📍नई दिल्ली | 25 Nov, 2025, 6:02 PM
Samudra Utkarsh: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनिया के देशों को भारत की तेजी से बढ़ती शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री की क्षमता को समझना चाहिए और भविष्य की समुद्री तकनीकों को मिलकर विकसित करना चाहिए। वे मंगलवार को दिल्ली में आयोजित समुद्र उत्कर्ष सेमिनार में उद्योग प्रतिनिधियों, विदेशी पार्टनर्स और सैन्य अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत का शिपबिल्डिंग सेक्टर आज उन कुछ देशों में शामिल है जो कॉन्सेप्ट डिजाइन, मॉड्यूलर कंस्ट्रक्शन, आउटफिटिंग, रिफिट, रिपेयर, और लाइफ-साइक्ल सपोर्ट जैसी सभी प्रक्रियाएं खुद करने में पूरी तरह सक्षम है। उन्होंने कहा कि यह क्षमता भारत को न सिर्फ आत्मनिर्भर बनाती है बल्कि वैश्विक स्तर पर एक भरोसेमंद मरीटाइम हब के रूप में स्थापित करती है। उन्होंने बताया कि देश के सार्वजनिक और निजी शिपयार्ड, और हजारों एमएसएमई मिलकर एक मजबूत वैल्यू-चेन तैयार करते हैं जो स्टील, प्रोपल्शन, इलेक्ट्रॉनिक्स, सेंसर और एडवांस्ड कॉम्बैट सिस्टम जैसे सेक्टर्स को सपोर्ट करती है।
अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत की समुद्री क्षमता अब ठोस उदाहरणों के रूप में दुनिया के सामने है। भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत, कलवरी-क्लास सबमरीन, और स्टेल्थ फ्रिगेट्स व डेस्ट्रॉयर्स न सिर्फ नौसेना की ताकत को बढ़ाते हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि भारत बड़े युद्धपोतों का डिजाइन और निर्माण दोनों करने की क्षमता रखता है।
रक्षा मंत्री मे कहा, “हमारे शिपयार्ड एयरक्राफ्ट कैरियर से लेकर रिसर्च वेसल और कमर्शियल शिप तक बनाने में सक्षम हैं। यही क्षमता भारत को शिपबिल्डिंग, शिप रिपेयर और मैरीटाइम इनोवेशन का ग्लोबल हब बना सकती है।” उन्होंने कहा कि भारतीय शिपयार्ड हमारे उभरती हुए ब्लू इकॉनमी के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।
रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि सेमिनार का थीम ‘2500 बीसीई-2025 सीई सेलिब्रेटिंग 4,524 ईयर्स ऑफ शिपबिल्डिंग एक्सीलेंस’ केवल एक औद्योगिक लक्ष्य नहीं, बल्कि एक सभ्यता की निरंतर यात्रा को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि लोथल के प्राचीन बंदरगाहों से लेकर मुंबई, गोवा, विशाखापत्तनम, कोलकाता और कोच्चि के आधुनिक शिपयार्ड तक भारत की समुद्री यात्रा लगातार प्रगति और मजबूती की कहानी है। रक्षा मंत्री ने कहा कि खोज, इनोवेशन और समुद्री जुड़ाव की यह सदियों पुरानी भावना आज भी उतनी ही जीवंत है और भारत इसे नई दिशा दे रहा है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि आज भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड के हर जहाज का निर्माण भारत में ही हो रहा है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत विजन का सबसे बड़ा प्रमाण है। उन्होंने कहा कि भारत की मैरीटाइम पॉलिसी मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 और मैरीटाइम अमृत काल विजन 2047 ने उद्योग को नई दिशा दी है। रक्षा उत्पादन एवं निर्यात प्रोत्साहन नीति और डिफेंस प्रोक्योरमेंट मैनुअल 2025 ने भी घरेलू उत्पादन को मजबूत आधार दिया है।

उन्होंने बताया कि भारतीय नौसेना के पास इस समय 262 स्वदेशी डिजाइन और डेवलपमेंट परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें कई एडवांस्ड स्टेज में हैं। कुछ शिपयार्ड तो अगले कुछ वर्षों में अपने उत्पादन में 100 फीसदी स्वदेशी कंटेंट हासिल करने की दिशा में बढ़ रहे हैं। इससे भारत से सप्लाई होने वाले जहाजों पर ग्लोबल सप्लाई-चेन की बाधाएं लगभग समाप्त हो जाएंगी। उन्होंने भरोसा जताया कि निकट भविष्य में भारत के वाणिज्यिक जहाज भी पूरी तरह देश में बनेंगे।
रक्षा मंत्री ने भारतीय शिपयार्ड्स को देश की उभरती ब्लू इकोनॉमी का महत्वपूर्ण स्तंभ बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय शिपयार्ड न सिर्फ डिफेंस प्लेटफॉर्म बना रहे हैं बल्कि समुद्री विज्ञान, मरीन इकोसिस्टम मॉनिटरिंग, मत्स्य संसाधन प्रबंधन और मरीटाइम लॉ-एन्फोर्समेंट जैसे क्षेत्रों के लिए भी एडवांस वेसल तैयार कर रहे हैं। उन्होंने पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों के इस्तेमाल पर भी जोर दिया, जिसे भारतीय शिपयार्ड अब तेजी से अपना रहे हैं।
अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने उन मानवीय मिशनों का भी जिक्र किया जिनमें भारतीय नौसेना के जहाजों ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई। उन्होंने कोविड काल के ऑपरेशन समुद्र सेतु, म्यांमार भूकंप के दौरान ऑपरेशन ब्रह्मा और इस वर्ष आईएनएस विक्रांत द्वारा किए गए मेडिकल एवैक्यूएशन का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ऐसे मिशन दिखाते हैं कि भारत न सिर्फ युद्धपोत बनाता है, बल्कि वे जहाज भी बनाता है जो जान बचाते हैं और वैश्विक स्थिरता को मजबूत करते हैं।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि हाल के वर्षों में कई देशों ने अपने युद्धपोतों और बड़े जहाजों की मरम्मत के लिए भारतीय शिपयार्ड को चुना है। जो भारत की क्षमता और भरोसे को दिखाता है। उन्होंने कहा कि भारत पूरे हिंद महासागर क्षेत्र के लिए एक प्रमुख रीफिट और रिपेयर हब बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
इस मौके पर रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ ने कहा कि समुद्र उत्कर्ष भारतीय शिपबिल्डिंग की ताकत को दिखाने वाला एक महत्वपूर्ण आयोजन है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पिछले वर्षों में यह क्षेत्र कई गुना बढ़ा है। उन्होंने नवाचार, कौशल विकास और एक्सपोर्ट क्षमता पर लगातार ध्यान देने की जरूरत बताई।
