📍नई दिल्ली | 9 Oct, 2025, 1:15 PM
Jaish-e-Mohammed women brigade: आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव करते हुए पहली बार एक महिला ब्रिगेड बनाई है। इस नए विंग का नाम ‘जमात-उल-मोमिनात’ रखा गया है और इसकी भर्ती 8 अक्टूबर 2025 से बहावलपुर में शुरू कर दी गई है। संगठन ने इस फैसले की घोषणा एक पत्र के जरिए की है। इस पत्र को जैश-ए-मोहम्मद के सरगना और संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी मौलाना मसूद अजहर के नाम से जारी किया गया है।
खुफिया सूत्रों के मुताबिक यह भर्ती पाकिस्तान के बहावलपुर स्थित मरकज उस्मान-ओ-अली में शुरू की गई है, जहां से जैश-ए-मोहम्मद ने महिलाओं को अपने नेटवर्क में शामिल करने की मुहिम छेड़ी है। इस महिला ब्रिगेड (Jaish-e-Mohammed women brigade) की कमान मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर के पास है। सादिया के पति यूसुफ अजहर की मौत मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुई थी, जब भारतीय सेनाओं ने बहावलपुर में जैश के मुख्यालय मरकज सुब्हानअल्लाह पर हवाई हमले किए थे।
जैश के प्रचार मंच अल-कलम मीडिया के जरिए जारी पत्र में इस महिला ब्रिगेड का नाम और भर्ती की तिथि सार्वजनिक की गई। खुफिया सूत्रों के अनुसार, संगठन ने अपनी भर्ती प्रक्रिया में सबसे पहले अपने वरिष्ठ कमांडरों की पत्नियों को शामिल किया है। इसके अलावा, बहावलपुर, कराची, मुझफ्फराबाद, कोटली, हरीपुर और मंसेहरा में मौजूद अपने मदरसों में पढ़ रही आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को भी इस ब्रिगेड में जोड़ा जा रहा है।
देवबंदी विचारधारा से प्रभावित यह आतंकी संगठन अब तक महिलाओं को आतंकी अभियानों या जिहाद में शामिल करने से बचता रहा है। लेकिन अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद जैश ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। सूत्रों का कहना है कि मसूद अजहर और उसके भाई तल्हा अल-सैफ ने मिलकर महिलाओं को संगठन की कार्यवाही में शामिल करने का फैसला किया। इसी के बाद ‘जमात-उल-मोमिनात’ (Jaish-e-Mohammed women brigade) नामक महिला ब्रिगेड की नींव रखी गई।
आतंकी संगठनों के इतिहास में महिलाओं की भूमिका नई नहीं है। आईएसआईएस, बोको हराम, हमास और एलटीटीई जैसे संगठनों ने पहले भी महिला आत्मघाती हमलावरों को तैनात किया है। लेकिन जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे संगठनों ने अब तक इस रणनीति से दूरी बनाए रखी थी। अब माना जा रहा है कि जमात-उल-मोमिनात की स्थापना, जैश के भविष्य में महिला आत्मघाती हमलावरों को प्रशिक्षण और हमलों में शामिल करने की दिशा में एक संकेत है।
खुफिया सूत्रों के अनुसार, बहावलपुर में भर्ती के लिए विशेष सत्र आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें महिलाओं (Jaish-e-Mohammed women brigade) को वैचारिक प्रशिक्षण, धार्मिक शिक्षण और संगठन के प्रोपेगेंडा से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की गई है। संगठन की कोशिश है कि इन महिलाओं को संगठन के अंदरूनी नेटवर्क में अहम भूमिकाएं दी जाएं और आगे चलकर इन्हें आतंकवादी अभियानों में शामिल किया जाए।
भारत के सुरक्षा एजेंसियों ने इस कदम पर नजर रखी हुई है। बहावलपुर पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed women brigade) का पारंपरिक गढ़ रहा है। यहीं से संगठन ने कई बार भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दिया है, जिनमें 2016 का पठानकोट एयरबेस हमला और 2019 का पुलवामा हमला प्रमुख हैं। अब उसी शहर से महिला ब्रिगेड की भर्ती शुरू होना सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक अहम संकेत माना जा रहा है।
यह भी उल्लेखनीय है कि सादिया अजहर का परिवार जैश की गतिविधियों में वर्षों से सक्रिय रहा है। यूसुफ अजहर की मौत के बाद सादिया को संगठन में एक महत्वपूर्ण चेहरा माना जा रहा है। वह महिलाओं के बीच संगठन के संदेश को फैलाने और उन्हें वैचारिक रूप से तैयार करने में केंद्रीय भूमिका निभा रही है।
जैश-ए-मोहम्मद ने इस महिला ब्रिगेड (Jaish-e-Mohammed women brigade) की घोषणा ऐसे समय की है, जब पाकिस्तान में आतंकी संगठनों पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा है और संयुक्त राष्ट्र की निगरानी भी तेज हुई है। इसके बावजूद संगठन द्वारा खुले तौर पर महिलाओं की भर्ती शुरू करना बताते है कि अंदर ही अंदर जैश कोई बड़ी आतंकी वारदात की तैयारी कर रहा है।