The Sacred Sound Path किताब में खोला राज: स्वर में है संजीवनी, श्री गणपति सचिदानंद स्वामीजी के संगीत से आत्मा का उपचार

The Sacred Sound Path: Healing the Soul Through Swami Ji’s Music
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The Sacred Sound Path में लेखक पी. सेश कुमार बताते हैं कि श्री स्वामीजी का संगीत सिर्फ एक भक्तिपूर्ण या कलात्मक प्रस्तुति नहीं है, बल्कि यह एक नाद ब्रह्म एक कंपनात्मक शक्ति है, जो सीधे श्रोता की चेतना को छूती है। यह संगीत भारतीय वेदों और योग परंपरा में वर्णित नाद चिकित्सा पर आधारित है, जिसमें विशेष रागों का उपयोग कर मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक संतुलन साधा जाता है...
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📍नई दिल्ली | 2 months ago

The Sacred Sound Path: संगीत केवल सुरों और तालों का मेल नहीं होता, वह आत्मा की भाषा भी हो सकता है, यह भाव स्पष्ट रूप से झलकता है भारत के पूर्व महालेखा परीक्षक (CAG) के महानिदेशक पी. सेश कुमार की नई पुस्तक The Sacred Sound Path में। यह पुस्तक आध्यात्मिक संत श्री गणपति सचिदानंद स्वामीजी के दिव्य संगीत पर आधारित है, जिसमें बताया गया है कि कैसे संगीत आत्मा और मन को न केवल छू सकता है बल्कि उसे उपचार और परिवर्तन के मार्ग पर भी ले जा सकता है।

The Sacred Sound Path: स्वर नहीं, ऊर्जा का संचार

The Sacred Sound Path में लेखक पी. सेश कुमार बताते हैं कि श्री स्वामीजी का संगीत सिर्फ एक भक्तिपूर्ण या कलात्मक प्रस्तुति नहीं है, बल्कि यह एक नाद ब्रह्म एक कंपनात्मक शक्ति है, जो सीधे श्रोता की चेतना को छूती है। यह संगीत भारतीय वेदों और योग परंपरा में वर्णित नाद चिकित्सा पर आधारित है, जिसमें विशेष रागों का उपयोग कर मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक संतुलन साधा जाता है। यह संगीत केवल रागों और तालों का मिश्रण नहीं, बल्कि एक ऐसी ऊर्जा है जो मानव चेतना को शुद्ध और संतुलित करती है।

शब्दों से परे एक अनुभूति

लेखक के अनुसार, श्री स्वामीजी के संगीत में जो कंपन होता है, वह केवल कानों से सुना नहीं जाता, बल्कि यह शरीर और आत्मा के हर कोने में प्रवेश करता है। यह कोई सामान्य प्रदर्शन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक उपचार प्रक्रिया है। यह दुख, चिंता और मानसिक बोझ को बिना किसी शब्द के ही पिघला देता है। यही वजह है कि इसे गुरु की कृपा का सजीव रूप “श्रव्य करुणा” (Audible Compassion) कहा गया है।

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योगिक ज्ञान से उत्पन्न संगीत

पुस्तक में नाद चिकित्सा की प्राचीन अवधारणा को विस्तार से समझाया गया है। नाद चिकित्सा योग और वेदों की वह परंपरा है, जिसमें विशेष रागों और ध्वनियों का उपयोग मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। श्री स्वामीजी अपने संगीत के माध्यम से इन रागों को इस तरह प्रस्तुत करते हैं कि वे श्रोताओं के भावनात्मक और मानसिक स्तर पर गहरा प्रभाव डालते हैं। उदाहरण के लिए, राग भैरवी शांति और स्थिरता प्रदान करता है, जबकि राग दरबारी कनारा मानसिक तनाव को कम करने में सहायक होता है।

दिलचस्प बात यह है कि श्री स्वामीजी को संगीत की पारंपरिक शिक्षा नहीं मिली थी। वेदों और राग-रागिनी विद्या का जो ज्ञान उन्होंने प्राप्त किया है, वह साधारण नहीं बल्कि गहन ध्यान, तपस्या और आत्मिक अनुभूति का परिणाम है। वे अपने अंदर उत्पन्न मौन की ध्वनि को संसार में साझा करते हैं-यह उनकी आत्मा की भाषा है।

Raga Sagara: सामूहिक ध्यान और उपचार

लेखक बताते हैं कि स्वामीजी के संगीत समारोह, जिन्हें Raga Sagara के नाम से जाना जाता है, बल्कि सामूहिक ऊर्जा उपचार सत्र होते हैं। इन आयोजनों में स्वामीजी विभिन्न वाद्य यंत्रों जैसे वीणा, तबला, और सिंथेसाइज़र का उपयोग करते हैं, जिससे एक ऐसी ध्वनि उत्पन्न होती है जो श्रोता के मन को शांत करती है। इन आयोजनों में पैदा होने वाली ध्वनि तरंगें न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि पूरे वातावरण को प्रभावित करती हैं। वहां मौजूद हर व्यक्ति, चाहे उसकी भाषा या संस्कृति कुछ भी हो, मानसिक शांति, आंतरिक स्पष्टता और आध्यात्मिक जागरूकता के रूप में उस कंपन को महसूस करता है। इन समारोहों में उपस्थित लोग भाषा, संस्कृति या पृष्ठभूमि की सीमाओं से परे एक सामूहिक आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं।

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पुस्तक में एक उदाहरण दिया गया है, जिसमें एक विदेशी श्रोता ने बताया कि Raga Sagara में शामिल होने के बाद उन्हें अपने पुराने मानसिक तनाव से मुक्ति मिली। यह अनुभव केवल उस व्यक्ति तक सीमित नहीं था, बल्कि वहां मौजूद सभी लोगों ने एक सामूहिक शांति और उत्थान का अनुभव किया।

आधुनिक विज्ञान और प्राचीन अनुभव का संगम

The Sacred Sound Path में पी. सेश कुमार ने स्वामीजी के संगीत को आधुनिक न्यूरोसाइंस के साथ जोड़ा है। वे बताते हैं कि जहां वैज्ञानिक जैसे डैनियल लेविटिन ने संगीत के मस्तिष्क पर प्रभाव को सिद्ध किया है, वहीं श्री स्वामीजी ने इस ज्ञान को बिना किसी वैज्ञानिक उपकरण के, केवल अपनी साधना और संगीत के माध्यम से जनमानस तक पहुंचाया है।

उदाहरण के लिए, संगीत में मौजूद ताल और ध्वनियां मस्तिष्क में डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर को प्रभावित करती हैं, जो तनाव कम करने और मानसिक शांति बढ़ाने में मदद करते हैं। स्वामीजी के संगीत में यह प्रभाव और भी गहरा होता है, क्योंकि यह केवल शारीरिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि आत्मिक स्तर पर भी काम करता है। श्री स्वामीजी का संगीत आधुनिक न्यूरोसाइंस और ध्यान विज्ञान के बीच एक सेतु का काम करता है।

संगीत: गुरु की कृपा का श्रव्य स्वरूप

लेखक पी. सेश कुमार स्वामीजी के संगीत को गुरु की करुणा का श्रव्य स्वरूप मानते हैं। वह लिखते हैं कि यह संगीत केवल सुनने के लिए नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा माध्यम है, जो श्रोता को अपनी आत्मा के गहरे स्तर तक ले जाता है। यह संगीत मन को शांत करता है, दुख को कम करता है, और आत्मिक जागरूकता को बढ़ाता है।

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पुस्तक में उन्होंने लिखा है कि स्वामीजी का संगीत एक दर्पण की तरह है, जो श्रोता को उसकी अपनी आत्मा का साक्षात्कार कराता है। यह एक ऐसा सेतु है, जो मानव को अनंत की ओर ले जाता है। यह संगीत न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह एक दर्शन है, जो जीवन के गहरे सवालों का जवाब देता है।

आधुनिक युग में प्राचीन ज्ञान का पुनर्जागरण

आज के तनावपूर्ण और भागदौड़ भरे जीवन में, स्वामीजी का संगीत एक ऐसी रोशनी है, जो हमें अपने भीतर की शांति और आनंद की खोज करने के लिए प्रेरित करता है। The Sacred Sound Path इस यात्रा का एक नक्शा है, जो हमें यह सिखाता है कि संगीत केवल ध्वनि नहीं, बल्कि एक दिव्य शक्ति है, जो हमें अपने सच्चे स्वरूप से जोड़ सकती है।

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यह पुस्तक और स्वामीजी का संगीत हमें एक ही संदेश देता है: “संगीत वह भाषा है, जो आत्मा से आत्मा तक पहुंचती है।” यह न केवल एक कला है, बल्कि जीवन को समझने और जीने का एक तरीका है।

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