📍नई दिल्ली | 9 Oct, 2025, 8:53 AM
Amir Khan Muttaqi India visit: अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी इन दिनों 8 दिन के भारत दौरे पर हैं। लेकिन इस दौरे को लेकर भारत सरकार एक अनोखी कूटनीतिक दुविधा का सामना कर रही है। सवाल यह है कि जब तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी नई दिल्ली में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात करेंगे, तो क्या उस समय भारतीय तिरंगे के साथ तालिबान का झंडा लगाया जाएगा या नहीं।
Amir Khan Muttaqi India visit: तालिबान शासन को आधिकारिक मान्यता नहीं
भारत ने अभी तक तालिबान शासन को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है। इसी कारण उसने नई दिल्ली स्थित अफगान दूतावास में तालिबान को अपना झंडा लगाने की अनुमति नहीं दी है। वहां अब भी इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान का तिरंगा लहराता है, जो पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार का प्रतीक था। यही नीति अब तक सभी औपचारिक अवसरों पर अपनाई गई है। लेकिन मुत्ताकी की इस यात्रा के दौरान एक विशेष चुनौती सामने आई है।
आमतौर पर जब किसी देश का विदेश मंत्री भारत यात्रा पर आता है तो राजनयिक प्रोटोकॉल के अनुसार दोनों देशों के झंडे उनके पीछे और टेबल पर लगाए जाते हैं। लेकिन चूंकि भारत ने तालिबान (Amir Khan Muttaqi India visit) को मान्यता नहीं दी है, इसलिए अब यह तय करना मुश्किल हो गया है कि तालिबान के झंडे को कैसे और कहां प्रदर्शित किया जाए। सूत्रों के अनुसार, विदेश मंत्रालय इस असामान्य स्थिति को सावधानी से संभालने के लिए विकल्पों पर चर्चा कर रहा है।
इससे पहले जनवरी 2025 में दुबई में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री और मुत्ताकी के बीच हुई बैठक में किसी भी झंडे का उपयोग नहीं किया गया था न भारतीय तिरंगा और न ही तालिबान का झंडा। हालांकि, जब बैठक भारत में हो रही है तो ऐसे में प्रोटोकॉल फॉलो करना जरूरी हो जाता है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मुत्ताकी को 9 से 16 अक्टूबर के बीच नई दिल्ली की यात्रा की अनुमति दी है। मुत्ताकी यूएनएससी प्रस्ताव 1988 (2011) के तहत प्रतिबंधित व्यक्तियों की सूची में हैं, इसलिए यात्रा के लिए विशेष मंजूरी की जरूरत थी। सितंबर में उनकी यात्रा की योजना बनी थी लेकिन उस समय अनुमति नहीं मिल सकी थी।
मुत्ताकी की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब भारत, रूस की मेजबानी में हुई मॉस्को फॉरमेट बैठक में तालिबान के साथ एक साझा बयान में शामिल हुआ था। इस बयान में अमेरिका के बग्राम एयरबेस को कब्जे में लेने के प्रयासों को “क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के खिलाफ” बताया गया था।
देवबंद और ताजमहल जाएंगे मुत्ताकी
मुत्ताकी (Amir Khan Muttaqi India visit) की छह दिवसीय भारत यात्रा के दौरान वे केवल राजनीतिक बैठकों में ही शामिल नहीं होंगे, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों का भी दौरा करेंगे। 11 अक्टूबर को वे सहारनपुर जिले में स्थित प्रसिद्ध दारुल उलूम देवबंद मदरसे का दौरा करेंगे। यह संस्था कई तालिबान नेताओं के लिए ऐतिहासिक रूप से प्रेरणा स्थल रही है। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में स्थित दारुल उलूम हक्कानिया इसी देवबंद के मॉडल पर स्थापित किया गया था, जहां से तालिबान के कई वरिष्ठ कमांडरों ने शिक्षा प्राप्त की थी।
12 अक्टूबर को मुत्ताकी आगरा में ताजमहल देखने जाएंगे। इसके बाद वे नई दिल्ली में एक प्रमुख चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित उद्योग और व्यापार प्रतिनिधियों के कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगे।
हैदराबाद हाउस में मुलाकात
10 अक्टूबर को मुत्ताकी (Amir Khan Muttaqi India visit) और एस. जयशंकर के बीच हैदराबाद हाउस में औपचारिक बैठक होगी। यही वह जगह है जहां भारत विदेशी नेताओं से उच्च स्तरीय मुलाकातें करता है। मुत्ताकी को आधिकारिक विदेशी मंत्री के समान प्रोटोकॉल दिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, उनकी मुलाकात राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी हो सकती है।
इस बैठक में सुरक्षा, आतंकवाद निरोध, मानवीय सहयोग और अफगान छात्रों तथा व्यापारियों के वीजा से जुड़े मुद्दों पर बातचीत की जा सकती है। तालिबान प्रतिनिधिमंडल भारत में अपनी राजनयिक मौजूदगी बढ़ाने के मुद्दे को भी उठा सकता है।
क्या मान्यता देगा भारत?
मुत्ताकी (Amir Khan Muttaqi India visit) की इस यात्रा से दो दिन पहले भारत सरकार ने एक क्षेत्रीय समूह के तहत उन्हें पहली बार “सदस्य” के रूप में शामिल किया। यह कदम भारत को तालिबान को औपचारिक मान्यता देने के और करीब ले जाने वाला माना जा रहा है। मुत्ताकी संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में होने के बावजूद भारत में पांच दिन के दौरे पर आएंगे, जिसके लिए विशेष अनुमति दी गई है।
मॉस्को फॉरमेट बैठक की तस्वीरों में मुत्ताकी को अन्य प्रतिनिधियों के बीच तालिबान के काले-सफेद झंडे के साथ देखा गया। यह वही झंडा है जिसे तालिबान शासन ने अपनाया है। संयुक्त राष्ट्र अब भी अफगानिस्तान के पूर्व गणराज्य के लाल-काले-हरे तिरंगे को मान्यता देता है। यही झंडा अभी भी नई दिल्ली में अफगान दूतावास पर लहरा रहा है।
तालिबान शासन को अब तक रूस को छोड़कर किसी ने औपचारिक मान्यता नहीं दी है। मुत्ताकी की यह यात्रा भारत की विदेश नीति के लिए एक संवेदनशील और प्रतीकात्मक क्षण है, जहां उसे प्रोटोकॉल और राजनीतिक संदेश के बीच संतुलन बनाना होगा।
ऑपरेशन सिंदूर का किया था समर्थन
मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की घोषणा हुई थी। इसके कुछ ही दिन बाद 15 मई को मुत्ताकी (Amir Khan Muttaqi India visit) और एस. जयशंकर के बीच बातचीत हुई थी। यह तालिबान के काबुल पर कब्जे (अगस्त 2021) के बाद भारत और तालिबान के बीच पहला उच्च-स्तरीय राजनीतिक संपर्क था।
इस बार मुत्ताकी की यात्रा का मुख्य उद्देश्य नई दिल्ली में वरिष्ठ भारतीय नेताओं से मुलाकात करना और संबंधों को नए स्तर पर ले जाना है। मुत्ताकी रूस से यात्रा कर गुरुवार को भारत पहुंचेंगे। यह किसी वरिष्ठ तालिबान अधिकारी की भारत की पहली यात्रा होगी।