China Military-proof 5G: चीन लाया दुनिया का पहला मिलिट्री-प्रूफ 5G नेटवर्क, एक साथ 10,000 रोबोट्स को होंगे कनेक्ट

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📍नई दिल्ली | 7 months ago

China Military-proof 5G: 6वीं पीढ़ी के फाइटर जेट और दुनिया का सबसे बड़ा एंफीबियस शिप पेश करने के बाद चीन ने दुनिया का पहला ऐसा मोबाइल 5G बेस स्टेशन पेश किया है, जो युद्ध के मैदान पर तैनाती के लिए तैयार है। इस तकनीक को कठोर परीक्षणों के बाद मंजूरी दी गई है। चीन के मोबाइल कम्युनिकेशंस ग्रुप और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने इसे डेवलप किया है। यह नेटवर्क 3 किलोमीटर के दायरे में 10,000 यूजर्स को हाई-स्पीड, लो-लेटेंसी और अत्यधिक सुरक्षित डेटा सर्विसेज प्रदान कर सकता है।

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कैसे काम करेगा यह China Military-proof 5G?

PLA द्वारा उपयोग किया जाने वाला यह 5G बेस स्टेशन ऐसे समय में भी अपनी कनेक्टिविटी बनाए रख सकता है जब सैनिक पहाड़ी क्षेत्रों या शहरी इलाकों में 80 किमी/घंटा (50 मील/घंटा) की गति से आगे बढ़ रहे हों। यहां तक कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक हस्तक्षेप (electromagnetic interference) के दौरान भी यह 10 जीबी (गीगाबिट) प्रति सेकंड की डेटा स्पीड और 15 मिलीसेकंड से कम विलंबता (latency) प्रदान कर सकता है।

इस तकनीक के बाारे में जानकारी 17 दिसंबर को प्रकाशित एक शोधपत्र में दी गई है। इसे PLA की 31567 यूनिट के वरिष्ठ इंजीनियर हाउ जिये और उनकी टीम ने चीनी जर्नल टेलीकम्युनिकेशन साइंस में साझा किया है।

China Military-proof 5G और आम 5G में अंतर

मिलिट्री 5G, नागरिक 5G तकनीक से कई मामलों में अलग है। PLA को ऐसी तकनीक की आवश्यकता है, जो ग्राउंड बेस स्टेशनों की गैरमौजूदगी में या सैटेलाइट के सिग्नल  बाधित होने की स्थिति में भी बिना रुके कनेक्टिविटी प्रदान कर सके।

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इसके अलावा, सैन्य वाहनों पर लगाए गए एंटीना की ऊंचाई 3 मीटर (9.8 फीट) से अधिक नहीं हो सकती, ताकि यह इमारतों या पेड़ों से टकराए बिना काम कर सके। हालांकि, यह सीमित ऊंचाई हाई क्वॉलिटी वाले सिग्नल की कवरेज रेंज को प्रभावित करती है, लेकिन PLA ने इसे कुशलता से मैनेज किया है।

कैसे बदलेगा युद्ध का स्वरूप?

इस तकनीक के जरिए चीन के युद्ध के मैदान पर बड़े पैमाने पर इंटेलिजेंट मशीनों का इस्तेमाल कर सकेगा। चीन दुनिया की सबसे बड़ी अनमैन्ड आर्मी (बिना पायलट या चालक की सेना) बना रहा है। इसमें शक्तिशाली और किफायती ड्रोन, रोबोटिक डॉग्स और अन्य अनमैन्ड प्लेटफॉर्म शामिल हैं। यह तकनीक उन ड्रोन, रोबोट डॉग्स और अन्य मानव रहित युद्ध प्लेटफॉर्म के लिए डेटा एक्सचेंज की समस्या को हल कर सकती है, जिनकी संख्या भविष्य के युद्धक्षेत्र में सैनिकों से अधिक हो सकती है। यह तकनीक इन रोबोट्स के बीच बड़े पैमाने पर डेटा का आदान-प्रदान करने में सक्षम है, जो कि पारंपरिक सैन्य संचार तकनीकों के लिए एक चुनौती थी। क्योंकि ड्रोन और रोबोट के संचालन के लिए बड़ी मात्रा में डेटा की आवश्यकता होती है, जिसे पारंपरिक सैन्य संचार तकनीक पूरा नहीं कर पाती।

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चीन ने 5G तकनीक में लंबे समय से अग्रणी भूमिका निभाई है। 2019 में, चीन ने नागरिक 5G नेटवर्क को बड़े पैमाने पर शुरू किया। हालांकि, मिलिट्री 5G का विकास नागरिक उपयोग के लिए 5G तकनीक की तुलना में कहीं अधिक मुश्किल है।

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वहीं, चीन की इस प्रौद्योगिकी प्रगति ने कई देशों की चिंता बढ़ा दी है। मिलिट्री 5G का इस्तेमाल केवल रक्षा तक ही सीमित नहीं है; यह संभावित रूप से निगरानी और साइबर युद्ध जैसे क्षेत्रों में भी भूमिका निभा सकता है।

यह तकनीक विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर और भारत-चीन सीमा जैसे विवादित क्षेत्रों में PLA की क्षमताओं को बढ़ाने में मदद कर सकती है। भारत जैसे देशों के लिए यह तकनीकी उन्नति एक रणनीतिक चुनौती बन सकती है, क्योंकि चीन इसे सीमा क्षेत्रों में अपनी कम्यूनिकशन कैपेबिलिटीज को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल कर सकता है।

चीन का एंफीबियस असाल्ट शिप “सिचुआन”

हाल ही में चीनी नौसेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) ने शंघाई के एक शिपयार्ड में Type 076 उभयचर हमला जहाज (Amphibious Assault Ship) लॉन्च किया। इसे “सिचुआन” नाम दिया गया है, जो दक्षिण-पश्चिमी चीन के प्रांत पर है। इस जहाज का वजन 40,000 टन से अधिक (फुल-लोड डिस्प्लेसमेंट) है। वहीं इसमें डुअल-आइलैंड सुपरस्ट्रक्चर और फुल-लेंथ फ्लाइट डेक लगा है। इसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट और अरेस्टर टेक्नोलॉजी लगी है, जो इसे फिक्स्ड-विंग एयरक्राफ्ट, हेलिकॉप्टर और एंफीबियस उपकरण ले जाने में सक्षम बनाती है। इस जहाज की तकनीक की तुलना केवल अमेरिका के USS Gerald R Ford से की जा सकती है, जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट सिस्टम का उपयोग करता है।

चीन का छठवीं पीढ़ी का फाइटर जेट J-36

असाल्ट शिप लॉन्च करने से एक दिन पहले ही सोशल मीडिया पर चीन के छठी पीढ़ी के फाइटर एयरक्राफ्ट की अनवेरिफाइड तस्वीरें वायरल हुईं। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस जेट को J-36 नाम दिया गया है।

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साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, इस एयरक्राफ्ट को सिचुआन प्रांत के चेंगदू शहर के ऊपर दिन के उजाले में उड़ते देखा गया, जिसमें इसे पांचवीं पीढ़ी के J-20 फाइटर जेट के साथ उड़ान भरते हुए देखा गया। J-36 का ट्रायएंगुलर टेललेस डिज़ाइन से स्टील्थ और रफ्तार मिलती है।

हालांकि चीन की सरकार और सैन्य अधिकारियों ने इस जेट पर आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की है। हालांकि, इसके खुलासे का वक्त माओ जेडॉन्ग के जन्मदिन (जनवादी गणराज्य के संस्थापक) पर किया गया, जो एक रणनीतिक संदेश देता है।

यह जेट चीन की मिलिट्री एविएशन कैपेबिलिटी में एक बड़ा कदम है और अमेरिके हवई वर्चस्व के लिए एक चुनौती पेश कर सकता है। नवंबर में आयोजित झुहाई एयरशो में चीन ने Baidi White Emperor ‘B Type’ छठी पीढ़ी के फाइटर जेट का भी खुलासा किया था।

China’s military-proof 5G technology is a significant development in the telecommunications industry. This advanced network infrastructure ensures robust security measures that can withstand potential military interference. Its implementation will strengthen both national and international communication systems, enabling a safer and more reliable digital future.

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