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Delhi Defence Dialogue 2025: रक्षा मंत्री बोले- साझेदारी से मिलेगी आत्मनिर्भरता, डिफेंस डील में लाइफ साइकिल कॉस्ट जरूरी

रक्षा मंत्री ने कहा, “कई विकसित देशों में रक्षा खरीद प्रक्रिया में लाइफ साइकिल कॉस्ट का सिद्धांत शामिल है। मैंने निर्देश दिया है कि अब भारत में भी हर रक्षा खरीद प्रस्ताव की शुरुआत में ही उसके रखरखाव और खर्च का आकलन किया जाए...

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📍नई दिल्ली | 11 Nov, 2025, 7:36 PM

Delhi Defence Dialogue 2025: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत को अब केवल तकनीक का उपभोक्ता नहीं, बल्कि उसका निर्माता बनना होगा। उन्होंने कहा कि भारत को एक ऐसा इकोसिस्टम तैयार करने की जरूरत है, जहां नई तकनीक का विकास और उसका इस्तेमाल सहज, तेज और टिकाऊ हो। रक्षा मंत्री नई दिल्ली में आयोजित दिल्ली डिफेंस डायलॉग 2025 में बोल रहे थे। यह कार्यक्रम मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (MP-IDSA) द्वारा आयोजित किया गया था।

Delhi Defence Dialogue 2025: मिलकर करें काम

उन्होंने कहा कि भारत तभी तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बन सकता है जब देश में सैनिक, वैज्ञानिक, स्टार्टअप और रणनीतिकार एक साथ मिलकर काम करें। उनके शब्दों में, “सोल्जर, साइंटिस्ट, स्टार्टअप और स्ट्रैटेजिस्ट की साझेदारी ही भारत को तकनीक निर्माता बना सकती है।”

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राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत को ऐसे सिस्टम और संस्थान बनाने होंगे, जो नई तकनीकों के विकास और अपनाने में तेज और सक्षम हों। उन्होंने कहा कि अगर हमारी नींव मजबूत है और हमारे संस्थान फ्लेक्सिबल हैं तो कोई भी तकनीकी क्रांति हमें दबा नहीं पाएगी, बल्कि हमें आगे बढ़ाएगी।

उन्होंने कहा, “हमें सिर्फ दूसरों की बनाई तकनीक को अपनाने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि हमें खुद नई तकनीकी क्रांतियों के निर्माता बनना चाहिए।”

रक्षा मंत्री ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, क्वांटम कंप्यूटिंग और स्वार्म टेक्नोलॉजी जैसी नई तकनीकों के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि तकनीक की ताकत सिर्फ मशीनों या एल्गोरिद्म में नहीं, बल्कि उस सोच में है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के हर हिस्से को नया रूप देती है।

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‘डिजिटल सोवेरेन्टी से आएगी सच्ची आत्मनिर्भरता

राजनाथ सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को अब डिजिटल संप्रभुता (डिजिटल सोवेरेन्टी) तक बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि “सच्ची रणनीतिक स्वायत्तता तभी मिलेगी जब हमारा कोड भी उतना ही स्वदेशी होगा जितना हमारा हार्डवेयर।”

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उन्होंने बताया कि सरकार अब सुरक्षित और स्वदेशी सॉफ्टवेयर सिस्टम, विश्वसनीय सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन, और भारतीय डेटा पर आधारित एआई मॉडल को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा, “हमें मशीनों और एल्गोरिद्म की शक्ति के साथ-साथ उनके नैतिक और कानूनी पहलुओं पर भी ध्यान देना चाहिए।”

Delhi Defence Dialogue 2025: मानव और मशीन का संतुलन जरूरी

रक्षा मंत्री ने कहा कि तकनीक का उद्देश्य इंसान की सोच को बदलना नहीं, बल्कि उसे और मजबूत बनाना है। उन्होंने कहा कि भारत को उन नई तकनीकों में निवेश करना चाहिए जो न सिर्फ रक्षा क्षेत्र में मदद करें बल्कि नैतिक और मानवीय मूल्यों के साथ आगे बढ़ें।

उन्होंने बताया कि भारत की रक्षा उद्योग अब पहले से कहीं ज्यादा आत्मविश्वास से भरा हुआ है। देश में डीआरडीओ, सशस्त्र बल, उद्योग और शिक्षण संस्थान मिलकर एक ऐसा चक्र बना रहे हैं जो रिसर्च, टेस्ट, फीडबैक और इनोवेशन पर आधारित है।

iDEX और TDF ने बदला डिफेंस इनोवेशन का चेहरा

राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार के दो प्रमुख कार्यक्रम, इनोवेशंस फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (iDEX) और टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड (TDF) देश में एक नई पीढ़ी के इनोवेटर्स को तैयार कर रहे हैं।

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उन्होंने कहा कि “आज छोटे स्टार्टअप से लेकर बड़ी कंपनियों तक, सभी भारत को आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से सक्षम बनाने के मिशन में योगदान दे रहे हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि भविष्य की भारतीय रक्षा तकनीक में अब क्वांटम सेंसर, ऑटोनॉमस सिस्टम और स्पेस सर्विलांस जैसे क्षेत्रों में भारतीय कौशल की छाप होगी।

टेक्नोलॉजी सिर्फ ताकत नहीं, संसाधन का सही इस्तेमाल भी

रक्षा मंत्री ने कहा कि तकनीक को सिर्फ ताकत बढ़ाने का साधन नहीं, बल्कि संसाधन के बेहतर उपयोग का माध्यम भी माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि “कई विकसित देशों में रक्षा खरीद प्रक्रिया में लाइफ साइकिल कॉस्ट का सिद्धांत शामिल है। मैंने निर्देश दिया है कि अब भारत में भी हर रक्षा खरीद प्रस्ताव की शुरुआत में ही उसके रखरखाव और खर्च का आकलन किया जाए।”

उन्होंने कहा कि इससे रक्षा संसाधनों का सही इस्तेमाल सुनिश्चित होगा और दीर्घकालिक योजनाओं में पारदर्शिता बढ़ेगी।

‘विदेश से उपकरण नहीं, सर्वश्रेष्ठ प्रैक्टिस लाएं’

राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों से कहा कि वे सिर्फ नई तकनीक ही नहीं, बल्कि ट्रेनिंग, लॉजिस्टिक्स, और मैनेजमेंट सिस्टम्स में भी दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रैक्टिस को अपनाएं। उन्होंने कहा, “बेहतर है कि हम श्रेष्ठ उपकरणों की बजाय श्रेष्ठ प्रक्रियाएं अपनाएं, क्योंकि जब हमारी प्रणाली मजबूत होगी, तो हम वही उत्कृष्टता खुद बना सकेंगे।”

दिल्ली ब्लास्ट पर बोले रक्षा मंत्री

अपने संबोधन की शुरुआत में रक्षा मंत्री ने दिल्ली में 10 नवंबर को हुए दुखद हादसे में जान गंवाने वालों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि देश की जांच एजेंसियां मामले की तेजी से जांच कर रही हैं और दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।

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