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OP JAL RAHAT 2: हिमाचल से लेकर पूर्वोत्तर तक भारतीय सेना बनी ‘मसीहा’, बाढ़ में फंसी जिंदगियों के बीच उम्मीद बने जवान

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नगालैंड के दिमापुर जिले में सिंग्रिजन कॉलोनी बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुई। 10 जुलाई 2025 को दिमापुर के उपायुक्त ने भारतीय सेना से तत्काल मदद मांगी। रातोंरात 160 किलोमीटर का सफर तय कर सिंग्रिजन कॉलोनी में मदद पहुंचाई गई। सेना ने तुरंत एक इंजीनियर टास्क फोर्स (ETF) को तैनात किया। इस टीम ने सिंग्रिजन कॉलोनी में फंसे लोगों को निकालने और राहत सामग्री पहुंचाने का काम शुरू किया...
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📍मंडी/दिमापुर | 10 Jul, 2025, 2:45 PM

OP JAL RAHAT 2: हिमाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों में हाल ही में भारी बारिश और बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। मकान ढह गए, सड़कें बह गईं, और कई गांव दुनिया से कट गए। इस संकट की घड़ी में भारतीय सेना ने अपनी मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) अभियानों के जरिए लोगों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरी है। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले और पूर्वोत्तर के नगालैंड, असम, और मणिपुर में सेना के जवान दिन-रात राहत कार्यों में जुटे हैं। ‘ऑपरेशन जल राहत-2’ के तहत सेना ने जिस त्वरित और सुनियोजित ढंग से सहायता और बचाव कार्यों को अंजाम दिया है, उसने एक बार फिर साबित किया कि सेना सिर्फ युद्ध के मैदान में नहीं, बल्कि आपदा की हर परिस्थिति में देशवासियों की रक्षा के लिए तत्पर रहती है।

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OP JAL RAHAT 2: हिमाचल प्रदेश के मंडी में सेना का राहत अभियान

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में जून 2025 के आखिरी हफ्ते से शुरू हुई मूसलाधार बारिश ने कई इलाकों को तहस-नहस कर दिया। थुनाग, बगस्याद, और पंडोह जैसे क्षेत्रों में बादल फटने, बाढ़, और भूस्खलन ने भारी नुकसान पहुंचाया। सड़कें, पुल, और बिजली आपूर्ति ठप हो गई। कई गांव पूरी तरह कट गए। इस आपदा में भारतीय सेना ने नागरिक प्रशासन के साथ मिलकर राहत कार्य शुरू किए।

दूरदराज के इलाकों में राहत कार्यों के साथ दी फर्स्ट एड

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में आई भीषण बाढ़ के बाद राज्य प्रशासन की अपील पर भारतीय सेना ने मानवीय सहायता और आपदा राहत (Humanitarian Assistance and Disaster Relief – HADR) अभियान की शुरुआत की। 6 जुलाई से भारतीय सेना ने मंडी जिले में अपने राहत कॉलम तैनात किए। थुनाग, बगस्याद, और पंडोह जैसे क्षेत्रों में सेना ने कई महत्वपूर्ण काम किए। सबसे पहले, सेना ने बगस्याद से थुनाग तक एक महत्वपूर्ण खच्चर पथ (मूल ट्रैक) को खोलने का काम किया। यह रास्ता भारी बारिश और मलबे की वजह से बंद हो गया था। इस रास्ते के खुलने से जरूरी सामान, जैसे राशन और दवाइयां, प्रभावित गांवों तक पहुंचाई जा सकीं।

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OP Jal Rahat 2: Indian Army Emerges as Lifesaver from Himachal to Northeast, Rescuing Lives Amid Devastating Floods
PIC SOURCE: Indian Army

थुनाग में सेना ने घायल और बीमार लोगों को प्राथमिक उपचार (First Aid) मुहैया कराया और जरूरतमंद परिवारों तक राशन किट पहुंचाई। 7 जुलाई को देगी, 8 जुलाई को रुशद, और 9 जुलाई को चपड़ जैसे दूरदराज के गांवों तक राहत सामग्री पहुंचाई गई। इन गांवों तक सड़कें पूरी तरह नष्ट हो चुकी थीं, लेकिन सेना ने नागरिक प्रशासन के साथ मिलकर हेलीकॉप्टर और पैदल मार्गों के जरिए मदद पहुंचाई। बाढ़ प्रभावित गांवों तक राहत सामग्री पहुंचाना एक बड़ा कार्य था, जिसे सेना ने एसडीआरएफ (राज्य आपदा मोचन बल), एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर पूरा किया।

थुनाग जैसे कुछ इलाकों में मोबाइल नेटवर्क की पहुंच सीमित थी। इसके बावजूद, सेना ने ISAT फोन, RS STARSV, और HX सिस्टम जैसे सैटेलाइट संचार (सैटलाइट कम्युनिकेशन) का इस्तेमाल कर नागरिक प्रशासन के साथ लगातार संपर्क बनाए रखा। इससे राहत कार्यों में समन्वय बना रहा और हर जरूरतमंद तक मदद पहुंचाने में आसानी हुई।

मंडी के उपायुक्त अपूर्व देवगन ने कहा, “भूगोल की वजह से राहत कार्य चुनौतीपूर्ण हैं, लेकिन सेना, SDRF, और NDRF की टीमें 24 घंटे काम कर रही हैं।” सेना ने न केवल रास्ते खोले, बल्कि लोगों में भरोसा भी जगाया। स्थानीय लोग सेना के जवानों को देखकर राहत महसूस कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें भरोसा है कि कोई उनके साथ खड़ा है।

OP Jal Rahat 2: Indian Army Emerges as Lifesaver from Himachal to Northeast, Rescuing Lives Amid Devastating Floods
PIC SOURCE: Indian Army

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखु ने किया थुनाग का दौरा

10 जुलाई को हिमाचल प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखु थुनाग का दौरा किया। जहां उन्होंने राहत कार्यों का जायजा लिया और प्रभावित लोगों से मिले। साथ ही सेना की राहत कार्यों में जुटी टीम से भी उन्होंने मुलाकात की। इसके अलावा, भारतीय सेना के ब्रिगेड कमांडर भी मंडी में हैं, जहां उन्होंने राहत कॉलमों के साथ बातचीत की और कार्यों की प्रगति की समीक्षा की। मुख्यमंत्री और मंडी के उपायुक्त (डिप्टी कमिश्नर) के साथ एक बैठक भी होगी, जिसमें राहत कार्यों को और तेज करने की रणनीति बनाई जाएगी।

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हिमाचल में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखु ने राहत कार्यों को युद्धस्तर पर चलाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बगस्याद में राहत शिविर का दौरा किया और प्रभावित परिवारों से मुलाकात की।

पूर्वोत्तर में ऑपरेशन जल राहत-2 शुरू

हिमाचल के साथ-साथ, भारतीय सेना ने पूर्वोत्तर राज्यों नगालैंड, असम, और मणिपुर में भी बाढ़ राहत अभियान शुरू किया है। इसे ‘ऑपरेशन जल राहत 2’ नाम दिया गया है। भारी बारिश और नदियों के उफान ने इन राज्यों में कई इलाकों को जलमग्न कर दिया। भारतीय सेना ने मुख्यालय इंस्पेक्टर जनरल असम राइफल्स (नॉर्थ) के नेतृत्व में नागरिक प्रशासन के साथ मिलकर राहत कार्य शुरू किए। सेना की टीमें न केवल राहत सामग्री बांट रही हैं, बल्कि मलबा हटाने, रास्ते बनाने, और चिकित्सा शिविर लगाने जैसे काम भी कर रही हैं।

नगालैंड के दिमापुर में इंजीनियर टास्क फोर्स तैनात

नगालैंड के दिमापुर जिले में सिंग्रिजन कॉलोनी बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुई। 10 जुलाई 2025 को दिमापुर के उपायुक्त ने भारतीय सेना से तत्काल मदद मांगी। रातोंरात 160 किलोमीटर का सफर तय कर सिंग्रिजन कॉलोनी में मदद पहुंचाई गई। सेना ने तुरंत एक इंजीनियर टास्क फोर्स (ETF) को तैनात किया। इस टीम ने सिंग्रिजन कॉलोनी में फंसे लोगों को निकालने और राहत सामग्री पहुंचाने का काम शुरू किया। हालांकि, बाद में उपायुक्त ने मौखिक रूप से सेना की तैनाती वापस लेने की बात कही, लेकिन सेना अब भी तैयार है। असम राइफल्स में बाढ़ राहत नियंत्रण केंद्र (फ्लड रिलीफ कंट्रोल सेंटर) स्थापित किया गया है, जो किसी भी आपात स्थिति के लिए संसाधन तैयार रखे हुए है।

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OP Jal Rahat 2: Indian Army Emerges as Lifesaver from Himachal to Northeast, Rescuing Lives Amid Devastating Floods
PIC SOURCE: Indian Army

असम में धनसिरी नदी उफान पर

ऊपरी असम के गोलाघाट जिले में धनसिरी नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही थी। हालांकि, अब पानी का स्तर कम हो रहा है, लेकिन सेना हालात पर नजर रखे हुए है। अगर जरूरत पड़ी, तो तुरंत राहत कॉलम भेजे जाएंगे।

मणिपुर में नंबोल नदी ने मचाई तबाही

मणिपुर के इम्फाल पश्चिम और बिष्णुपुर जिलों में नंबोल नदी के उफान ने भारी तबाही मचाई। पानी का स्तर अब कम होने लगा है, लेकिन सेना अभी भी राहत कार्यों में जुटी है। नागरिक प्रशासन के साथ मिलकर सेना ने फंसे हुए लोगों को निकाला और जरूरी सामान बांटा। सेना और स्थानीय प्रशासन मिलकर लगातार राहत अभियान चला रहे हैं। गांवों से पानी धीरे-धीरे उतर रहा है, लेकिन कई जगहों पर हालात अब भी गंभीर बने हुए हैं।

राहत कार्यों के आंकड़े

10 जुलाई 2025 तक, भारतीय सेना ने पूर्वोत्तर में निम्नलिखित राहत कार्य किए:

  • 40 राहत कॉलम तैनात किए गए, जिनमें 24 मुख्य और 16 रिजर्व कॉलम शामिल हैं।
  • 3,820 लोग बचाए गए।
  • 1,361 राशन पैकेट बांटे गए।
  • 2,095 लोगों को चिकित्सा सहायता दी गई।
  • 15,421 पानी की बोतलें बांटी गईं।
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