Explained: चीन ने किया Non-Nuclear Hydrogen Bomb का टेस्ट! जानें कैसे करता है काम और भारत के लिए क्यों है चिंता की बात?

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By हरेंद्र चौधरी

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  • यह बम परमाणु विस्फोट जैसा विनाश करता है, लेकिन रेडिएशन नहीं छोड़ता
  • बम से बनने वाला फायरबॉल 1000 डिग्री सेल्सियस तक गर्म होता है
  • इसका इस्तेमाल सटीक निशाने पर लंबी अवधि तक प्रभाव डालने के लिए किया जा सकता है
  • चीन अब इसे बड़े पैमाने पर सालाना तैयार कर सकता है 150 टन मैग्नीशियम हाईड्राइड

📍नई दिल्ली | 1 week ago

Non-Nuclear Hydrogen Bomb: बीजिंग ने एक बार फिर दुनिया को चौंकाया है। चीन ने हाल ही में एक “नॉन-न्यूक्लियर हाइड्रोजन बम” का सफल परीक्षण किया है, जो पारंपरिक परमाणु हथियारों से अलग है। इस बम में रेडिएशन नहीं है, लेकिन इसकी गर्मी और तबाही की क्षमता किसी पारंपरिक विस्फोटक से कहीं ज्यादा है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब अमेरिका ताइवान को सैन्य मदद बढ़ा रहा है और दक्षिण चीन सागर में चीन अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रहा है। इस बम में मैग्नीशियम हाइड्राइड का इस्तेमाल किया गया है, जो परंपरागत परमाणु बमों से बिल्कुल अलग है। इसलिए इसे ग्रीन परमाणु बम भी कहा जा रहा है।

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Non-Nuclear Hydrogen Bomb: क्या है यह नया हथियार?

यह बम परमाणु नहीं है, लेकिन इसकी ताकत हल्के में नहीं ली जा सकती। यह बम सिर्फ 2 किलोग्राम वजनी है और इसे चाइना स्टेट शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन (सीएसएससी) के 705 रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बनाया है। यह संस्थान पानी के नीचे इस्तेमाल होने वाले हथियारों के लिए मशहूर है। इस बम में मैग्नीशियम हाइड्राइड का उपयोग होता है, जो हाइड्रोजन गैस को स्टोर करने में बहुत कारगर है। यह सॉलिड स्टेट हाइड्रोजन स्टोरेज मैटेरियल है, जो पारंपरिक गैस टैंकों से ज्यादा हाइड्रोजन स्टोर कर सकता है।

जब इस बम को सक्रिय किया जाता है, तो मैग्नीशियम हाइड्राइड तेजी से गर्म होकर हाइड्रोजन गैस छोड़ता है। यह गैस हवा के संपर्क में आते ही 1,000 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा गर्मी वाला आग का गोला बनाती है, जो दो सेकंड से ज्यादा समय तक जलता रहता है। यह समय सामान्य टीएनटी (एक विस्फोटक) के धमाके से 15 गुना ज्यादा है। इसकी गर्मी इतनी तेज है कि यह एल्यूमीनियम जैसी धातुओं को भी पिघला सकती है। साथ ही, इस बम की ताकत को कंट्रोल किया जा सकता है, जिससे यह बड़े इलाके में एकसमान नुकसान पहुंचा सकता है।

Non-Nuclear Hydrogen Bomb: कैसे हुआ बम का परीक्षण?

इस परीक्षण की जानकारी चीन की एक जर्नल Journal of Projectiles, Rockets, Missiles and Guidance में प्रकाशित हुई है। इसके अनुसार, इस बम की ताकत को जांचने के लिए कई प्रयोग किए गए। इनमें इसकी ऊर्जा को एक खास दिशा में भेजने की क्षमता को परखा गया। इसमें बताया गया कि 2 मीटर की दूरी पर बम से 428.43 किलोपास्कल का ओवरप्रेशर दर्ज किया गया, यह टीएनटी के धमाके से 40 प्रतिशत कम था, लेकिन इसकी गर्मी टीएनटी से कहीं ज्यादा थी।

पहले धमाके में मैग्नीशियम हाइड्राइड का पाउडर छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाता है। ये टुकड़े गर्म होने पर हाइड्रोजन गैस छोड़ते हैं, जो हवा में मिलकर दूसरा और ज्यादा गर्म आग का गोला बनाता है। यह गर्मी और गैस का चक्र बार-बार चलता रहता है, जिससे यह बम सामान्य विस्फोटकों से ज्यादा खतरनाक बन जाता है। इसकी गर्मी आसपास की हर धातु और इन्फ्रास्ट्रक्चर को पिघला सकती है।

इस साल शानक्सी प्रांत में मैग्नीशियम हाइड्राइड का एक बड़ा उत्पादन कारखाना शुरू हुआ, जो हर साल 150 टन सामग्री बना सकता है। पहले यह मटेरियल सिर्फ प्रयोगशालाओं में थोड़ी मात्रा में बनती थी।

Non-Nuclear Hydrogen Bomb: क्या इसका सैन्य इस्तेमाल हो सकता है?

यह हाइड्रोजन बम सिर्फ एक धमाका नहीं करता। यह कई सेकंड तक जलने वाला आग का गोला बनाता है, जो बड़े इलाके को तबाह कर सकता है। PLA (चीन की सेना) इसका उपयोग दुश्मन की टुकड़ियों को खुले मैदान में जलाने, संचार केंद्रों को नष्ट करने, या सीमित क्षेत्रों में टारगेटेड स्ट्राइक के लिए कर सकती है।

चीन की सेना (पीएलए) इस बम का इस्तेमाल कई तरह से कर सकती है। मान लीजिए दुश्मन की कोई सप्लाई लाइन है, यह बम उस पूरे रास्ते को भस्म कर सकता है, वो भी बिना बड़े क्षेत्र में विनाश फैलाए। यही नहीं, यह बम पुलों, फ्यूल डिपो या बंकर जैसी संवेदनशील जगहों पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

क्लीन एनर्जी की तरफ बढ़ी पीएलए?

चीन अपने रक्षा बजट में 7.2% की बढ़ोतरी के साथ 249 बिलियन डॉलर खर्च कर रहा है, और यह रकम आधुनिक और पर्यावरण के अनुकूल सैन्य तकनीकों के डेवलपमेंट में लगाई जा रही है। PLA पहले से ही सोलर, विंड और हाइड्रोजन एनर्जी जैसी क्लीन एनर्जी को अपने नौसेना और ग्राउंड ऑपरेशंस में इस्तेमाल कर रहा है। उदाहरण के लिए, Type 055 Renhai-Class में इंटीग्रेटेड इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन (आईईपी) सिस्टम लगा है, जो उसकी रफ्तार और क्षमता को और बढ़ा देता है। वहीं, LandSpace का बनाया Zhuque-2 नाम का रॉकेट दुनिया का पहला ऐसा रॉकेट है, जो लिक्विड मिथेन और ऑक्सीजन से चलकर ऑर्बिट तक पहुंचा।

क्यों है चिंता की बात?

चीन ने यह कदम अमेरिका और ताइवान के बढ़ते रिश्तों के बीच उठाया है। PLA ने हाल ही में ताइवान के चारों ओर बड़ी सैन्य ड्रिल की थी। अमेरिका ने इसे “इंटिमिडेशन” कहा और ताइवान के साथ अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। ऐसे में यह हाइड्रोजन बम परीक्षण चीन के शक्ति प्रदर्शन का संकेत माना जा रहा है।

इस बम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह परमाणु बम जैसा असर छोड़ता है, लेकिन परमाणु हथियारों के नियमों के दायरे में नहीं आता। इसका मतलब है कि चीन युद्ध के समय इसे बिना ‘न्यूक्लियर वारफेयर’ घोषित किए भी इस्तेमाल कर सकता है।

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भारत जैसे देश के लिए यह चिंता का विषय इसलिए है क्योंकि चीन पहले से ही LAC (भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर तनाव बनाए हुए है। अगर इस तरह की हथियार प्रणाली सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात होती है, तो बड़ी चुनौती मिल सकती है।

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