📍नई दिल्ली/वॉशिंगटन | 10 Oct, 2025, 1:13 PM
Pakistan AIM-120 AMRAAM Deal: अमेरिकी युद्ध विभाग यानी डिपार्टमेंट ऑफ वॉर ने पाकिस्तान को एडवांस्ड मीडियम-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइलें मिलने की खबरों पर बड़ा बयान जारी किया है। विभाग ने साफ कहा है कि पाकिस्तान को कोई नई मिसाइलें नहीं दी जा रहीं। यह सौदा सिर्फ पुरानी मिसाइलों के रखरखाव और स्पेयर पार्ट्स से जुड़ा है।
अमेरिका ने यह बयान तब जारी किया जब सोशल मीडिया और मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया कि पाकिस्तान को नई AIM-120C8 और AIM-120D3 मिसाइलें मिल रही हैं। जिसके बाद भारत समेत कई देशों में चर्चा छिड़ गई थी, क्योंकि इसी मिसाइल का इस्तेमाल पाकिस्तान ने 2019 के बालाकोट हमले के बाद मिग-21 बाइसन पर अटैक करने में किया था।
30 सितंबर 2025 को अमेरिकी युद्ध विभाग ने एक आधिकारिक प्रेस नोट जारी किया था। इसमें कहा गया कि एरिजोना की रेथियन कंपनी को एक कॉन्ट्रैक्ट में संशोधन दिया गया है। यह कॉन्ट्रैक्ट नंबर एफA8675-23-सी-0037 एआईएम-120 मिसाइलों के उत्पादन और रखरखाव से जुड़ा है, जिसकी कुल राशि अब 2.51 अरब डॉलर (करीब 21,000 करोड़ रुपये) हो गई है।
इस सूची में लगभग 35 देश शामिल हैं जिनमें जर्मनी, पोलैंड, ताइवान, इजराइल, जापान, सऊदी अरब, कतर, फिनलैंड, स्वीडन, और पाकिस्तान का नाम भी था। जिसके बाद भ्रम फैल गया कि अमेरिका ने पाकिस्तान को नई मिसाइलें बेची हैं।
Pakistan AIM-120 AMRAAM Deal: क्या है एआईएम-120 मिसाइल
एआईएम-120 मिसाइल अमेरिका की सबसे एडवांस हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। यह मिसाइल वियोंड विजुअल रेंज क्षमता वाली हैं, यानी यह 100 किलोमीटर से अधिक दूरी पर उड़ते दुश्मन के विमान को गिरा सकती है। इसमें एक्टिव रडार गाइडेंस सिस्टम लगा है, जो इसे अपने टारगेट तक खुद पहुंचने की क्षमता देता है।
यह मिसाइल एफ-16, एफ-15, और एएफ/ए-18 जैसे लड़ाकू विमानों पर लगाई जा सकती है। इसका निर्माण अमेरिकी कंपनी रेथियन करती है। पाकिस्तान ने 2006 में अपने एफ-16 ब्लॉक-52 जेट्स के साथ एआईएम-120सी5 वेरिएंट खरीदा था। 2019 में बालाकोट के बाद हुई हवाई मुठभेड़ में पाकिस्तान ने इसी मिसाइल का इस्तेमाल किया था।
Pakistan AIM-120 AMRAAM Deal: कैसे फैला भ्रम
कॉन्ट्रैक्ट की घोषणा में जब पाकिस्तान का नाम आया, तो अंतरराष्ट्रीय मीडिया की कई रिपोर्ट्स में लिखा गया कि यह “पाकिस्तान एयर फोर्स के एफ-16 जेट्स के लिए नई एआईएम-120डी मिसाइलें” हैं। इसे अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों में सुधार का संकेत बताया, तो भारत की सुरक्षा के लिए खतरा करार दिया।
हालांकि, अमेरिकी रक्षा विभाग ने स्पष्ट किया कि यह फॉरेन मिलिट्री सेल्स कार्यक्रम का सामान्य हिस्सा है, जिसमें पहले से हथियार रखने वाले देशों को मेंटेनेंस सर्विस दी जाती है।
क्या है यह “सस्टेनमेंट कॉन्ट्रैक्ट”
डिफेंस इंडस्ट्री में “सस्टेनमेंट” शब्द का मतलब किसी मौजूदा सिस्टम या हथियार की मरम्मत, रखरखाव, स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति और तकनीकी मदद से होता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी देश ने 10 साल पहले मिसाइलें खरीदी थीं, तो उसे नियमित रखरखाव और स्पेयर पार्ट्स की जरूरत होगी। इसी सेवा के लिए अमेरिका समय-समय पर कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाता रहता है।
यह नई डिलीवरी नहीं बल्कि पुराने स्टॉक को चालू रखने की प्रक्रिया होती है। इस सौदे के तहत रेथॉन कंपनी को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह विभिन्न देशों की वायुसेनाओं को आवश्यक पार्ट्स, सॉफ्टवेयर अपडेट और सपोर्ट सेवाएं देती रहे। ऐसे कॉन्ट्रैक्ट हर साल या दो साल में संशोधित किए जाते हैं, ताकि पुराने उपकरणों की लाइफलाइन बढ़ाई जा सके। और यह 30 मई 2030 तक एरिजोना स्थित रेथॉन के मुख्यालय में पूरा किया जाएगा। बता दें कि रेथॉन वही कंपनी है जो अमराम, पैट्रियट मिसाइल सिस्टम और नासमस बनाती है।
क्या कहा अमेरिका ने
10 अक्टूबर 2025 को अमेरिकी युद्ध विभाग ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि झूठी मीडिया रिपोर्ट्स के विपरीत, यह कॉन्ट्रैक्ट पाकिस्तान को नई मिसाइलों की डिलीवरी से संबंधित नहीं है। यह केवल मौजूदा स्टॉक के रखरखाव से जुड़ा है, किसी अपग्रेड से संबंधित नहीं है। इसके बाद नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने भी नई दिल्ली में यही बयान दोहराया कि “यह अनुबंध केवल मौजूदा हथियारों की सर्विस और रिपेयर से जुड़ा है।”
पाकिस्तान के लिए क्या है इसका मतलब
पाकिस्तान के पास फिलहाल ऐसी लगभग 500 एआईएम-120 सी5 मिसाइलें हैं जो उसके एफ-16 ब्लॉक-52 फाइटर जेट्स में लगाई जाती हैं। यह जेट्स 2006-2007 में खरीदे गए थे और आज भी पाकिस्तान वायुसेना के लिए सबसे सक्षम प्लेटफॉर्म हैं। इस कॉन्ट्रैक्ट से पाकिस्तान को सिर्फ इतना लाभ होगा कि वह अपनी पुरानी मिसाइलों की मरम्मत और रखरखाव जारी रख सकेगा। किसी भी नई मिसाइल खरीद के लिए अमेरिकी कांग्रेस से अनुमोदन जरूरी होता है, जो इस मामले में नहीं हुआ।