Book Review: ‘एवरेस्ट की दूसरी ओर’! हिमालय की ऊंचाइयों से तिब्बत की गहराइयों तक, आईएएस अफसर रवींद्र कुमार के जुनून की कहानी

Book Review: 'The Other Side of Everest' – An IAS Officer's Thrilling Journey from Himalayan Heights to Tibetan Depths
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रवींद्र कुमार एक साधारण परिवार से आते हैं। मेहनत और लगन से वे पहले आईएएस अधिकारी बने और फिर एवरेस्ट जैसे मुश्किल पर्वत को फतह करने का सपना देखा। किताब की शुरुआत में वे बताते हैं कि कैसे उन्होंने 2013 में एवरेस्ट पर चढ़ने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। यह असफलता उनके लिए हार नहीं थी। कई साल की मेहनत, शारीरिक और मानसिक तैयारी के बाद 2017 में वे तिब्बत की उत्तरी दिशा से एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचे...
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📍नई दिल्ली | 2 months ago

Book Review: ‘एवरेस्ट की दूसरी ओर’ रवींद्र कुमार की एक ऐसी किताब है, जो पाठकों को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की सैर कराती है और साथ ही जीवन की चुनौतियों को जीतने की प्रेरणा देती है। रवींद्र कुमार एक आईएएस अधिकारी हैं, जो पर्वतारोहण का भी शौक रखते हैं। इस किताब में उन्होंने अपनी एवरेस्ट चढ़ाई और तिब्बत की सांस्कृतिक-अध्यात्मिक यात्रा का रोचक वर्णन किया है। खास तौर पर जोखांग मठ का जिक्र इस किताब को और खास बनाता है।

Book Review: उत्तरी दिशा से एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचे

रवींद्र कुमार एक साधारण परिवार से आते हैं। मेहनत और लगन से वे पहले आईएएस अधिकारी बने और फिर एवरेस्ट जैसे मुश्किल पर्वत को फतह करने का सपना देखा। किताब की शुरुआत में वे बताते हैं कि कैसे उन्होंने 2013 में एवरेस्ट पर चढ़ने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। यह असफलता उनके लिए हार नहीं थी। कई साल की मेहनत, शारीरिक और मानसिक तैयारी के बाद 2017 में वे तिब्बत की उत्तरी दिशा से एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचे। तिब्बत में एवरेस्ट को चोमोलंगमा कहते हैं, तो नेपाल में इसे सागरमाथा कहा जाता है। नेपाल की तरफ के मुकाबले तिब्बत की तरफ से चढ़ना बेहद मुश्किल माना जाता है और बेहद चुनिंद लोग ही तिब्बत की तरफ से समिट पूरा कर पाते हैं।

किताब का नाम ‘एवरेस्ट की दूसरी ओर’ सिर्फ पर्वत की दूसरी दिशा को नहीं दिखाता, बल्कि यह जीवन के उन पहलुओं की बात करता है, जहां इंसान अपनी कमजोरियों को हराकर कुछ बड़ा हासिल करता है। लेखक कहते हैं, “एवरेस्ट सिर्फ एक पर्वत नहीं, यह जीवन की हर बड़ी चुनौती का प्रतीक है।”

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तिब्बत और जोखांग मठ का जादू

इस किताब का एक खास हिस्सा तिब्बत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक झलक है। जब लेखक ल्हासा, जो तिब्बत की राजधानी है, पहुंचे, तो वे जोखांग मठ गए। यह मठ तिब्बती बौद्ध धर्म का बहुत महत्वपूर्ण केंद्र है। लेखक इसे “शांति और ऊर्जा का स्थान” कहते हैं। उनके शब्दों में, मठ में कदम रखते ही उन्हें एक अनोखी शांति मिली, जैसे सारी चिंताएं गायब हो गईं।

जोखांग मठ का निर्माण 7वीं सदी में राजा सोंगत्सेन गम्पो ने करवाया था। यह तिब्बती कला और वास्तुकला का शानदार नमूना है। लेखक बताते हैं कि 1966 में सांस्कृतिक क्रांति के दौरान इस मठ को काफी नुकसान हुआ था, लेकिन 1972 से 1980 तक इसे फिर से बनाया गया। आज यह मठ तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

लेखक लिखते हैं, “मठ के आसपास तीर्थयात्रियों की भीड़ और उनकी आस्था को देखकर मुझे अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ने की प्रेरणा मिली। यह अनुभव किसी ध्यान साधना जैसा था।” यह वर्णन पाठकों को तिब्बत की संस्कृति और आध्यात्मिकता के करीब ले जाता है। यह किताब को सिर्फ पर्वतारोहण की कहानी से कहीं ज्यादा बनाता है।

दिल को छू लेती है किताब

रवींद्र कुमार की लेखन शैली बहुत आसान और दिल को छूने वाली है। पर्वतारोहण जैसे जटिल विषय को भी उन्होंने इतने सरल तरीके से लिखा है कि कोई भी आम पाठक इसे समझ सकता है। उनकी लेखनी में हिमालय की बर्फीली चोटियां, ठंडी हवाएं और मुश्किल रास्ते जैसे जीवंत हो उठते हैं। पाठक को ऐसा लगता है जैसे वह खुद एवरेस्ट की चढ़ाई कर रहा हो।

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लेखक ने सिर्फ पर्वतारोहण की बातें ही नहीं लिखीं, बल्कि अपने डर, अकेलापन और आत्मविश्वास की कमी जैसे मानसिक संघर्षों को भी खुलकर बताया है। वे लिखते हैं कि कैसे उन्होंने इन कमजोरियों को हराकर खुद को मजबूत किया। यह किताब सिर्फ शारीरिक मेहनत की कहानी नहीं, बल्कि मन की ताकत और आत्मविश्वास की जीत की कहानी है।

‘एवरेस्ट की दूसरी ओर’ एक ऐसी किताब है, जो हर पाठक को प्रेरित करती है। लेखक का मानना है कि असफलता कोई अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। उनकी 2013 की नाकाम कोशिश और फिर 2017 में मिली सफलता इस बात का सबूत है। वे कहते हैं कि अगर आपके पास साहस, मेहनत और धैर्य है, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।

यह किताब खास तौर पर उन युवाओं के लिए है, जो असफलता से डरकर अपने सपने छोड़ देते हैं। लेखक का यह अनुभव बताता है कि मेहनत और लगन से हर शिखर को छुआ जा सकता है। चाहे वह एवरेस्ट की चोटी हो या जीवन का कोई और बड़ा लक्ष्य। लेखक का यह संदेश है कि अगर आपने ठान लिया, तो कोई भी मुश्किल आपको रोक नहीं सकती।

किताब का हर पन्ना देता है नई प्रेरणा और उत्साह

यह किताब हर तरह के पाठकों के लिए है। जो लोग साहसिक कहानियां पसंद करते हैं, उनके लिए इसमें एवरेस्ट की चढ़ाई का रोमांच है। जो लोग संस्कृति और आध्यात्मिकता में रुचि रखते हैं, उनके लिए तिब्बत और जोखांग मठ का वर्णन एक अनमोल अनुभव है। और जो लोग जीवन में प्रेरणा ढूंढ रहे हैं, उनके लिए यह किताब एक मार्गदर्शक है। लेखक ने अपनी कहानी को इतने रोचक तरीके से लिखा है कि पाठक इसे एक बार शुरू करने के बाद खत्म किए बिना नहीं रह सकता। किताब का हर पन्ना नई प्रेरणा और उत्साह देता है।

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‘एवरेस्ट की दूसरी ओर’ एक ऐसी किताब है, जो रोमांच, आध्यात्मिकता और प्रेरणा का मिश्रण है। रवींद्र कुमार ने अपनी इस किताब में न सिर्फ अपनी एवरेस्ट यात्रा को साझा किया, बल्कि तिब्बत की संस्कृति और जोखांग मठ की आध्यात्मिकता को भी खूबसूरती से पेश किया। यह किताब सिर्फ एक पर्वतारोही की कहानी नहीं, बल्कि हर उस इंसान की कहानी है, जो अपने सपनों को सच करना चाहता है।

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यह किताब हर उस व्यक्ति को पढ़नी चाहिए, जो अपने जीवन में कुछ बड़ा करना चाहता है। यह न केवल एक यात्रा की कहानी है, बल्कि आत्म-खोज और आत्मविश्वास की एक प्रेरक गाथा है। रवींद्र कुमार की यह किताब हमें सिखाती है कि अगर मन में ठान लिया जाए, तो कोई भी शिखर दूर नहीं।

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