यों दी पूरा IBG प्रोजेक्ट कैंसिल करने की धमकी!

रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US
Read Time 0.12 mintue

📍नई दिल्ली | 14 Jan, 2025, 4:35 PM

Explainer Integrated battle Groups: भारतीय सेना के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप (IBG) पर अंतिम फैसला जल्द ही लिया जा सकता है। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा है कि यह प्रोजेक्ट 2025 तक लागू होगा या इसे रद्द कर दिया जाएगा। सेना की इस नई रणनीति का उद्देश्य युद्ध के दौरान तेज़ और प्रभावी कार्रवाई को सुनिश्चित करना है।

Explainer: What Are Integrated Battle Groups and Why Is the Army Chief Considering Cancelling the IBG Project?

आर्मी डे की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि इस विषय पर रक्षा मंत्रालय में सभी संबंधित अधिकारियों को प्रजेंटेशन दिया जा चुका है। हालांकि, उनकी तरफ से कुछ सवाल और सुझाव आए हैं, जिन पर विचार किया जा रहा है। जनरल द्विवेदी ने सीधे-सीधे उत्तर देते हुए कहा, “आईबीजी कब तक तैयार होगी, इसकी सटीक टाइमलाइन देना मुश्किल है क्योंकि ब्यूरोक्रेसी इनवॉल्व होती है, ऐसे मामलों में समय लगता है।” उन्होंने यह भी कहा कि यह परियोजना या तो इसी साल पूरी हो जाएगी, या फिर इसे पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा।

कुछ महीने पहले, सेना ने आईबीजी के निर्माण के लिए सरकारी स्वीकृति पत्र (जीएसएल) का मसौदा प्रस्तुत किया था, जिसका उद्देश्य सीमाओं पर युद्ध क्षमताओं को बढ़ाना है।

1971 surrender painting row: 1971 सरेंडर पेंटिंग विवाद पर पहली बार बोले सेना प्रमुख, कहा- पेंटिंग लगाने के लिए चुनी गई शुभ तिथि

Explainer Integrated battle Groups: क्या है IBG? 

भारतीय सेना आधुनिक युद्धक्षेत्र की चुनौतियों से निपटने के लिए इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स (IBG) स्ट्रेटेजिक फॉर्मेशन पर काम कर रही है। IBG को सेना की पारंपरिक संरचनाओं से अलग, छोटे, चुस्त और आत्मनिर्भर फाइटर युनिट के तौर में विकसित किया जा रहा है। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने IBG की अवधारणा पर बात करते हुए कहा, “हर IBG आत्मनिर्भर होगा, जिसमें इलाके और ऑपरेशनल जरूरतों के अनुसार सभी जरूरी सैन्य शाखाओं और सेवाओं का संयोजन होगा।”

यह भी पढ़ें:  QRSAM Explained: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत को मिलने जा रही है नई एयर डिफेंस शील्ड, पाकिस्तान और चीन के सिस्टम से क्यों है बेहतर?

IBG को छोटे और फ्लेक्सिबल फॉर्मेशन के तौर पर डिजाइन किया गया है, जो किसी भी खतरे का सामना करने के लिए तेजी से प्रतिक्रिया दे सके। प्रत्येक IBG में पैदल सेना, तोपखाना, बख्तरबंद इकाइयां, इंजीनियर, सिग्नल और एयर डिफेंस जैसी ब्रांचों को भी शामिल किया जाएगा। IBG का नेतृत्व मेजर-जनरल रैंक के अधिकारी द्वारा किए जाने की उम्मीद है। प्रत्येक आईबीजी में लगभग 5,000 कर्मियों की सैन्य ताकत होगी, जो एक ब्रिगेड (3,000-3,500 सैनिक) से बड़ी होगी, लेकिन एक डिवीजन (10,000-12,000 सैनिक) से छोटी होगी। यह फॉर्मेशन IBG को 12 से 48 घंटों के भीतर युद्ध के लिए तैयार होने में सक्षम बनाएगी।

IBG की प्रारंभिक योजना के तहत दो युनिट बनाई जाएंगी। पहली IBG को 9 कोर के तहत पाकिस्तान के साथ लगी पश्चिमी सीमा पर तैनात किया जाएगा, जबकि दूसरी IBG को 17 स्ट्राइक कोर के तहत चीन के साथ उत्तरी सीमा पर चुनौतीपूर्ण इलाकों में तैनात किया जाएगा। यह युनिट्स दुश्मन की हरकतों का तेजी से जवाब देने और सीमाओं पर भारतीय सेना की ताकत को और मजबूत बनाने के लिए तैयार की जा रही हैं।

छोटे और चुस्त फॉर्मेशन से दुश्मन को देंगे मात

IBG के जरिए सेना की पारंपरिक संरचना में बदलाव लाने का लक्ष्य है। IBG छोटे और चुस्त फॉर्मेशन के जरिए दुश्मन के खिलाफ तेज़ी से हमले करने में सक्षम होगी। यह तकनीकी रूप से एडवांस और आधुनिक युद्धक्षेत्र की जरूरतों के अनुकूल होगी। IBG बड़ी सैन्य संरचनाओं के धीमे और बोझिल तरीकों को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Army Chief: सेना प्रमुख बोले- सर्दियों में भारत-चीन सीमा पर कम नहीं होगी सेना की तैनाती, गर्मियों में इस आधार पर होगा फैसला

सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी ने कहा कि IBG की अवधारणा पर काम लगभग पूरा हो चुका है। “हमने इस प्रोजेक्ट पर रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों को प्रजेंटेशन दे दिया है। हालांकि, उनके कुछ सवाल थे जिन पर विचार किया जा रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि IBG कब तक तैयार होगी, इसकी सटीक समयसीमा देना मुश्किल है। “जहां ब्यूरोक्रेसी शामिल होती है, वहां थोड़ा वक्त लगता है। लेकिन हमें उम्मीद है कि 2025 तक यह प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक लागू हो जाएगा। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो इसे रद्द करने का भी फैसला भी लिया जा सकता है।”

यह भी पढ़ें:  LUH RFI: पुराने चेतक-चीता बेड़े की जगह सेना और वायुसेना को चाहिए 200 नए हल्के हेलिकॉप्टर, जारी की आरएफआई, ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी को प्राथमिकता

‘हिमविजय’ सैन्य अभ्यास से मिली थी प्रेरणा

IBG के कॉन्सेप्ट को अक्तूबर 2019 में भारतीय सेना की उत्तरी थिएटर कमांड द्वारा किए गए ‘हिमविजय’ सैन्य अभ्यास के बाद लागू करने की योजना बनाई गई। इस अभ्यास में पहाड़ी इलाकों में सेना की तेज़ और प्रभावी प्रतिक्रिया की क्षमता का परीक्षण किया गया था। हिमालयी क्षेत्र जैसे चुनौतीपूर्ण इलाकों में IBG को विशेष रूप से उपयुक्त माना जा रहा है। 2019 में हुए ‘हिमविजय’ नामक अभूतपूर्व और नए सैन्य अभ्यास से सीखे गए सबक शामिल किए गए हैं।

भारतीय सेना की यह पहल आधुनिक युद्ध की जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। IBG की तैनाती से सीमाओं पर भारत की सैन्य शक्ति और संचालन क्षमता को एक नई दिशा मिलेगी। हालांकि, इसके क्रियान्वयन के लिए वित्तीय और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को पूरा करना अभी बाकी है। सेना को उम्मीद है कि IBG 2025 तक भारतीय रक्षा रणनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा।

रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US
हरेंद्र चौधरी
हरेंद्र चौधरीhttp://harendra@rakshasamachar.com
हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवादों, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।📍 Location: New Delhi, in 🎯 Area of Expertise: Defence, Diplomacy, National Security

Most Popular

Share on WhatsApp