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    Home Defence Chronicles Flowers on a Kargil Cliff: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में जर्नलिस्ट विक्रमजीत सिंह...
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    Flowers on a Kargil Cliff: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में जर्नलिस्ट विक्रमजीत सिंह की किताब, करगिल युद्ध की कई अनकही कहानियों की है गवाह

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    6 months ago
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      Flowers on a Kargil Cliff: Vikram Jit Singh's Book Brings Untold Kargil War Stories to JLF 2025
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      📍नई दिल्ली | 6 months ago

      Flowers on a Kargil Cliff: सीनियर जर्नलिस्ट और वॉर कोरेस्पोंडेंट विक्रमजीत सिंह उन चुनिंदा पत्रकारों में से हैं, जिन्होंने 1999 में करगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना के जवानों के साथ 15,700 फीट की ऊंचाई पर फ्रंट लाइन पर दुश्मन की गोलियों और आर्टिलरी फायर के बीच रहे। युद्ध के दौरान के कई किस्से आज भी यूट्यूब पर वायरल होते हैं। उन किस्सों औऱ कहानियों को उन्होंने अपनी किताब ‘फ्लॉवर्स ऑन ए कारगिल क्लिफ’ (Flowers on a Kargil Cliff) में भी साझा किया है। वहीं, अब उनकी यह किताब जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में लिस्ट की गई है।

      Flowers on a Kargil Cliff: Vikram Jit Singh's Book Brings Untold Kargil War Stories to JLF 2025

      3 फरवरी, 2025 को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में “Writing War and Valour” सेशन के दौरान विक्रमजीत सिंह की किताब पर चर्चा होगी। उनके साथ मंच पर लेखक और मिलिट्री हिस्टोरियन प्रबल दासगुप्ता और कर्नल (रि.) अशुतोष काले भी मौजूद रहेंगे। वहीं, इस चर्चा का संचालन नेवी वेटरन श्रीकांत केसनूर करेंगे।

      Flowers on a Kargil Cliff सिर्फ़ एक किताब नहीं, बल्कि उन अनसुनी कहानियों की गवाही है, जो हिमालय की बर्फ़ीली ऊँचाइयों पर दफन हैं। यह किताब उन सैनिकों की वीरता, उनके संघर्ष और मानवीयता के अद्भुत क्षणों को उजागर करती है, जिन्हें अक्सर युद्ध की शोरगुल और गोलियों की आवाज़ में अनदेखा कर दिया जाता है।

      कारगिल युद्ध और विक्रमजीत सिंह का अद्भुत सफर

      विक्रमजीत सिंह भारतीय सेना के साथ कारगिल युद्ध के मैदान में कदम रखने वाले पहले पत्रकार थे। उन्होंने “Flowers on a Kargil Cliff” के माध्यम से अपने अनुभवों को शब्दों में पिरोया है। यह किताब उन दिनों की कहानी कहती है, जब उन्होंने 15,700 फीट की ऊंचाई पर दुश्मन के बंकरों तक जाकर रिपोर्टिंग की। उन्होंने भारतीय सैनिकों के साथ गोलियों की बौछार के बीच रातें गुजारीं और उन कठिन परिस्थितियों को नजदीक से देखा। उनकी रिपोर्टिंग का अंदाज अलग था—उनके लेख ‘सफापोरा हाइट्स’ और ‘पॉइंट 4812’ जैसे अनोखे राइटअप्स डाटलाइन के साथ प्रकाशित हुए।

      यह भी पढ़ें:  1971 India-Pakistan War: जब एक बच्चे की तरह फूट-फूट कर रोया था पाकिस्तानी जनरल, रावलपिंडी और याह्या खान पर फोड़ा था सरेंडर का ठीकरा

      विक्रमजीत सिंह को भारतीय सेना के कई वेटरंस ने उनके साहसिक कामों के लिए भी सराहा है। सियाचिन के महानायक लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी (सेवानिवृत्त) ने उनकी किताब पर टिप्पणी करते हुए लिखा, “विक्रमजीत ने युद्ध संवाददाता के रूप में आग के baptism से गुजरा है और कई बार सैनिक की तरह काम किया है। उनकी रिपोर्टिंग ईमानदारी और प्रेरणा का जीता जागता उदाहरण है।”

      “Flowers on a Kargil Cliff”: युद्ध, प्रेम और मानवीय संवेदनाओं की अद्भुत दास्तान

      उनके लेखन ने न केवल युद्ध के मैदान में सैनिकों की चुनौतियों को समझने में मदद की है, बल्कि युद्ध संवाददाता के तौर पर पत्रकारों के योगदान को भी नई ऊंचाई दी है। सिंह को 2021 में With Honour and Glory — Five Great Artillery Battles के लिए तोपखाने की ऊंचाइयों से उनके अनोखे दृष्टिकोण पर लिखने के लिए भी आमंत्रित किया गया था।

      पुस्तक की अनकही कहानियां

      किताब में न केवल भारतीय सेना के जवानों की कहानियाँ हैं, बल्कि उन पाकिस्तानी सैनिकों की भी, जो अपनी सीमाओं से दूर संघर्ष करते हुए मारे गए। विक्रमजीत ने उन 244 पाकिस्तानी सैनिकों का भी ज़िक्र किया है, जिनकी कब्रें भारतीय ज़मीन में बसी हैं और जिन पर कभी उनके परिवारवालों ने फूल नहीं चढ़ाए। लेकिन हर गर्मियों में खिलने वाले जंगली फूल उन्हें अनकही श्रद्धांजलि देते हैं।

      किताब में लांस नायक डुन नारायण श्रेष्ठ की कहानी भी है, जिनकी पत्नी ने उनके मारे जाने के बावजूद हर दिन सिंदूर और चूड़ियों के साथ अपने सुहाग की यादें जीवित रखीं। वहीं, कैप्टन जिन्टू गोगोई और अनजना पराशर की प्रेम कहानी, जो युद्ध के बाद भी प्रेम की अमरता को दर्शाती है, पाठकों को भावुक कर देती है।

      यह भी पढ़ें:  General’s Jottings: क्यों खतरे में हैं चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद? वेस्टर्न कमांड के पूर्व प्रमुख ले. जन. केजे सिंह ने क्यों जताई इनकी सुरक्षा को लेकर चिंता?

      मानवीयता और साहस की झलक

      “Flowers on a Kargil Cliff” युद्ध के क्रूर चेहरे के बीच मानवीयता के वो छोटे-छोटे क्षण भी दिखाती है, जो इस दर्द भरे माहौल को जीवंत बनाते हैं। विक्रमजीत सिंह का कहना है कि उनका उद्देश्य केवल युद्ध की भयावहता को दिखाना नहीं था, बल्कि उन कहानियों को सामने लाना था, जो इन संघर्षों में दफन हो गई थीं। उन्होंने कहा, “यह किताब सिर्फ़ एक युद्ध की कहानी नहीं है, बल्कि उन सैनिकों की कहानी है, जो अपनी ज़िंदगी और मौत के बीच हर रोज़ खड़े होते हैं। यह प्रेम, बलिदान और मानवीयता का संगम है।” वह आगे कहते हैं कि यह किताब जवानों के उन परिवारों को भी समर्पित हैं, जो भले ही कारगिल युद्ध में सीधे तौर पर नहीं लड़े, लेकिन उन्होंने अपने बेटों, पतियों और भाइयों को युद्ध के मोर्चे पर देश की रक्षा के लिए लड़ने की प्रेरणा दी और जब शहीद हुए तो उनकी शहादत पर गौरवान्वित महसूस किया।

      जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में प्रबल दासगुप्ता और कर्नल अशुतोष काले भी अपने किस्से साझा करेंगे। प्रबल अपनी पुस्तक “Watershed 1967” और “Camouflaged: Forgotten Stories from Battlefields” की कहानियाँ सुनाएंगे, तो जबकि कर्नल काले अपनी किताब “Rambo” के जरिए मेजर सुधीर वालिया के किस्सों को जनता के बीच लाएंगे।

      फ्लॉवर्स ऑन ए कारगिल क्लिफ क्यों है खास?

      फ्लॉवर्स ऑन ए कारगिल क्लिफ किताब की सबसे खास बात है युद्ध के दौरान मानवीयता और प्रेम की कहानियां। विक्रमजीत ने उन छोटे हिमालयी फूलों का भी जिक्र किया है, जिन्हें उन्होंने दुर्गम चट्टानों से तोड़कर अपनी मंगेतर को भेजा। ये फूल प्रेम का प्रतीक तो थे ही, साथ ही उन जवानों के साहस की निशानी भी थे, जिन्होंने विक्रमजीत के साथ अपने पल साझा किए।

      यह भी पढ़ें:  The Sacred Sound Path किताब में खोला राज: स्वर में है संजीवनी, श्री गणपति सचिदानंद स्वामीजी के संगीत से आत्मा का उपचार

      33 वर्षों के पत्रकारिता अनुभव के अलावा, विक्रमजीत सिंह एक प्रकृति प्रेमी भी हैं। उन्होंने प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी डॉ. सलीम अली से काफी-कुछ सीखा है और अब द टाइम्स ऑफ इंडिया और हिंदुस्तान टाइम्स के लिए पर्यावरण और वन्यजीव पर लेख लिखते हैं।

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