📍नई दिल्ली | 2 days ago
India-China LAC: कैलाश मानसरोवर यात्रा की शुरूआत भारत-चीन संबंधों में बड़ा बदलाव लाने वाली है। 2020 में गलवान घाटी की हिंसक झड़प के बाद बंद हुई यह यात्रा दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली का एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके साथ ही, भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पूर्वी लद्दाख में पेट्रोलिंग पॉइंट्स और महत्वपूर्ण जगहों की जियोटैगिंग शुरू की है, ताकि सीमा की स्पष्ट पहचान हो और भारतीय सैनिकों को पेट्रोलिंग में आसानी हो। इसके अलावा दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच लगातार बातचीत जैसे कदम भी उठाए जा रहे हैं।

India-China LAC: पिछले साल अक्टूबर में शुरू हुई थी डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया
2020 में गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद भारत और चीन के बीच LAC पर तनाव चरम पर पहुंच गया था। इस दौरान दोनों देशों की सेनाओं ने भारी तैनाती की और कई क्षेत्रों में पेट्रोलिंग बंद हो गई थी। लेकिन पिछले साल 21 अक्टूबर को दोनों देशों के बीच LAC पर पेट्रोलिंग की व्यवस्था को लेकर एक महत्वपूर्ण समझौता (India-China LAC) हुआ। इस समझौते के तहत 2020 में शुरू हुए तनाव को कम करने और सैनिकों को पीछे हटाने (डिसइंगेजमेंट) की प्रक्रिया को शुरू किया गया।
इसके बाद, रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक के बाद शांति बहाली की प्रक्रिया को और मजबूती दी। अक्टूबर 2024 के अंत तक, दोनों पक्षों ने डिसइंगेजमेंट (India-China LAC) की प्रक्रिया पूरी कर ली थी। इस दौरान दीपावली पर दोनों देशों के सैनिकों ने एक-दूसरे को मिठाइयां भी बांटीं। इसके बाद, भारतीय सेना ने बताया था कि उसने पूर्वी लद्दाख के देपसांग क्षेत्र में पांच पेट्रोलिंग पॉइंट्स में से एक पर पहली बार 2020 के बाद गश्त की।
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India-China LAC: जियोटैगिंग से क्या फायदा होगा?
LAC पर भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर हमेशा से विवाद रहा है। भविष्य में इस तरह के विवादों को खत्म करने के लिए जियोटैगिंग की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। सूत्रों ने बताया कि कुछ पहाड़ियां तो आसानी से पहचानी जा सकती है, लेकिन कई जगहों को लेकर पर दोनों देशों की धारणाएं अलग-अलग हैं। इन मतभेदों को कम करने के लिए भारत ने LAC पर पेट्रोलिंग पॉइंट्स, महत्वपूर्ण स्थानों, और अन्य पहचान चिह्नों की जियोटैगिंग शुरू की है।
जियोटैगिंग का मतलब है इन स्थानों की भौगोलिक स्थिति को डिजिटल रूप से रिकॉर्ड करना, ताकि उनकी सटीक लोकेशन और सीमाएं स्पष्ट हो सकें। इससे न केवल भारतीय सैनिकों को गश्त में आसानी होगी, बल्कि चीनी सैनिकों के साथ टकराव की आशंका भी कम होगी। सूत्रों के अनुसार, यह कदम भविष्य में सीमा विवाद (India-China LAC) के समाधान के लिए होने वाली बातचीत में भी मददगार साबित होगा।
India-China LAC: निगरानी तंत्र को किया मजबूत
पिछले छह महीनों में भारत ने LAC पर निगरानी को और मजबूत किया है। सेना ने कई तरह के नए ड्रोन खरीदे हैं, जो सीमा पर संवेदनशील क्षेत्रों की निगरानी में मदद कर रहे हैं। ये ड्रोन न केवल सैनिकों की पैदल गश्त में मदद कर रहे हैं, बल्कि लगातार निगरानी भी आसान हो रही है।
इसके अलावा, LAC के साथ कई जगहों पर हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरे लगाए गए हैं। क्षेत्र में हेलीकॉप्टर सॉर्टीज़ (उड़ानें) भी नियमित रूप से की जा रही हैं। सूत्रों ने बताया कि सेना ने सैनिकों की तैनाती के रास्तों पर बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत किया है, ताकि सैन्य आवाजाही में कोई बाधा न आए।
पेट्रोलिंग को लेकर बनाए नए नियम
भारत और चीन ने LAC पर गश्त (India-China LAC) को लेकर नए नियम बनाए हैं, ताकि टकराव की स्थिति से बचा जा सके। दोनों पक्षों ने सहमति जताई है कि प्रत्येक पेट्रोलिंग पॉइंट पर महीने में केवल दो बार गश्त होगी। पेट्रोलिंग की योजना पहले से एक-दूसरे के साथ साझा की जाएगी, ताकि दोनों देशों के सैनिक एक ही समय पर एक ही स्थान पर न पहुंचें।
सूत्रों ने बताया कि सैनिकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे चीनी सैनिकों के साथ फिजिकल कॉन्टैक्ट से बचें। अगर कोई टकराव की स्थिति बनती है, तो सैनिकों को 200 मीटर की दूरी बनाए रखनी है, तस्वीरें लेनी हैं, और अपनी यूनिट को वापस लौटकर स्थिति की जानकारी देनी है। ताकि छोटी-मोटी घटनाएं बड़े विवाद में न बदलें।
कमांडरों के बीच नियमित संवाद
LAC पर तनाव (India-China LAC) कम करने के लिए दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच नियमित संवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, यूनिट कमांडिंग ऑफिसर (CO) महीने में एक या दो बार अपने चीनी समकक्षों से मिलेंगे। वहीं, ब्रिगेड कमांडर हर 3 महीने में मुलाकात करेंगे। जबकि मेजर जनरल और उससे ऊपर के अधिकारी आवश्यकतानुसार अपने चीनी समकक्षों से बातचीत करेंगे। इसके पीछे रणनीति यह है कि इससे न केवल विश्वास की बहाली हो, बल्कि गलतफहमियों को तुरंत सुलझाने में भी मदद मिले।
विश्वास बहाली को लेकर उठाए ये कदम
डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया के हिस्से के रूप में, भारत और चीन कई विश्वास बहाली के उपाय (Confidence Building Measures) लागू कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, इस साल जून में कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने का फैसला लिया गया, जो 2020 के बाद से बंद थी। यह दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि LAC पर मिलिट्री एक्सरसाइज की संख्या कम की जा सकती है, ताकि तनाव की आशंका न बढ़े। हालांकि, सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और सैन्य तैयारियां बिना किसी रुकावट के जारी रहेंगी।
हालांकि ये कदम भारत-चीन संबंधों में सकारात्मक बदलाव का संकेत हैं, लेकिन चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। LAC पर दोनों देशों की अलग-अलग धारणाएं और सीमा के कुछ हिस्सों पर असहमति भविष्य में विवाद की वजह बन सकती हैं। इसके अलावा, जियोटैगिंग और निगरानी के बावजूद, दोनों देशों को लगातार संवाद और कूटनीतिक प्रयासों की जरूरत होगी।
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भारत ने यह भी सुनिश्चित किया है कि उसकी सैन्य तैनाती और तैयारियां किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त हैं। LAC पर ड्रोन, कैमरे, और हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल से न केवल निगरानी मजबूत होगी, बल्कि सैनिकों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।