📍नासिक | 17 Oct, 2025, 4:01 PM
LCA Mark 1A Nashik: भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान एलसीए तेजस मार्क-1ए की नासिक से पहली उड़ान के बाद इस फाइटर जेट पर दुनियााभर की निगाहें हैं। दुनिया के कई देशों ने इस विमान को खरीदने में रुचि दिखाई है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक डॉ. डीके सुनील ने बताया कि कई देशों के साथ बातचीत प्रारंभिक स्तर पर चल रही है।
उन्होंने कहा, “हां, कई देशों ने तेजस मार्क-1ए में रुचि दिखाई है। यह बातचीत शुरुआती चरण में है, लेकिन यह देखकर संतोष होता है कि दुनिया भारत के विमान को एक विश्वस्तरीय प्लेटफॉर्म के रूप में देख रही है।”
शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एएचएल के नासिक परिसर में तेजस मार्क-1ए की तीसरी उत्पादन लाइन और स्वदेशी ट्रेनर विमान एचटीटी-40 की दूसरी प्रोडक्शन लाइन का उद्घाटन किया। तेजस मार्क-1ए इस प्रोडक्शन लाइन पर बना पहला विमान है जिसने शुक्रवार को सफल उड़ान भरी।
एचएएल चेयरमैन ने कहा कि यह विमान दो साल से भी कम समय में तैयार हुआ है, जो एचएएल नासिक डिवीजन की एफिशिएंसी और टेक्निकल कंपीटेंस को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “हमारी यह यूनिट पहले मिग-21, मिग-27 और सुखोई-30 जैसे लड़ाकू विमानों का उत्पादन करती थी। अब यहां स्वदेशी तेजस तैयार किया जा रहा है। दो और तेजस मार्क-1ए विमान बन रहे हैं जो आने वाले महीनों में तैयार हो जाएंगे।”
डॉ. सुनील ने बताया कि एचएएल के पास अब तीन एक्टिव प्रोडक्शन लाइनें हैं, दो बेंगलुरु में और एक नासिक में। उन्होंने कहा, “हमने उत्पादन क्षमता बढ़ाने का फैसला किया था और आज उसका परिणाम सबके सामने है। यह हमारे लिए गर्व का क्षण है कि तेजस अब नासिक से उड़ान भर चुका है।”
उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार ने एचएएल को 180 तेजस विमान बनाने का कार्य सौंपा है, जिसे 2032-33 तक पूरा करने का लक्ष्य है। उसके बाद इन्हीं प्रोडक्शन फैसिलिटी का इस्तेमाल एलसीए मार्क-2 के लिए किया जाएगा।
तेजस मार्क-1ए को चौथी और पांचवीं पीढ़ी के विमानों के बीच की तकनीक पर आधारित “4.5 जनरेशन” मल्टी-रोल फाइटर माना जाता है। यह एयर डिफेंस, ग्राउंड अटैक और मैरीटाइम मिशंस को भी अंजाम दे सकता है। इसमें एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग, डिजिटल फ्लाई-बाय-वायर सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट और एडवांस्ड रडार सिस्टम जैसी खूबियां हैं।
एलसीए मार्क-1ए की तुलना जब दुनिया के दूसरे लड़ाकू विमानों, जैसे जेएफ-17 से की जाती है, तो डॉ. सुनील ने कहा, “तेजस अब किसी भी आधुनिक विमान के बराबर है। इसमें लगे एवियोनिक्स और वेपन सिस्टम्स अत्याधुनिक हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह विमान पूरी तरह हमारे कंट्रोल में है, चाहे सॉफ्टवेयर हो या हार्डवेयर। हम इसमें नए हथियार और क्षमताएं खुद जोड़ सकते हैं, जो किसी विदेशी मदद पर निर्भर नहीं हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि तेजस मार्क-1ए की सबसे बड़ी ताकत उसकी मेंटेनेबिलिटी है। एचएएल इसे अपनी लैब में अपग्रेड और मेंटेन कर सकता है। उन्होंने कहा, “तेजस ऐसा विमान है जिसे हम खुद बनाएंगे, खुद उड़ाएंगे और खुद ही अपग्रेड भी करेंगे। यही आत्मनिर्भर भारत की असली परिभाषा है।”
एचटीटी-40 प्रोग्राम के बारे में उन्होंने बताया, “आज यहां नासिक में दूसरी उत्पादन लाइन शुरू की गई है। पहला विमान लगभग तैयार है और इंजन ग्राउंड टेस्टिंग के चरण में है। बेंगलुरु में भी पहला विमान लगभग लास्ट फेज में है। दोनों डिवीजन तेजस और एचटीटी-40 विमानों का प्रोडक्शन एक साथ करेंगे और प्रो़डक्शन प्रोसेस अच्छी गति से आगे बढ़ रही है।”
उन्होंने कहा, “हमें भरोसा है कि इस साल के भीतर कुछ विमान तैयार हो जाएंगे। हम लगातार काम कर रहे हैं ताकि इन विमानों को जल्द से जल्द परीक्षण और उड़ान के लिए तैयार किया जा सके।”
कार्यक्रम में मौजूद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी तेजस के प्रदर्शन की सराहना की। उन्होंने कहा, “यह भारत की नई रक्षा सोच और आत्मनिर्भरता की उड़ान है। तेजस यह साबित करता है कि अब भारत रक्षा तकनीक में किसी देश से पीछे नहीं है। आज जो विमान विदेशों से खरीदे जाते थे, वही अब भारत की धरती पर बन रहे हैं।”
राजनाथ सिंह ने तेजस उड़ाने वाले पायलटों को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने भारत के गर्व को आसमान तक पहुंचाया है। उन्होंने कहा, “नासिक के इंजीनियरों और तकनीशियनों ने जिस समर्पण से काम किया है, वह भारत की नई रक्षा क्षमता का आधार बनेगा।”
तेजस की उड़ान के बाद एक वरिष्ठ पायलट ने बताया कि विमान की हैंडलिंग और एवियोनिक्स सिस्टम बेहद एक्यूरेट हैं। उन्होंने कहा, “तेजस किसी भी मौजूदा लड़ाकू विमान से मुकाबला कर सकता है। यह हल्का, फुर्तीला और भरोसेमंद है, और सबसे बड़ी बात, यह पूरी तरह हमारा है।”
एएचएल अधिकारियों ने बताया कि नासिक की नई असेंबली लाइन 1.3 मिलियन वर्ग फीट में फैली हुई है और इसे तैयार करने में लगभग 500 करोड़ रुपये की लागत आई है। यहां तेजस के फ्रंट, सेंटर और रियर फ्यूजलाज, विंग्स और एयर इनटेक मॉड्यूल्स तैयार किए जाते हैं।