📍नई दिल्ली | 16 Oct, 2025, 10:48 AM
India UN Peacekeeping Conference: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने नई दिल्ली में आयोजित संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन देशों के प्रमुखों के सम्मेलन में कहा कि दुनिया बदल चुकी है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र अब भी 1945 की हकीकतों पर आधारित स्ट्रक्चर में काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि अगर संस्थान समय के साथ नहीं बदलते तो उनकी प्रासंगिकता और वैधता दोनों खत्म हो जाती हैं।
जयशंकर ने इस मौके पर कहा कि भारत जैसे देश, जो दशकों से संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं, अब समय आ गया है कि उन्हें फैसला लेने की प्रक्रिया में बड़ा स्थान मिले। उन्होंने कहा कि “भारत और अन्य विकासशील देश अब केवल प्रतिभागी नहीं, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के निर्माण में नेतृत्वकर्ता बनने को तैयार हैं।”
India UN Peacekeeping Conference: यूएन को 2025 की दुनिया के मुताबिक बनना होगा
जयशंकर ने कहा कि वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र का स्ट्रक्चर संरचना उस दौर का है जब यह संस्था बनी थी। आज दुनिया की जनसंख्या, अर्थव्यवस्थाएं और भू-राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल चुके हैं। उन्होंने कहा, “80 साल बहुत लंबा समय है। इन दशकों में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश चार गुना हो चुके हैं, लेकिन फैसला लेने की प्रक्रिया अभी भी कुछ ही देशों के हाथों में है।”
उन्होंने चेताया कि अगर सुधार नहीं हुए, तो संयुक्त राष्ट्र न सिर्फ अप्रासंगिक हो जाएगा बल्कि उसकी विश्वसनीयता भी खत्म हो जाएगी। जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार जरूरी है ताकि यह संस्थान अधिक लोकतांत्रिक और प्रतिनिधिक बने।
भारत की शांति मिशनों में अग्रणी भूमिका
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ने हमेशा वैश्विक शांति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। अब तक तीन लाख से अधिक भारतीय सैनिकों ने संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में हिस्सा लिया है। इनमें से 182 भारतीय शांति सैनिकों ने कर्तव्य पालन के दौरान सर्वोच्च बलिदान दिया।
उन्होंने कहा, “भारत के लिए शांति मिशनों में भाग लेना केवल एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि यह हमारे ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के दर्शन का विस्तार है।” जयशंकर ने कहा कि भारत शांति, समानता और मानव गरिमा के सिद्धांतों पर आधारित वैश्विक व्यवस्था में विश्वास रखता है।
आधुनिक दौर के शांति अभियानों की नई चुनौतियां
जयशंकर ने अपने संबोधन में बताया कि आज शांति अभियानों की प्रकृति पहले जैसी नहीं रही। पहले जहां शांति सैनिक दो देशों के बीच बफर की भूमिका निभाते थे, वहीं अब उन्हें आतंकी संगठनों, गैर-राज्य तत्वों और सशस्त्र समूहों से भी मुकाबला करना पड़ता है। उन्होंने कहा, “आज का शांति मिशन ऐसे माहौल में काम करता है, जहां दुश्मन की कोई वर्दी नहीं होती और कोई नियम नहीं माने जाते।”
उन्होंने यह भी कहा कि तकनीक अब शांति अभियानों का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। आधुनिक युद्ध और संघर्षों में साइबर खतरों, ड्रोन हमलों और फेक न्यूज अभियानों की चुनौती बढ़ी है। ऐसे में शांति सैनिकों को अत्याधुनिक उपकरणों, संचार साधनों और साइबर क्षमताओं से लैस करना जरूरी है।
भारत तकनीकी साझेदार के रूप में तैयार
जयशंकर ने कहा कि भारत शांति अभियानों में तकनीकी इनोवेशंस का प्रदर्शन करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि भारत की डीआरडीओ जैसी संस्थाएं और निजी रक्षा उद्योग ऐसे सॉल्यूशन डेवलप कर रहे हैं जो वैश्विक शांति अभियानों को और अधिक प्रभावी बना सकते हैं।
भारत ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महिला शांति सैनिकों के लिए भी कई कार्यक्रमों की मेजबानी की। फरवरी 2025 में भारत ने “ग्लोबल साउथ वूमन पीसकीपर्स कॉन्फ्रेंस” आयोजित की थी, जिसमें 35 देशों की महिला सैनिकों ने भाग लिया था। अगस्त 2025 में भारत ने यूएन वूमन मिलिट्री ऑफिसर्स कोर्स भी आयोजित किया था। जयशंकर ने कहा, “अब सवाल यह नहीं है कि महिलाएं शांति स्थापना कर सकती हैं या नहीं, बल्कि यह है कि क्या शांति स्थापना उनके बिना सफल हो सकती है।”
सुनें ग्लोबल साउथ की आवाज
जयशंकर ने अपने भाषण में कहा कि दुनिया के अधिकांश संघर्ष क्षेत्र “ग्लोबल साउथ” यानी विकासशील देशों में स्थित हैं। इसलिए इन देशों की जरूरतें अलग हैं और इनके समाधान भी स्थानीय स्तर पर तैयार किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा अपने दक्षिणी भागीदारों के साथ खड़ा रहा है और शांति अभियानों में अपने अनुभव साझा करता रहेगा।
जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत का दृष्टिकोण केवल कूटनीतिक नहीं बल्कि मानवीय भी है। भारत मानता है कि “शांति कहीं भी हो, वह हर जगह की शांति को मजबूत करती है।”
India UN Peacekeeping Conference: भारत ने की 7 प्रमुख सुधारों की मांग
जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के भविष्य को लेकर सात प्रमुख बिंदु रखे। उन्होंने कहा कि ट्रूप कंट्रीज और होस्ट नेशंस को मिशन के जनादेश तय करने में शामिल किया जाना चाहिए। मिशन के उद्देश्यों को स्पष्ट और वास्तविकता बनाया जाए। उन्होंने शांति सैनिकों की सुरक्षा, टेक्नोलॉजी के उपयोग और गलत सूचना अभियानों के खिलाफ रणनीति को भी जरूरी बताया।
उन्होंने जोर देकर कहा कि शांति सैनिकों पर होने वाले किसी भी हमले के दोषियों को सजा मिलनी चाहिए ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।