📍नई दिल्ली | 19 hours ago
MEA grievance redressal: सरकार ने लोकसभा में बताया है कि दुनियाभर की जेलों में फिलहाल 10,574 भारतीय नागरिक बंद हैं। इनमें से कई मौत की सजा का सामना कर रहे हैं, जबकि सैकड़ों लोग खाड़ी देशों में कानूनी सहायता और मदद का इंतज़ार कर रहे हैं। लोकसभा में पूछे गए दो सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय के राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया कि खाड़ी देशों में भारतीय श्रमिकों की सुरक्षा, मदद और कल्याण के लिए कई हेल्पलाइन और समझौते (MoUs) सक्रिय हैं। साथ ही, श्रीलंका में बंद 28 भारतीय मछुआरों की रिहाई के लिए भी भारत लगातार प्रयास कर रहा है।
MEA grievance redressal: खाड़ी देशों में मजदूरों के लिए हेल्पलाइन
लोकसभा में पूछे गए सवालों के जवाब में विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया कि भारत सरकार ने खाड़ी देशों में काम करने वाले भारतीय मजदूरों/श्रमिकों, खासकर गुजरात जैसे राज्यों से जाने वाले श्रमिकों के लिए कई तरह की सहायता सुविधाएं और शिकायत निवारण तंत्र (Grievance Redressal Mechanism) स्थापित किए हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय दूतावास और मिशन मजदूरों को कई माध्यमों के जरिए मदद प्रदान करते हैं। वहां मौजूद भारतीय कामगारों को व्यक्तिगत रूप से मिलने की सुविधा (वॉक-इन), ईमेल, सोशल मीडिया, 24 घंटे उपलब्ध आपातकालीन नंबर, और MADAD व CPGRAMS जैसे ऑनलाइन शिकायत निवारण पोर्टल के जरिए मदद दी जाती है। इसके अलावा, खाड़ी देशों में भारतीय मिशनों ने टोल-फ्री हेल्पलाइन, व्हाट्सएप नंबर, और मोबाइल एप शुरू किए हैं, ताकि संकट में फंसे भारतीय नागरिक आसानी से संपर्क कर सकें।
महिलाओं को स्वदेश वापसी की सुविधा
इन सुविधाओं का मकसद है कि संकट में फंसे भारतीय मजदूरों को बिना किसी देरी के मदद दी जा सके। विशेष रूप से महिला मजदूरों की सुरक्षा के लिए भारतीय दूतावासों ने कई व्यवस्थाएं की हैं। जो महिलाएं किसी मुश्किल में हैं, उन्हें ठहरने की जगह, खाना, चिकित्सा उपचार, और स्वदेश वापसी की सुविधा दी जाती है। ऐसी महिलाएं दिन के किसी भी समय दूतावास से संपर्क कर सकती हैं, और उन्हें पूरी मदद दी जाती है, जब तक कि वे सुरक्षित भारत वापस न आ जाएं। इसके अलावा, दुबई (यूएई), रियाद और जेद्दा (सऊदी अरब), और मलेशिया के कुआलालंपुर में प्रवासी भारतीय सहायता केंद्र (Pravasi Bharatiya Sahayata Kendra – PBSK) भी मौजूद हैं।
प्रवासी श्रमिकों के लिए कल्याण योजनाएं
इसके अलावा, सरकार ने प्रवासी वासी भारतीय बीमा योजना (Pravasi Bharatiya Bima Yojana – PBBY) और यात्रा से पहले जागरूकता प्रशिक्षण (Pre-Departure Orientation & Training – PDOT) जैसे कार्यक्रम शुरू किए हैं। इन योजनाओं का लक्ष्य है कि भारतीय कामगार सुरक्षित तरीके से विदेश जाएं, वहां अच्छे काम और रहने की स्थिति पाएं, अपने अधिकारों के बारे में जागरूक हों, और सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें। इन कार्यक्रमों के तहत कामगारों को विदेश जाने से पहले प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वे वहां की कानूनी और सामाजिक परिस्थितियों से परिचित हो सकें।
महिला श्रमिकों की सुरक्षा के लिए विशेष कदम
खाड़ी देशों में काम करने वाली भारतीय महिलाओं, खासकर ECR (Emigration Check Required) श्रेणी की पासपोर्ट धारक महिलाओं, के लिए सरकार ने विशेष सुरक्षा उपाय किए हैं। इनमें घरेलू क्षेत्र में काम करने वाली महिलाएं भी शामिल हैं, जो शोषण के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। सरकार ने केवल सरकारी भर्ती एजेंसियों को ही ऐसी महिलाओं की भर्ती की अनुमति दी है, और यह प्रक्रिया e-Migrate पोर्टल के जरिए होती है। इसके अलावा, ऐसी महिलाओं के लिए विदेश में काम करने की न्यूनतम आयु 30 वर्ष निर्धारित की गई है, ताकि उनके शोषण की संभावना कम हो।
ICWF के ज़रिए कानूनी और आर्थिक सहायता
भारतीय मिशनों द्वारा संकट में फंसे भारतीय नागरिकों की मदद के लिए भारतीय समुदाय कल्याण निधि (Indian Community Welfare Fund-ICWF) का उपयोग किया जाता है। इस निधि के तहत जरूरतमंद लोगों को ठहरने की जगह, स्वदेश वापसी के लिए हवाई टिकट, कानूनी सहायता, आपातकालीन चिकित्सा, और छोटे जुर्माने का भुगतान जैसी सुविधाएं दी जाती हैं। यह निधि उन भारतीयों की मदद करती है, जो विदेश में आर्थिक या कानूनी संकट में फंस जाते हैं।
यूएई, ओमान और सऊदी अरब के साथ समझौते
भारत ने खाड़ी देशों के साथ श्रम और मानव संसाधन सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के साथ 2018 में, ओमान के साथ 2008 में, और सऊदी अरब के साथ 2016 में हुए समझौते शामिल हैं। इन समझौतों के तहत संयुक्त कार्य समूह (Joint Working Group) बनाए गए हैं, जो नियमित बैठकों में कामगारों की सुरक्षा और कल्याण से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करते हैं। ये समझौते भारतीय श्रमिकों के हितों की रक्षा और उनके कामकाजी माहौल को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन बैठकों में कामगारों की शिकायतों, काम की परिस्थितियों, और उनके अधिकारों पर विचार-विमर्श होता है।
विदेशी जेलों में 10,574 भारतीय, 43 को मौत की सजा
लोकसभा में पूछे गए एक अन्य सवाल के जवाब में सरकार ने खुलासा किया कि इस समय 10,574 भारतीय नागरिक विदेशी जेलों में बंद हैं। इनमें से 43 ऐसे हैं, जिन्हें मौत की सजा सुनाई गई है। विभिन्न देशों में भारतीय कैदियों की संख्या के आंकड़े बताते हैं कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में सबसे अधिक 2,773 भारतीय कैदी हैं, इसके बाद सऊदी अरब में 2,379, कतर में 795, यूनाइटेड किंगडम में 323, कुवैत में 342, मलेशिया में 380, नेपाल में 1,357, पाकिस्तान में 246, अमेरिका में 175, और चीन में 183 भारतीय नागरिक जेलों में हैं।
मौत की सजा का सामना कर रहे 43 भारतीयों में से सबसे ज्यादा यूएई में 21, सऊदी अरब में 7, और चीन में 4 हैं। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि कई देशों में सख्त निजता कानूनों के कारण भारतीय मिशनों को कैदियों की जानकारी प्राप्त करने में मुश्किल होती है। ये जानकारी तभी मिल पाती है, जब कैदी स्वयं इसके लिए सहमति दे।
सरकार की ओर से उठाए गए कदम
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, जैसे ही किसी भारतीय के गिरफ्तार होने की जानकारी मिलती है, मिशन तत्काल वहां की सरकार से संपर्क करता है और उस व्यक्ति की स्थिति की जानकारी लेता है। मिशन यह सुनिश्चित करता है कि उस व्यक्ति के मूल अधिकारों की रक्षा हो। मिशन यह भी प्रयास करते हैं कि मुकदमा जल्द खत्म हो और यदि संभव हो तो सज़ा को माफ करवा लिया जाए। इसके अलावा, जिन देशों के साथ भारत का कैदी स्थानांतरण समझौता है, वहां कोशिश की जाती है कि सज़ा भारत में पूरी की जाए।
बनाया स्थानीय वकीलों का पैनल
भारत ने कई देशों के साथ कैदी हस्तांतरण संधियां की हैं, जिनके तहत सजा काट रहे भारतीय अपने देश में सजा पूरी कर सकते हैं। भारतीय मिशन उन देशों में स्थानीय वकीलों का पैनल रखते हैं, जहां भारतीय समुदाय की संख्या अधिक है। इन वकीलों की मदद से कैदियों को कानूनी सहायता दी जाती है। ICWF के तहत कैदियों को कानूनी सहायता, यात्रा दस्तावेज, और स्वदेश वापसी के लिए हवाई टिकट जैसी सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं। भारतीय दूतावास इन सुविधाओं के लिए कोई शुल्क नहीं लेते।
श्रीलंका में 28 भारतीय मछुआरे बंद
सरकार ने यह भी बताया कि 15 जुलाई 2025 तक 28 भारतीय मछुआरे श्रीलंका की जेलों में बंद हैं। इनमें से 27 तमिलनाडु से और 1 पुडुचेरी से हैं। भारत सरकार ने बताया कि मछुआरों की सुरक्षा और कल्याण उसकी प्राथमिकता है और श्रीलंका से इनकी जल्द रिहाई की मांग लगातार उठाई जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 5 अप्रैल 2025 को श्रीलंका के राष्ट्रपति से हुई मुलाकात में इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया था। भारत ने श्रीलंका से अपील की है कि इस मामले को मानवीय और आजीविका के आधार पर देखा जाए। मछुआरों से जुड़े मुद्दों को जॉइंट वर्किंग ग्रुप की बैठकों में भी उठाया जाता है, जिसमें तमिलनाडु सरकार के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। आखिरी जॉइंट वर्किंग ग्रुप बैठक 29 अक्टूबर 2024 को हुई थी। भारतीय कांसुलर अधिकारी नियमित रूप से स्थानीय जेलों और हिरासत केंद्रों का दौरा करते हैं, ताकि मछुआरों की स्थिति का जायजा लिया जाए और उनकी रिहाई और स्वदेश वापसी में मदद की जाए।
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