back to top
HomeIndian NavyINS Androth in Indian Navy: भारतीय नौसेना में शामिल हुआ दूसरा एंटी-सबमरीन...

INS Androth in Indian Navy: भारतीय नौसेना में शामिल हुआ दूसरा एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट, 14 और जहाज कमीशनिंग के लिए कतार में

आईएनएस अंद्रोथ को आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत स्वदेश में ही बनाया गया है। इस जहाज में 80 फीसदी से अधिक स्वदेशी सामग्री और तकनीक इस्तेमाल की गई है। वहीं, इस जहाज को कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स ने बनाया है, जिसने इससे पहले आईएनएस अर्नाला को भी बनाया है...

रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US
Read Time 0.45 mintue

📍नई दिल्ली | 6 Oct, 2025, 2:27 PM

INS Androth in Indian Navy: भारतीय नौसेना ने आज विशाखापत्तनम के नेवल डॉकयार्ड में आईएनएस अंद्रोथ को औपचारिक रूप से अपने बेड़े में शामिल कर लिया। अंद्रोथ भारतीय नौसेना का दूसरा एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट है, जो INS Androth का हिस्सा है। ईस्टर्न नेवल कमांड के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल राजेश पेंढरकर ने आईएनएस अंद्रोथ को नौसेना में कमीशन किया।

INS Arnala Commissioning: पाकिस्तानी पनडुब्बियों का ऐसे शिकार करेगा INS अर्णाला, जानिए भारतीय नेवी के लिए क्यों है ये खास?

INS Androth in Indian Navy आईएनएस अंद्रोथ को आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत स्वदेश में ही बनाया गया है। इस जहाज में 80 फीसदी से अधिक स्वदेशी सामग्री और तकनीक इस्तेमाल की गई है। वहीं, इस जहाज को कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स ने बनाया है, जिसने इससे पहले आईएनएस अर्नाला को भी बनाया है।

आईएनएस अंद्रोथ की ऑपरेशनल क्षमता

आईएनएस अंद्रोथ की लंबाई 77.6 मीटर और चौड़ाई 10.5 मीटर है। इसका ड्राफ्ट 2.7 मीटर है और डिस्प्लेसमेंट लगभग 1,490 टन (ग्रॉस टनेज) है। यह जहाज तीन डीजल इंजन से चलने वाले वॉटरजेट प्रोपल्जन सिस्टम से लैस है, जिससे यह 25 नॉट्स की अधिकतम रफ्तार प्राप्त कर सकता है। 14 नॉट्स की रफ्तार पर इसकी रेंज 1,800 नॉटिकल मील तक है, जिससे यह लंबे समय तक तटीय और उथले जलक्षेत्रों में लगातार ऑपरेशन कर सकता है।

इस जहाज में सात अधिकारी समेत कुल 57 सदस्यीय चालक दल है। यह भारतीय नौसेना का अब तक का सबसे बड़ा शैलो वाटर वेसल है जो उथले पानी में भी ऑपरेशन कर सकता है।

लगे हैं अत्याधुनिक हथियार और सेंसर सिस्टम

आईएनएस अंद्रोथ में एडवांस सोनार और सेंसर सिस्टम लगे हैं, जिनमें हल-माउंटेड सोनार, लो-फ्रीक्वेंसी वेरिएबल डेप्थ सोनार और इंटीग्रेटेड एंटी-सबमरीन वॉरफेयर डिफेंस सूट शामिल हैं, जिसे महिंद्रा डिफेंस ने बनाया है। जिसकी मदद से यह जहाज पानी के भीतर छिपी पनडुब्बी को भी ट्रेक कर सकता है।

यह भी पढ़ें:  India-France Deal: अगले हफ्ते मिल सकती है 26 राफेल-M और तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बी डील को CCS की मंजूरी, फरवरी में पेरिस जाएंगे पीएम मोदी

हथियारों में लाइटवेट टॉरपीडो, स्वदेशी एंटी-सबमरीन रॉकेट्स, 30 मिमी नेवल गन और दो 12.7 मिमी स्टेबलाइज्ड रिमोट कंट्रोल्ड गन शामिल हैं। इन सभी हथियारों और सेंसरों को नेटवर्क में जोड़कर एक एंटी सबमरीन शील्ड तैयार की गई है, जो किसी भी नजदीकी या मध्यम दूरी के खतरे का जवाब तुरंत देने में सक्षम है।

जहां पारंपरिक जहाज फेल, वहां अंद्रोथ रहेगा एक्टिव

आईएनएस अंद्रोथ को खास तौर पर लिटोरल जोन यानी तटीय जलक्षेत्र में तैनाती के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी मुख्य भूमिका शैलो वाटर में दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाना, ट्रैक करना और उन्हें तबाह करना है। इसके अलावा यह जहाज मैरिटाइम सर्विलांस, सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन, माइन लेइंग, तटीय रक्षा और लो इंटेंसिटी मैरिटाइम ऑपरेशंस जैसे अभियानों में भी भाग ले सकता है।

इसकी तैनाती से भारतीय नौसेना की नॉर्थ-वेस्टर्न, ईस्टर्न और आइलैंड कमांड्स की क्षमताओं में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी। यह जहाज विशेष रूप से उन इलाकों में तैनात किया जाएगा जहां उथले पानी में पारंपरिक बड़े जहाज आसानी से काम नहीं कर पाते हैं।

इस जहाज का नाम अंद्रोथ द्वीप के नाम पर रखा गया है, जो लक्षद्वीप समूह का उत्तरी छोर है। अंद्रोथ द्वीप ऐतिहासिक और रणनीतिक दृष्टि से भारत के समुद्री क्षेत्र में एक अहम स्थान रखता है। इस नामकरण से भारतीय नौसेना ने न केवल भौगोलिक विरासत का सम्मान दिया है बल्कि तटीय इलाकों की सामरिक अहमियत समझा है।

आईएनएस अर्नाला क्लास का हिस्सा – INS Androth in Indian Navy

आईएनएस अंद्रोथ दरअसल, आईएनएस अर्नाला क्लास के 16 जहाजों में से दूसरा है। इस क्लास के जहाज पुराने अभय-क्लास कोरवेट्स की जगह ले रहे हैं। पहले आठ जहाज कोलकाता स्थित जीआरएसई द्वारा बनाए जा रहे हैं जबकि बाकी आठ कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा तैयार किए जा रहे हैं। सभी जहाज 80 फीसदी से अधिक स्वदेशी सामग्री से बनाए जा रहे हैं और इनकी डिलीवरी 2025 से 2028 के बीच चरणबद्ध तरीके से होगी।

यह भी पढ़ें:  TECHNOLOGY DEVELOPMENT FUND: सरकार ने लोकसभा में बताया TDF योजना से आत्मनिर्भर भारत को कितना हुआ फायदा, डेवलप की ये खास तकनीकें

INS Androth in Indian Navy को 18 जून को कमीशन किया गया था, जबकि आईएनएस अंद्रोथ 6 अक्टूबर को शामिल हुआ। आने वाले महीनों में इसी क्लास के अन्य जहाज जैसे आईएनएस अरिहंत, आईएनएस अमिनिदिवि, आईएनएस अंजादिवी और आईएनएस अजय भी नौसेना में शामिल होने की प्रक्रिया में हैं। सभी जहाज भारतीय द्वीपों के नाम पर रखे गए हैं, जो राष्ट्रीय एकता और समुद्री विरासत का प्रतीक हैं।

2035 तक हों 200 युद्धपोत और पनडुब्बियां

भारतीय नौसेना लगातार अपनी समुद्री ताकत को तेजी से मजबूत बनाने की दिशा में बढ़ रही है। लक्ष्य है कि वर्ष 2035 तक भारतीय नौसेना के पास 200 से अधिक युद्धपोत और पनडुब्बियां हों, ताकि देश के विशाल समुद्री हितों की रक्षा की जा सके और चीन व पाकिस्तान से समुद्री मोर्चे पर बढ़ती दोहरी चुनौतियों का मुकाबला किया जा सके।

वर्तमान में भारतीय शिपयार्ड्स में 55 छोटे-बड़े युद्धपोतों का निर्माण लगभग 99,500 करोड़ रुपये की लागत से चल रहा है। इसके अलावा, नौसेना को 74 नए जहाजों और पोतों के स्वदेशी निर्माण के लिए 2.35 लाख करोड़ रुपये की स्वीकृति मिल चुकी है। इनमें नौ डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां, सात अगली पीढ़ी की स्टेल्थ फ्रिगेट्स, आठ एंटी-सबमरीन वारफेयर कोरवेट्स और 12 माइन-काउंटरमेजर वेसल शामिल हैं।

वर्तमान में नौसेना के पास 140 युद्धपोत

नौसेना भविष्य में चार अगली पीढ़ी के 10,000 टन डिस्प्लेसमेंट वाले डेस्ट्रॉयर्स और एक दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने पर भी विचार कर रही है, जो पुराने आईएनएस विक्रमादित्य की जगह लेगा। वर्तमान में नौसेना के पास कुल 140 युद्धपोत हैं, जिनमें 17 डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां और दो एसएसबीएन शामिल हैं, साथ ही 250 से अधिक विमान और हेलिकॉप्टर भी हैं।

यह भी पढ़ें:  Project 75I submarine deal: मझगांव डॉक्स बनेगा देश में सबमरीन बनाने का सबसे बड़ा हब, सरकार ने दी ये बड़ी मंजूरी

2035 तक यह संख्या 200 युद्धपोत और पनडुब्बियों तथा 350 नौसैनिक विमानों तक पहुंचाने की योजना है। चीन के पास फिलहाल 370 युद्धपोतों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है और वह हिंद महासागर में अपना प्रभाव तेजी से बढ़ा रहा है। वहीं पाकिस्तान को भी चीन से आधुनिक हंगोर-क्लास पनडुब्बियां मिलने वाली हैं, जिससे उसकी समुद्री क्षमता में बड़ा इजाफा होगा।

INS Androth commissioning marks a significant milestone in India’s naval modernisation and self-reliance drive. Commissioned on 6 October 2025 at Naval Dockyard, Visakhapatnam, INS Androth is the second Anti-Submarine Warfare Shallow Water Craft (ASW-SWC) built by GRSE, Kolkata with over 80% indigenous content. Designed for coastal and shallow water operations, it features advanced sonar, weapons, and waterjet propulsion systems for high manoeuvrability. The vessel enhances India’s anti-submarine warfare capabilities, maritime surveillance, and coastal defence, showcasing the Indian Navy’s focus on Aatmanirbharta and indigenous innovation. This induction strengthens India’s maritime security architecture significantly.

Author

  • News Desk

    रक्षा समाचार न्यूज डेस्क भारत की अग्रणी हिंदी रक्षा समाचार टीम है, जो Indian Army, Navy, Air Force, DRDO, रक्षा उपकरण, युद्ध रणनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी विश्वसनीय और विश्लेषणात्मक खबरें प्रस्तुत करती है। हम लाते हैं सटीक, सरल और अपडेटेड Defence News in Hindi। हमारा उद्देश्य है – "हर खबर, देश की रक्षा के लिए।"

रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US
News Desk
News Desk
रक्षा समाचार न्यूज डेस्क भारत की अग्रणी हिंदी रक्षा समाचार टीम है, जो Indian Army, Navy, Air Force, DRDO, रक्षा उपकरण, युद्ध रणनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी विश्वसनीय और विश्लेषणात्मक खबरें प्रस्तुत करती है। हम लाते हैं सटीक, सरल और अपडेटेड Defence News in Hindi। हमारा उद्देश्य है – "हर खबर, देश की रक्षा के लिए।"

Most Popular

Share on WhatsApp