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Army Air Defence: ऑपरेशन सिंदूर में जब दो महिला कमांडिंग ऑफिसर्स बनीं ‘काली माता’, हवा में पस्त हुए पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल

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ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना की 25 एयर डिफेंस यूनिट्स में से दो का नेतृत्व दो महिला कर्नलों ने किया। एक कर्नल ने पंजाब के पठानकोट में और दूसरी ने राजस्थान के सूरतगढ़ में अपनी यूनिट की अगुवाई की। ये दोनों स्थान पाकिस्तानी हमलों के प्रमुख निशाने पर थे, लेकिन इन महिला अधिकारियों ने अपनी सूझबूझ और साहस से दुश्मन के इरादों को नाकाम कर दिया...
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📍नई दिल्ली | 24 May, 2025, 1:00 PM

Army Air Defence: ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने न केवल पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को कड़ा जवाब दिया, बल्कि इस ऑपरेशन ने दुनियाभर के सामने भारत की अचूक सैन्य ताकत का भी लोहा मनवाया। इस ऑपरेशन में जहां कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह दुनिया के सामने भारतीय सेनाओं का प्रमुख चेहरा थीं, तो पर्दे के पीछे भी महिला सैनिक अफसरों की भूमिका कम नहीं थी। एक ऐसी ही कहानी दो महिला कर्नल की है, जिन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता से पाकिस्तान को धूल चटाई। हालांकि दोनों महिला कमांडिंग ऑफिसर्स के लिए यह पहला युद्ध था, लेकिन बावजूद इसके उन्होंने अपनी यूनिट को कमांड किया और पाकिस्तान के हमलों को भरपूर जवाब दिया।

Army Air Defence: 6-7 मई की रात को शुरू हुआ था ऑपरेशन सिंदूर

इन दोनों महिला कमांडिंग ऑफिसर्स ने भारतीय सेना की एयर डिफेंस यूनिट्स का नेतृत्व करते हुए पाकिस्तान के मिसाइल और ड्रोन हमलों को नाकाम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत 7 मई की सुबह हुई, जब भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। इन हमलों में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। यह ऑपरेशन पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच चार दिनों तक जबरदस्त सैन्य टकराव देखा गया। इस दौरान लड़ाकू विमानों, मिसाइलों, ड्रोनों, लॉॉन्ग रेंज आर्टिलरी और भारी हथियारों का इस्तेमाल हुआ। 10 मई को दोनों पक्षों के बीच समझौता होने के बाद युद्धविराम लागू हुआ।

इस दौरान पाकिस्तान ने भारत के उत्तरी और पश्चिमी हिस्सों में कई स्थानों, जैसे अवंतिपुरा, श्रीनगर, जम्मू, चंडीगढ़, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, बठिंडा, सूरतगढ़, नल, फलोदी, उत्तरलाई और भुज पर हमले करने की कोशिश की। लेकिन भारत के मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम ने इन सभी हमलों को विफल कर दिया। इस ऑपरेशन में दो महिला कर्नलों ने अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाया।

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पठानकोट और सूरतगढ़ में पाक हमलों को रोका

ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना की 25 एयर डिफेंस यूनिट्स में से दो का नेतृत्व दो महिला कर्नलों ने किया। एक कर्नल ने पंजाब के पठानकोट में और दूसरी ने राजस्थान के सूरतगढ़ में अपनी यूनिट की अगुवाई की। ये दोनों स्थान पाकिस्तानी हमलों के प्रमुख निशाने पर थे, लेकिन इन महिला अधिकारियों ने अपनी सूझबूझ और साहस से दुश्मन के इरादों को नाकाम कर दिया।

इन दोनों महिला कर्नलों ने लगभग दो साल पहले अपनी यूनिट की कमान संभाली थी। प्रत्येक यूनिट में करीब 800 जवान हैं, और ये दोनों एकमात्र महिला कमांडिंग ऑफिसर हैं। सूत्रों के अनुसार, इन अधिकारियों ने युद्ध के दौरान असाधारण नेतृत्व का प्रदर्शन किया। उनकी यूनिट्स ने सैन्य और नागरिक क्षेत्रों, यहां तक कि धार्मिक स्थलों को निशाना बनाने वाले पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइल हमलों को नेस्तानाबूद कर दिया।

120 महिलाएं भारतीय सेना में कमांडिंग ऑफिसर

भारतीय सेना ने 2023 में एक स्पेशल सिलेक्शन बोर्ड के जरिए 108 महिला अधिकारियों को कर्नल के पद पर प्रमोट किया था। यह कदम जेंडर इक्वलिटी को बढ़ावा देने और महिलाओं को कमांड की भूमिकाएं सौंपने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल थी। वर्तमान में, लगभग 120 महिलाएं भारतीय सेना में कमांडिंग ऑफिसर के रूप में सेवा दे रही हैं, जिनमें से 60 फीसदी उत्तरी और पूर्वी कमांड जैसे संवेदनशील इलाकों में तैनात हैं, जो भारत की सीमाओं की सुरक्षा कर रही हैं।

महिलाओं को सेना में केवल मिलिट्री पुलिस कोर में अग्निवीर के तौर पर शामिल किया जाता है। लेकिन कर्नल रैंक तक पहुंचने वाली इन महिला अधिकारियों ने यह साबित कर दिया कि वे किसी भी चुनौतीपूर्ण परिस्थिति में पुरुषों के बराबर प्रदर्शन कर सकती हैं। ऑपरेशन सिंदूर में इन दो महिला कर्नलों का नेतृत्व इसका जीताजागता उदाहरण है।

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अग्निवीरों का भी शानदार प्रदर्शन

ऑपरेशन सिंदूर में अग्निवीरों ने भी जमकर अपनी बहादुरी दिखाई। लगभग 3,000 अग्निवीर, जिनकी उम्र करीब 20 वर्ष है और जिन्हें पिछले दो वर्षों में भर्ती किया गया था, ने एयर डिफेंस सिस्टम को ऑपरेट करने में अहम भूमिका निभाई। अग्निपथ योजना के तहत भर्ती इन सैनिकों ने युद्ध के दौरान कई तरह की जिम्मेदारियां दी गई थीं।

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जून 2022 में शुरू अग्निपथ योजना के तहत सैनिकों को चार साल के लिए भर्ती किया जाता है, जिसमें से 25% को नियमित सेवा में 15 साल के लिए बनाए रखने का प्रावधान है। ऑपरेशन सिंदूर में अग्निवीरों ने स्वदेशी एयर डिफेंस कंट्रोल और रिपोर्टिंग सिस्टम, आकाशतीर, को ऑपरेट करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस सिस्टम ने पाकिस्तानी मिसाइलों और ड्रोनों का पता लगाने, उनकी पहचान करने और उन्हें नष्ट करने में अहम भूमिका निभाई।

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