📍मुंबई | 16 Oct, 2025, 9:53 PM
MDL-Naval Group MoU: मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने फ्रांस के नेवल ग्रुप के साथ एक एक्सक्लूसिव मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग साइन किया है। यह समझौता एक “फ्रेंडली कंट्री” के लिए स्कॉर्पिन सबमरीन्स बनाने को लेकर किया गया है, जो अपना सबमरीन एक्विजिशन प्रोग्राम चला रही है।
यह करार रक्षा मंत्रालय के नेवल सिस्टम्स डिवीजन के जॉइंट सेक्रेटरी राजीव प्रकाश की मौजूदगी में हुआ। इसका उद्देश्य भारत और फ्रांस के बीच दीर्घकालिक साझेदारी को होराइजन 2047 विजन के तहत और मजबूती देना है।
MDL-Naval Group MoU: भारत बना सबमरीन एक्सपोर्ट का हब
इस समझौते से भारत पहली बार वैश्विक सबमरीन एक्सपोर्ट मार्केट में एक को-प्रोड्यूसर देश के तौर पर प्रवेश कर रहा है। अब दोनों कंपनियां मिलकर विकसित स्कॉर्पिन कैटेगरी की पनडुब्बियां उन मित्र देशों को ऑफर करेगा जो भारत और फ्रांस दोनों के लिए रणनीतिक रूप से अहम हैं।
एमडीएल ने एक बयान में कहा कि यह साझेदारी भारत के मेक इन इंडिया विजन के तहत की गई है, जिसमें अब भारत केवल निर्माण केंद्र नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी पार्टनर के तौर पर उभरा है।
प्रोजेक्ट 75 की सफलता से खुला रास्ता
एमडीएल और नेवल ग्रुप की साझेदारी कोई नई नहीं है। 2005 में शुरू हुआ प्रोजेक्ट 75 भारत-फ्रांस रक्षा सहयोग का सबसे सफल उदाहरण रहा है। इसके तहत एमडीएल ने छह स्कॉर्पिन-क्लास डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन्स बनाईं, जिनमें आईएनएस कलवरी, आईएनएस खंडेरी, आईएनएस करंज, आईएनएस वेला, आईएनएस वागीर और आईएनएस वाघशीर शामिल हैं।
आईएनएस वाघशीरr को जनवरी 2025 में भारतीय नौसेना को सौंपा गया, जिससे प्रोजेक्ट 75 की आखिरी सबमरीन थी। इस प्रोजेक्ट के तहत भारत ने 90% से अधिक इंडिजिनाइजेशन लेवल हासिल कर लिया है।
इन पनडुब्बियों में स्टील्थ टेक्नोलॉजी, उन्नत टॉरपीडो सिस्टम, एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एऐपी) मॉड्यूल और लंबे समय तक अंडरवॉटर क्षमता जैसी अत्याधुनिक खूबिया हैं। अब, इसी तकनीक के एडवांस वर्जन को भारत-फ्रांस मिलकर मित्र देशों के लिए तैयार कर रहे हैं।
फ्रेंडली कंट्री के लिए होगी सबमरीन पेशकश
एमडीएल और नेवल ग्रुप ने देश का नाम सार्वजनिक नहीं किया है, लेकिन रक्षा सूत्रों के अनुसार, यह सौदा इंडो-पैसिफिक रीजन के एक देश से जुड़ा हो सकता है। क्षेत्रीय सुरक्षा और रणनीतिक स्थिरता को देखते हुए इंडोनेशिया या वियतनाम जैसे देश इसके संभावित भागीदार माने जा रहे हैं।
एमओयू के मुताबिक, दोनों कंपनियां केवल “परस्पर मित्र राष्ट्र” को ही विकसित स्कॉर्पीन सबमरीन ऑफर करेंगी। यह न केवल भारत के रक्षा निर्यात में नया अध्याय खोलेगा, बल्कि भारतीय शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनाएगा।
भारत-फ्रांस साझेदारी का नया चरण
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा 2023 में घोषित “होराइजन 2047 डिफेंस पार्टनरशिप विजन” का उद्देश्य रक्षा अनुसंधान, को-प्रोडक्शन और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के क्षेत्र में भारत-फ्रांस सहयोग को 2047 तक नए स्तर पर ले जाना है।
इससे पहले, जुलाई 2025 में नेवल ग्रुप ने डीआरडीओ के साथ एआईपी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर एग्रीमेंट साइन किया था। यह तकनीक स्कॉर्पीन सबमरीन को 14 दिनों तक बिना सतह पर आए अंडरवॉटर ऑपरेशन में सक्षम बनाती है।
इस एमओयू से एमडीएल की ऑर्डर बुक में भी बढ़ोतरी होगी। कंपनी फिलहाल 38,000 करोड़ रुपये से अधिक के ऑर्डर्स पर काम कर रही है। उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह एक्सपोर्ट डील फाइनल होती है, तो एमडीएल के पोर्टफोलियो में 10,000-15,000 करोड़ रुपये के नए कॉन्ट्रैक्ट जुड़ सकते हैं।
शेयर मार्केट में भी इस घोषणा के बाद एमडीएल के शेयर में 3 फीसदी की तेजी दर्ज की गई और यह 4,200 रुपये के स्तर पर पहुंच गया।