IAF Fighter Jet Shortage: भारतीय वायुसेना को नहीं चाहिए रूसी Su-57E या अमेरिकी F-35 फाइटर जेट! स्वदेशी MRFA और AMCA पर है फोकस

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📍नई दिल्ली | 2 months ago

IAF Fighter Jet Shortage: लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही भारतीय वायुसेना को अपनी युद्धक क्षमता बनाए रखने के लिए तेज़ी से नए विमान शामिल करने की जरूरत है। हाल ही में, रक्षा मंत्रालय की एक उच्च स्तरीय समिति ने एक रिपोर्ट पेश की है, जिसमें भारतीय वायुसेना की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कई सिफारिशें की गई हैं। यह रिपोर्ट उस समय आई है जब भारतीय वायुसेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने खुलकर इस बात पर चिंता जताई थी कि लड़ाकू विमानों की संख्या तेजी से घट रही है और इसे पूरा करने के लिए हर साल 35-40 नए लड़ाकू विमानों की जरूरत होगी।

IAF Fighter Jet Shortage: Indian Air Force Rejects Russian Su-57E and US F-35, Focuses on Indigenous MRFA and AMCA

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रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को “सशक्त समिति” (Empowered Committee for Capability Enhancement of IAF) की रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट में भारतीय वायुसेना की जरूरतों की पूरी समीक्षा की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि वायुसेना की मौजूदा ताकत को बनाए रखना है और भविष्य की जरूरतों को पूरा करना है, तो स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देना जरूरी है। फिलहाल, वायुसेना के पास केवल 30 स्क्वाड्रन हैं, जबकि यह संख्या 42 होनी चाहिए। यह कमी भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता को प्रभावित कर सकती है, खासकर तब जब भारत चीन और पाकिस्तान जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है।

IAF Fighter Jet Shortage: 2030 तक कई पुराने विमान होंगे रिटायर

भारतीय वायुसेना की बड़ी चुनौती है कि 2030 तक उसे कई पुराने विमानों को सेवा से बाहर करना होगा, जिनमें मिग-21, मिग-29 और मिराज-2000 शामिल हैं। इन विमानों की जगह नए विमानों को शामिल करने के लिए हर साल कम से कम 40 नए विमान चाहिए, लेकिन मौजूदा प्रोडक्शन रफ्तार बेहद कम है। यही वजह है कि वायुसेना और रक्षा मंत्रालय अब निजी क्षेत्र को शामिल करने पर विचार कर रहे हैं। वायुसेना सूत्रों का कहना है कि टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स, लार्सन एंड टुब्रो (L&T), और रिलायंस डिफेंस जैसी कंपनियों को इस प्रोजेक्ट में शामिल किया जा सकता है।

IAF Fighter Jet Shortage: भारतीय वायुसेना नहीं चाहती Su-57E या अमेरिकी F-35

रक्षा मंत्री को सौंपी इस रिपोर्ट में खासतौर पर यह स्पष्ट किया गया है कि भारतीय वायुसेना रूस के Su-57E या अमेरिकी F-35 जैसे विदेशी फाइटर जेट्स को शामिल करने के पक्ष में नहीं है, बल्कि वह पूरी तरह से स्वदेशी पांचवी पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) प्रोग्राम पर फोकस कर रही है। इसके अलावा, MRFA (Multi-Role Fighter Aircraft) प्रोग्राम के तहत 114 फाइटर जेट्स की खरीद को लेकर भी चर्चा चल रही है, ताकि IAF की स्क्वाड्रन क्षमता को बढ़ाया जा सके। हालांकि, यह प्रोग्राम 2018 से ही लटका हुआ है, और अब इसे जल्द से जल्द आगे बढ़ाने की जरूरत महसूस की जा रही है।

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IAF Fighter Jet Shortage: दोनों जेट्स IAF की प्राथमिकताओं में नहीं

हाल के एयरो इंडिया 2025 एयर शो में रूस के Su-57E और अमेरिका के F-35 लड़ाकू विमानों को पेश किया गया, जिससे यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि भारत इनमें से किसी एक को प्राथमिकता दे सकता है। लेकिन भारतीय वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने साफ कर दिया कि यह दोनों जेट्स IAF की प्राथमिकताओं में शामिल नहीं हैं। रूस के Su-57E को ठुकराने की वजह यह है कि यह विमान अभी तक पूरी तरह डेवलप नहीं हुआ है और इसके कई तकनीकी पहलू अभी भी अधूरे हैं। इसकी स्टील्थ तकनीक और अन्य क्षमताएं चीन के J-20 स्टील्थ फाइटर के मुकाबले कमजोर मानी जा रही हैं। इसके अलावा रूस की मौजूदा आर्थिक और सैन्य हालात के चलते इसके प्रोडक्शन और डिलीवरी में देरी हो सकती है। वहीं अमेरिका के F-35 को ठुकराने की वजह यह है कि यह एक नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर जेट है, जिसके ऑपरेशन के लिए अमेरिका की पूरी निगरानी बनी रहेगी। इससे भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता पर असर पड़ सकता है। अमेरिका के कई अलायंस देशों को यह विमान देने के बावजूद, इसके तकनीकी अपग्रेड और सपोर्ट सिस्टम में अमेरिका का कंट्रोल रहता है।

IAF Fighter Jet Shortage: चीन के J-35 स्टील्थ फाइटर को टक्कर देगा AMCA

भारतीय वायुसेना का मानना है कि AMCA भारत के दीर्घकालिक रणनीतिक उद्देश्यों के लिए बेहद जरूरी है। इस प्रोजेक्ट के तहत स्वदेशी स्टील्थ फाइटर जेट डेवलप किया जाएगा, जो चीन और पाकिस्तान की वायुसेनाओं को टक्कर देने में सक्षम होगा। AMCA की जरूरत इसलिए भी बढ़ गई है, क्योंकि चीन ने पहले ही J-20 स्टील्थ फाइटर को तैनात कर दिया है और जल्द ही J-35A को अपनी नौसेना में शामिल करने की तैयारी कर रहा है। इसके अलावा, पाकिस्तान को भी J-35 स्टील्थ फाइटर सौंपने की संभावना जताई जा रही है।

HAL के पास काम का बेहद लोड

भारतीय वायुसेना के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड की उत्पादन दर बेहद धीमी है। वर्तमान में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के पास कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स हैं, जिनमें तेजस Mk-1A, तेजस Mk-2, HTT-40 ट्रेनर एयरक्राफ्ट और AMCA स्टील्थ फाइटर का डेवलपमेंट शामिल है। HAL की सीमित उत्पादन क्षमता को देखते हुए भारतीय वायुसेना और रक्षा मंत्रालय अब निजी क्षेत्र को इस प्रक्रिया में शामिल करने की योजना बना रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि HAL अकेले इतने बड़े ऑर्डर्स को पूरा नहीं कर सकता, इसलिए प्राइवेट कंपनियों को भी तेजस Mk-2 के उत्पादन में शामिल करने पर विचार किया जा रहा है।

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ये प्राइवेट कंपनियां हो सकती हैं शामिल

रक्षा मंत्रालय ने टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स (TASL), लार्सन एंड टुब्रो (L&T) और रिलायंस डिफेंस जैसी कंपनियों को संभावित भागीदार माना है। इन कंपनियों के पास पहले से ही एयरोस्पेस और डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग का अनुभव है और सरकार चाहती है कि वे HAL के साथ मिलकर तेजस Mk-2 और अन्य विमानों का प्रोडक्शन करें। अगर HAL और निजी कंपनियों की साझेदारी सफल होती है, तो भारत अगले 10 वर्षों में एक शक्तिशाली वायुसेना बना सकता है।

तेजस MK-1A के प्रोडक्शन में देरी

तेजस MK-1A कार्यक्रम में देरी की मुख्य वजहों में से एक अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) द्वारा F-404 इंजन की आपूर्ति में देरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने उठाया था। भारत सरकार इस समस्या को हल करने के लिए अमेरिका के साथ लगातार संपर्क में है, ताकि इन इंजनों की डिलीवरी में तेजी लाई जा सके।

भारतीय वायुसेना ने पहले ही 48,000 करोड़ रुपये की लागत वाले 83 तेजस MK-1A विमान खरीदने का ऑर्डर दे चुकी है। अब सरकार 97 और तेजस MK-1A विमान खरीदने पर विचार कर रही है, जिसकी अनुमानित लागत 67,000 करोड़ रुपये होगी। साथ ही, तेजस MK-2 पर भी काम तेजी से चल रहा है। यह विमान मिग-29 और मिराज-2000 जैसे पुराने विमानों की जगह लेगा। HAL की उत्पादन दर फिलहाल 16-20 विमान सालाना है, लेकिन इसे बढ़ाने की जरूरत है। निजी कंपनियों की भागीदारी इस लक्ष्य को हासिल करने में मदद कर सकती है।

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि कम से कम 60 तेजस Mk-1A विमान निजी क्षेत्र द्वारा बनाए जाएं, ताकि HAL अन्य महत्वपूर्ण परियोजनाओं, जैसे कि AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) और TEDBF (Twin Engine Deck Based Fighter) पर फोकस कर सके।

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