📍चंडीगढ़ | 29 Oct, 2025, 1:36 PM
Soldier War Injury status: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भारतीय सेना के एक जवान को वॉर इंजरी स्टेटस देने का आदेश दिया है। यह फैसला उस मामले में आया है, जिसमें जवान आतंकियों की तलाश के दौरान पनार नाला में गिरकर घायल हो गया था। अदालत ने कहा कि ऑपरेशनल एरिया में ड्यूटी के दौरान हुई कोई भी दुर्घटना बैटल कैजुअल्टी मानी जाएगी।
अदालत के इस फैसलले से सेना के हजारों जवानों को राहत मिली है, जो आतंकवाद-रोधी अभियानों में ड्यूटी के दौरान घायल हुए हैं, लेकिन उन्हें अब तक सामान्य चोट का दर्जा देकर सीमित लाभ दिए जाते थे।
मामला हवलदार संजीब कुमार का है, जो जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन रक्षक के तहत आतंकवाद-रोधी अभियान में तैनात थे। ड्यूटी के दौरान जब वे आतंकियों की तलाश कर रहे थे, तो पनार नाला में गिरकर घायल हो गए। उन्हें फ्रैक्चर (डिस्टल रेडियस) हुआ और बाद में उन्हें लो मेडिकल कैटेगरी में डाल दिया गया।
सेना ने उन्हें डिसएबिलिटी पेंशन तो दी, लेकिन वार इंजरी पेंशन देने से इनकार कर दिया। इसके बाद हवलदार संजीब कुमार ने आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया। 22 नवंबर 2023 को आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल चंडीगढ़ बेंच ने उनके पक्ष में फैसला दिया और वार इंजरी पेंशन देने का आदेश जारी किया।
इस फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार हाईकोर्ट पहुंच गई। लेकिन अब पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भी सैनिकों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सरकार की याचिका खारिज कर दी।
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में शामिल जस्टिस हरसिमरन सिंह और जस्टिस विकास सूरी ने कहा कि सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित किए गए ऑपरेशनों को कैटेगरी ई के तहत बैटल कैजुअल्टी माना गया है।
अदालत ने कहा, “केंद्र सरकार यह साबित नहीं कर पाई कि सैनिक उस समय ऑपरेशनल ड्यूटी पर नहीं था। वह नियंत्रण रेखा पर तैनात था और ऑपरेशन रक्षक के दौरान आतंकियों की खोज में निकला था। इसलिए यह चोट ड्यूटी से जुड़ी हुई है और ऑपरेशनल एरिया में हुई दुर्घटना है, जिसे वॉर इंजरी माना जाएगा।”
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि काउंटर-इंसर्जेंसी अभियानों में हुई कोई भी दुर्घटना, चाहे वह गोलीबारी में हो या दुर्घटनावश, उसे वॉर कैजुअल्टी के समान माना जाएगा।
वहीं, इस फैसले के बाद हवलदार संजीब कुमार को वॉर इंजरी पेंशन दी जाएगी। इस पेंशन में सामान्य डिसएबिलिटी पेंशन से अधिक फायदे मिलते हैं। इसमें पूर्ण वेतन का प्रतिशत, लाइफटाइम मेडिकल सुविधा, और परिवार को स्थायी लाभ शामिल हैं।
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यह फैसला ऐसे सभी मामलों पर लागू होगा, जहां सैनिक ऑपरेशनल क्षेत्र में दुर्घटना का शिकार हुए हों और उन्हें “नॉन-बैटल इंजरी” कहकर फायदे देने से वंचित किया गया हो।
