📍नई दिल्ली | 24 Nov, 2025, 10:46 PM
HAMMER Weapon JV: भारत के आत्मनिर्भर रक्षा कार्यक्रम को बड़ी मजबूती मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल आत्मनिर्भर भारत पहल को आगे बढ़ाते हुए अब भारत में ही हैमर बम बनाए जाएंगे। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और फ्रांस की रक्षा कंपनी साफरान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड डिफेंस ने भारत में हैमर स्मार्ट प्रिसिजन गाइडेड एयर-टू-ग्राउंड वेपन के प्रोडक्शन के लिए एक बड़ा समझौता किया है।
यह समझौता जॉइंट वेंचर कोऑपरेशन एग्रीमेंट के तौर पर 24 नवंबर को नई दिल्ली में साइन किया गया। इसके तहत हैमर वेपन सिस्टम का निर्माण, सप्लाई और मेंटेनेंस भारत में किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस वेपन सिस्टम के उत्पादन में इंडिजेनाइजेशन धीरे-धीरे बढ़ाकर 60 फीसदी तक ले जाया जाएगा। यानी बहुत सारे सब-असेंबली, मैकेनिकल पार्ट्स और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम भारत में ही बनाए जाएंगे।

HAMMER Weapon JV: दोनों की 50–50 हिस्सेदारी
इस दौरान दोनों कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों बीईएल की तरफ से सीएमडी मनोज जैन और साफरान के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट अलेक्ज़ांद्र जिगलर ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह जॉइंट वेंचर भारत में एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में बनाया जाएगा, जिसमें बीईएल और साफरान दोनों की 50–50 हिस्सेदारी होगी। बीईएल इस जॉइंट वेंचर के तहत फाइनल असेंबली, क्वालिटी चेक, और टेस्टिंग की जिम्मेदारी संभालेगा। हैमर का प्रोडक्शन चरणों में किया जाएगा ताकि टेक्नोलॉजी ट्रांसफर धीरे-धीरे भारतीय उद्योग में स्थापित हो सके।
🚀 Aatmanirbhar Bharat Boost!
BEL 🇮🇳 & Safran Electronics & Defence 🇫🇷 have signed a major Joint Venture Cooperation Agreement to manufacture HAMMER Smart Precision-Guided Air-to-Ground Weapons in India!
The deal was inked in New Delhi by BEL CMD Manoj Jain & Safran EVP… pic.twitter.com/HI4p3zcmiJ— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) November 24, 2025
इनके लिए आवश्यक सब-असेंबली और पार्ट्स भारत के विभिन्न उद्योगों, एमएसएमई और टेक्नोलॉजी कंपनियों द्वारा सप्लाई किए जाएंगे। इससे भारतीय रक्षा उद्योग को नए अवसर मिलेंगे और रोजगार भी पैदा होंगे।
बीईएल ने कहा कि यह जॉइंट वेंचर भारत में रक्षा उत्पादन के लिए एक अहम मील का पत्थर है। बीईएल के चेयरमैन मनोज जैन के अनुसार, यह साझेदारी भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को एक नई दिशा देगी और घरेलू उद्योग को ग्लोबल स्टैंडर्ड्स पर ले जाने में मदद करेगी। वहीं, साफरान ने कहा कि भारत के साथ यह सहयोग लंबे समय तक चलने वाला होगा और यह कंपनी भारत में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और को-डेवलपमेंट के लिए प्रतिबद्ध है।
इस दौरान रक्षा उत्पादन सचिव संजीव कुमार और साफरान के सीईओ ओलिवियर एंड्रियेस भी मौजूद रहे। यह समझौता भारत की रक्षा उद्योग क्षमता को तेजी से आगे बढ़ाने वाला कदम माना जा रहा है।
HAMMER Weapon JV: क्या है हैमर बम
हैमर का पूरा नाम हाईली एजाइल मॉड्यूलर म्युनिशन एक्सटेंडेड रेंज है। यह एक स्मार्ट प्रिसिजन गाइडेड एयर-टू-ग्राउंड वेपन है। इसका इस्तेमाल हवाई जहाज से जमीन पर बेहद सटीक हमले के लिए किया जाता है। यह वेपन सिस्टम अपने मॉड्यूलर डिजाइन और हाई एक्यूरेसी के लिए जाना जाता है। इसमें जीपीएस और आईएनएस (इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम) बेस्ड गाइडेंस का इस्तेमाल होता है, जो टारगेट पर बेहद सटीक हमला करने में मदद करता है। यह वेपन 15 से 70 किलोमीटर की दूरी तक टारगेट को निशाना बना सकता है।
हैमर वेपन का पूरा स्ट्रक्चर दो मुख्य हिस्सों में बंटा होता है। इसका आगे वाला हिस्सा गाइडेंस किट कहलाता है, जिसे नोज सेक्शन कहा जाता है। यहां वे सारे इलेक्ट्रॉनिक्स लगे होते हैं, जो इसे टारगेट तक ले जाते हैं। वहीं, पीछे की तरफ रेंज एक्सटेंशन किट लगती है, जिसमें छोटे विंगलेट्स और एक सॉलिड रॉकेट मोटर होती है। यही मोटर इस बम को लंबी दूरी तक पहुंचने की ताकत देती है।
HAMMER Weapon JV: एंटी-टैंक और बंकर बस्टर का कर सकता है काम
यह सिस्टम किसी नए बम को पूरी तरह बनाने के बजाय, पहले से मौजूद स्टैंडर्ड बॉम्ब जैसे एमके-82, बीएलयू-111 या बैंग को स्मार्ट वेपन में बदल देता है। यही वजह है कि इसे मॉड्यूलर डिजाइन कहा जाता है। इसका वजन मिशन के हिसाब से बदल सकता है। इसे 125 किलो, 250 किलो, 500 किलो से लेकर 1,000 किलो तक बढ़ाया जा सकता है। फ्रेंच एयरफोर्स सबसे ज्यादा 250 किलो वाले वर्जन का इस्तेमाल करती है। इसकी कुल लंबाई करीब 3.3 मीटर होती है। 250 किलो वाला वर्जन एंटी-टैंक, बंकर बस्टर, या ब्रिज/बिल्डिंग टारगेट्स के लिए सूटेबल है।
इस डिजाइन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे कम ऊंचाई, ज्यादा ऊंचाई या विभिन्न स्पीड पर भी लॉन्च किया जा सकता है। इसे टेक्निकल भाषा में वाइड लॉन्च एक्सेप्टेबल रीजन (डब्ल्यूएलएआर) कहा जाता है।
HAMMER Weapon JV: 70 किलोमीटर तक मार
हैमर की मारक क्षमता लॉन्च की ऊंचाई पर निर्भर करती है। अगर एयरक्राफ्ट ज्यादा ऊंचाई से इसे गिराता है, तो इसकी रेंज 50 से 70 किलोमीटर तक पहुंच जाती है। वहीं कम ऊंचाई से लॉन्च करने पर इसकी रेंज करीब 15 किलोमीटर होती है।
लॉन्च के बाद यह वेपन लगभग मैक 0.9 की स्पीड (यानी ध्वनि की गति के करीब) से चलता है। इसकी एक्यूरेसी बेहद हाई लेवल की है। सिर्फ जीपीएस/आईएनएस गाइडेंस से यह लक्ष्य को 10 मीटर से भी कम पर निशाना लगा सकता है। लेजर या इन्फ्रारेड गाइडेंस वाले वेरिएंट में यह 1 मीटर से भी कम हो जाती है। वहीं, यह बारिश, धुंध, रात या खराब मौसम, किसी भी स्थिति में यह निशाना भेद सकता है। इसके अलावा जीपीएस जैमिंग से फुलप्रूफ है, क्योंकि इसके पास इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम यानी आईएनएस का बैकअप होता है।
2007 से इस्तेमाल कर रहा फ्रांस
फ्रांस की वायुसेना इस वेपन का लंबे समय से इस्तेमाल कर रही है। फ्रांस इस वेपन का 2007 से इस्तेमाल कर रहा है। यह लीबिया, अफगानिस्तान और यूक्रेन में युद्ध के दौरान भी इस्तेमाल हो चुका है। यह कई सैन्य अभियानों में अपनी क्षमता साबित कर चुका है। भारत में यह वेपन खास तौर पर राफेल फाइटर जेट और लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस के लिए बेहद अहम होगा। यही इसकी सबसे बड़ी ताकत है यूनिवर्सल कंपैटिबिलिटी। तेजस पर हैमर को इंटीग्रेट करने से उसकी ग्राउंड अटैक क्षमताओं में काफी बढ़ोतरी होगी। भारतीय वायुसेना और भारतीय नौसेना दोनों के लिए इसका उत्पादन भारत में होगा।
रक्षा उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि यह समझौता भारत को एयर-टू-ग्राउंड वेपन के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाएगा। इस समय ऐसे कई वेपन भारत को आयात करने पड़ते हैं, जिससे बड़ी लागत आती है और आपातकालीन परिस्थितियों में सप्लाई जोखिम पैदा होता है। लेकिन जब उत्पादन भारत में होगा, तो न सिर्फ लागत कम होगी बल्कि सप्लाई भी सुनिश्चित होगी।
यह समझौता फरवरी 2025 में एरो इंडिया के दौरान साइन हुए एमओयू का विस्तार है। भारत और फ्रांस के बीच रक्षा सहयोग पिछले कुछ वर्षों में काफी तेजी से बढ़ा है। राफेल सौदा, इंजन टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और अब हैमर वेपन का जॉइंट वेंचर इस रिश्ते को और मजबूत बना रहे हैं।

