📍नई दिल्ली/श्रीनगर | 6 Nov, 2025, 1:56 PM
Intelligence Inputs: भारत के ऑपरेशन सिंदूर के छह महीने बाद पाकिस्तानी आतंक संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर से आतंकी गतिविधियां तेज कर दी हैं। ताजा खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने सीमापार से घुसपैठ और नई हमलों की योजना तैयार कर ली है।
खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस और स्पेशल सर्विस ग्रुप ने इन संगठनों की मदद से जम्मू-कश्मीर में सक्रिय नेटवर्क को दोबारा खड़ा करना शुरू कर दिया है। आतंकियों के कई ग्रुप लाइन ऑफ कंट्रोल के रास्ते घाटी में दाखिल हो चुके हैं और वे ड्रोन के जरिए इलाके की निगरानी कर रहे हैं।
खुफिया सूत्रों के अनुसार, लश्कर के आतंकी शमशेर की अगुवाई में एक ग्रुप ने हाल ही में ड्रोन से एलओसी के कमजोर हिस्सों की मैपिंग की, ताकि वहां से फिदायीन हमले या हथियार गिराने की कार्रवाई की जा सके।
Intelligence Inputs: पाकिस्तान में हुई गई गुप्त मीटिंग
इंटेलिजेंस एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में अक्टूबर 2025 के दौरान कई गुप्त बैठकें हुईं हैं। इनमें जमात-ए-इस्लामी, हिज्बुल मुजाहिदीन, और आईएसआई के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। इन बैठकों में आतंकियों के निष्क्रिय सेल्स को फिर से सक्रिय करने और पुराने कमांडरों को मासिक भत्ता देने की योजना तैयार की गई।
सूत्रों के अनुसार, आईएसआई ने अपने हैंडलरों को निर्देश दिया है कि वे भारतीय सुरक्षा बलों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और नागरिकों को निशाना बनाते हुए “बदले की कार्रवाई” शुरू करें। इसके लिए पाकिस्तान में मौजूद बॉर्डर एक्शन टीम्स, जो पूर्व एसएसजी सैनिकों और प्रशिक्षित आतंकियों से बनी हैं, उन्हें फिर से सक्रिय किया गया है।
नशे और हथियारों के जरिए आतंकी फंडिंग
खुफिया एजेंसियों का कहना है कि लश्कर और जैश ने घाटी में अपने पुराने समर्थकों को फिर से सक्रिय करना शुरू कर दिया है। आतंकियों के ह्यूमन नेटवर्क को अब फिर से खड़ा किया जा रहा है। इस नेटवर्क को भारत ने पहले खत्म कर दिया था। इसके साथ ही, नार्को-टेरर नेटवर्क यानी नशे और हथियारों की तस्करी के जरिए आतंक को फंड करने की कोशिशें भी तेज हो गई हैं।
पंजाब और राजस्थान में हाल ही में पकड़ी गई हथियारों की खेपों में पाकिस्तान से भेजे गए ड्रोन की भूमिका सामने आई थी। अब वही पैटर्न जम्मू-कश्मीर में भी देखने को मिल रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की नई चाल
भारत ने अप्रैल 2025 में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर चलाया था। इसमें भारतीय सेना ने सटीक एयर स्ट्राइक्स और ग्राउंड ऑपरेशंस के जरिए कई आतंकी मॉड्यूल्स को खत्म किया था। इस अभियान में लश्कर-ए-तैयबा और द रेजिस्टेंस फ्रंट को भारी नुकसान हुआ था।
लेकिन अब पाकिस्तान की कोशिश है कि वह उस हार का बदला ले। भारत की काउंटर-टेरर स्ट्राइक से बुरी तरह बौखलाए आतंक संगठनों को फिर से हथियार, प्रशिक्षण और धन मुहैया कराया जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली और राजनीतिक अस्थिरता ने उसकी सेना और आईएसआई को भारत विरोधी गतिविधियों पर और निर्भर बना दिया है।
सरकार और सेना हाई अलर्ट पर
नई दिल्ली में सुरक्षा एजेंसियों ने इन खुफिया रिपोर्टों को “गंभीर चेतावनी” के तौर पर लिया है। सेना और खुफिया इकाइयों को उत्तरी कमान के सभी सेक्टरों में अलर्ट कर दिया गया है। सूत्रों ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत जिन इलाकों में पहले आतंक खत्म किया गया था, वहां फिर से निगरानी बढ़ा दी गई है। इस बीच भारत की तीनों सेनाएं पश्चिमी सीमाओं पर त्रिशूल ट्राई-सर्विस एक्सरसाइज कर रही हैं।
जम्मू-कश्मीर में इस समय स्थानीय चुनावों और पर्यटन की बहाली के चलते एक शांति दिखाई दे रही है। लेकिन खुफिया एजेंसियों का मानना है कि आईएसआई इस माहौल को बिगाड़ने की कोशिश कर रही है।
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में हुई हाल की बैठकों का मकसद घाटी में आतंक की पुरानी मशीनरी को फिर से एक्टिव करना है। आईएसआई अब भी पुराने कमांडरों को पैसा मुहैया कराा रही है ताकि वे नए भर्तियां शुरू कर सकें।
सूत्रों का कहना है कि भारतीय सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। लाइन ऑफ कंट्रोल पर निगरानी बढ़ा दी गई है और तकनीकी इंटेलिजेंस के जरिए हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है।
इस बीच पाकिस्तान की तरफ से हो रहे ड्रोन मूवमेंट्स और रेडियो इंटरसेप्शन की जांच भी तेज कर दी गई है। सुरक्षा बलों ने घाटी में संवेदनशील इलाकों में ऑपरेशंस को और सख्त कर दिया है ताकि किसी नई साजिश को जमीन पर उतरने से पहले ही नाकाम किया जा सके।
