📍नई दिल्ली | 16 Nov, 2025, 10:05 PM
INS Mahe Commissioning: भारतीय नौसेना ने पहले माहे क्लास एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट आईएनएस माहे को 24 नवंबर को मुंबई के नेवल डॉकयार्ड में कमीशन करने की तैयारी पूरी कर ली है। यह जहाज माहे क्लास की आठ यूनिट्स में पहली है और इसे 23 अक्टूबर को नौसेना को डिलीवर किया गया था। माहे क्लास उथले पानी में पनडुब्बियों का पता लगाने और उनका मुकाबला करने के लिए डिजाइन की गई है।
माहे की लंबाई लगभग 78 मीटर और डिस्प्लेसमेंट लगभग 1,100 टन है। यह शैलो वाटर क्राफ्ट 25 नॉट्स तक की रफ्तार दे सकती है और इसका ड्राफ्ट इसलिए कम रखा गया है ताकि यह तटीय और उथले इलाकों में स्वतंत्र रूप से ऑपरेट कर सके। शिप में 80 फीसदी से अधिक इंडिजिनस कंटेंट इस्तेमाल किया गया है।
जहाज में एडवांस्ड सेंसर और हथियार लगे हैं। माहे में हल-माउंटेड सोनार और लो-फ्रीक्वेंसी वेरिएबल डेप्थ सोनार लगे हैं जो पानी के नीचे लक्ष्यों का पता लगाने में सक्षम हैं। इसके साथ ही इसमें टॉरपीडो लॉन्चर, मल्टी-फंक्शनल एंटी-सबमरीन रॉकेट सिस्टम, आधुनिक रडार और फायर-कंट्रोल सिस्टम लगे हैं। माहे में माइन-लेइंग क्षमता और स्टेल्थ खूबियां भी हैं।
🚢 Indian Navy to Commission INS Mahe 🇮🇳
Another proud chapter in India’s indigenous shipbuilding journey!
On 24 Nov 2025, the Navy will commission INS Mahe, the first of eight ASW Shallow Water Crafts, built by Cochin Shipyard Limited, Kochi.
With over 80% indigenous content,… pic.twitter.com/U7UDn1rZ2q— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) November 16, 2025
माहे-क्लास का नाम भारत के मालाबार तट पर स्थित माहे नामक ऐतिहासिक बंदरगाह से लिया गया है। जहाज के क्रेस्ट में ‘उरुमी’ की फोटो है, जो केरल की पारंपरिक युद्धक तलवार है।
INS Mahe Commissioning
माहे-क्लास की कुल आठ शिपें कोचीन शिपयार्ड बना रहा है जबकि दूसरी कैटेगरी की आठ एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स तैयार कर रहा है। कुल मिलाकर 16 शैलो वाटर क्राफ्ट बनने हैं, जो उत्तरी और पूर्वी तटीय क्षेत्रों में तैनाती के लिए काम आएंगी। माहे क्लास छोटे आकार की होने के बावजूद तुरंत प्रतिक्रिया देने के साथ समुद्री इलाके में अंडरवाटर खतरे से निपटने की क्षमता है।
नौसेना सूत्रों के अनुसार माहे की कमीशनिंग से तटीय सुरक्षा और समुद्री निगरानी का दायरा मजबूत होगा। यह जहाज विशेषकर उन क्षेत्रों में काम देगा जहां बड़े डेस्ट्रॉयर्स और फ्रिगेट्स का जाना मुश्किल होता है। माहे पुराने अभय क्लास कोरवेट्स की जगह भी लेने के लिए तैयार है और यह कोस्टल डिफेंस आपरेशंस को नई क्षमता देगा।
