📍नई दिल्ली | 1 day ago
Exercise Suraksha Chakra: भारत की राजधानी और उसके आसपास के क्षेत्रों को भूकंप और औद्योगिक रासायनिक खतरों से सुरक्षित रखने के लिए दिल्ली छावनी स्थित मानेकशॉ सेंटर में एक अनोखा अभ्यास शुरू हुआ है। इस तीन दिवसीय आयोजन को ‘एक्सरसाइज सुरक्षा चक्र’ (Exercise Suraksha Chakra) नाम दिया गया है और इसका आयोजन दिल्ली एरिया मुख्यालय द्वारा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश की राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों (SDMAs) के सहयोग से किया जा रहा है।
क्या है Exercise Suraksha Chakra का उद्देश्य?
इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य आपदा के समय सभी एजेंसियों सेना, सिविल प्रशासन और वैज्ञानिक संस्थानों को एक मंच पर लाकर कॉर्डिनेशन स्थापित करना है। इस प्रयास के जरिए यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई भी प्राकृतिक या मानवजनित आपदा आने पर सभी एजेंसियां मिलकर जल्दी और प्रभावी रूप से कार्रवाई कर सकें।
अभ्यास में दिल्ली के 11, हरियाणा के 5 और उत्तर प्रदेश के 2 जिलों को शामिल किया गया है। यह पहली बार है जब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में इतनी बड़ी स्तर पर भूकंप और औद्योगिक रासायनिक आपदाओं से निपटने की योजना का संयुक्त अभ्यास किया जा रहा है।
🚨 EXERCISE SURAKSHA CHAKRA KICKS OFF IN DELHI CANTT 🛡️
A 3-day Integrated Disaster Management Symposium & Mock Exercise began today at Manekshaw Centre, Delhi Cantt, bringing together civil, military, and scientific experts to strengthen NCR’s disaster preparedness.Organised… pic.twitter.com/Bt7iUG3B4V
— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) July 29, 2025
29 जुलाई को शुरू हुए इस अभ्यास का पहला दिन दिल्ली-एनसीआर में आपदा खतरों और विभिन्न एजेंसियों की क्षमताओं को समझने पर केंद्रित रहा। अभ्यास के पहले दिन की शुरुआत एनडीएमए चीफ राजेन्द्र सिंह के उद्घाटन भाषण से हुई। इसके बाद पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने मुख्य संबोधन दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दिल्ली-एनसीआर जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्र में आपदा प्रबंधन की तैयारी कितनी जरूरी है।
उन्होंने कहा कि हमें पहले से ही कमजोर क्षेत्रों की पहचान कर लेनी चाहिए और वहां पर राहत सामग्री तथा उपकरणों को पहले से ही रख देना चाहिए ताकि समय पर मदद पहुंचाई जा सके। उन्होंने रिस्क मैनेजमेंट और फास्ट रेस्पॉन्स तेज की जरूरत बताई।

दिल्ली है संवेदनशील
दिल्ली एरिया के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल भवनीश कुमार ने अपने संबोधन में बताया कि दिल्ली क्षेत्र किन-किन आपदाओं के प्रति संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि दिल्ली न केवल भूकंप के खतरों का सामना करती है, बल्कि औद्योगिक क्षेत्रों में रासायनिक रिसाव, आग लगने और अन्य मानवीय लापरवाही से होने वाली आपदाएं भी चिंता का विषय हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि सभी एजेंसियां मिलकर किस प्रकार इन खतरों को कम करने के लिए काम कर रही हैं, और किस प्रकार पूर्व योजना बनाकर तैयारी की जा रही है।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और अन्य तकनीकी एजेंसियों द्वारा आधुनिक राहत और बचाव उपकरणों की प्रदर्शनी लगाई गई। इस प्रदर्शनी में ड्रोन, आधुनिक स्ट्रेचर, गैस रिसाव रोकने वाले उपकरण और जीवन रक्षक किट शामिल थीं। प्रदर्शनी से यह दिखाया गया कि भारत अब आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में कितनी तकनीकी प्रगति कर चुका है और अब हम किसी भी आपदा की स्थिति में वैज्ञानिक तरीकों से काम करने में सक्षम हैं।
टेबल टॉप अभ्यास और सिम्युलेशन
तीन दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन टेबल टॉप एक्सरसाइज होगी, जिसमें एजेंसियां मिलकर एक ड्रिल के जरिए अपनी प्रतिक्रिया योजनाएं साझा करेंगी। इसके बाद 1 अगस्त 2025 को एक मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी, जिसमें सभी एजेंसियां एक साथ एक सिम्युलेटेड आपदा से निपटने की तैयारियों का प्रदर्शन करेंगी। इसमें फील्ड स्तर पर कॉर्डिनेशन, उपकरणों का इस्तेमाल, लोगों की निकासी और चिकित्सा सहायता जैसे सभी पहलुओं का अभ्यास किया जाएगा।
क्यों जरूरी है यह अभ्यास?
यह अभ्यास दिल्ली-एनसीआर जैसे घनी आबादी वाले और जोखिम भरे क्षेत्र में आपदा प्रबंधन की तैयारियों को परखने का एक अनूठा अवसर है। यह क्षेत्र भूकंप के लिए संवेदनशील है, और हाल के महीनों में जुलाई 2025 में हरियाणा के झज्जर में 3.7 और 4.4 तीव्रता के भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे। इसके अलावा, औद्योगिक रासायनिक खतरे भी इस क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। ‘सुरक्षा चक्र’ इन खतरों से निपटने के लिए रणनीतियों को बेहतर बनाने और संसाधनों की कमी को पहचानने में मदद करेगा।
इंस्टीट्यूशनल मैकेनिज्म को मजबूत करना
‘सुरक्षा चक्र’ केवल एक अभ्यास नहीं है, बल्कि यह आपदा प्रबंधन के लिए एक इंस्टीट्यूशनल मैकेनिज्म को स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय को बढ़ाने, स्थानीय स्तर की विशेषज्ञता को रणनीतिक योजना के साथ जोड़ने, और जनता को आपदा के लिए तैयार करने का प्रयास है। एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने बताया कि पिछले पांच सालों में एनडीएमए ने देश भर में 200 छोटे-बड़े मॉक अभ्यास आयोजित किए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी निर्देश दिए हैं कि देश के प्रत्येक 750 जिलों में हर तीन साल में ऐसे अभ्यास किए जाएं।

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