ALH Dhruv Crash: भारतीय सेना के इस वर्कहॉर्स को लेकर आर्मी चीफ ने कही ये बड़ी बात, पांच साल में हो चुके हैं 15 क्रैश

ALH Dhruv Crash: Major Setback for HAL & IAF! LCH Prachand Could Face Similar Issues
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📍नई दिल्ली | 7 months ago

ALH Dhruv Crash: भारतीय सेना के स्वदेशी एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) ध्रुव और इसके आर्मर्ड वर्जन अटैक हेलीकॉप्टर रुद्र पर हाल के हादसों के बाद गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सेना दिवस परेड में इन हेलीकॉप्टरों की गैरमौजूदगी ने इस मुद्दे को और गरमा दिया है। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भरोसा दिलाते हुए कहा है कि ALH ध्रुव भारतीय सेना का ‘वर्कहॉर्स’ है और रहेगा। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इन हेलीकॉप्टरों की फ्लाइंग सेफ्टी सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिकता है।

ALH Dhruv Crash: Army Chief Defends 'Workhorse' Amid 15 Crashes in Five Years

जनरल द्विवेदी ने पुणे में आयोजित 77वें सेना दिवस परेड के मौके पर कहा, “ध्रुव हेलीकॉप्टर ने 2023-24 में 40,000 घंटे से अधिक की उड़ान भरी है। इस दौरान केवल एक बार तकनीकी गड़बड़ी हुई। यह हेलीकॉप्टर कठिन इलाकों में 15,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर सफलतापूर्वक काम कर रहा है। हमें इस प्लेटफॉर्म पर 100% भरोसा है।”

ALH Dhruv Crash: सेना दिवस परेड में नहीं शामिल हुआ ध्रुव

हालांकि, सेना दिवस परेड में ALH और रुद्र हेलीकॉप्टरों का शामिल न होना कई सवाल खड़े करता है। सेना दिवस परेड में चीता और चेतक हेलीकॉप्टरों ने हिस्सा लिया था। आर्मर्ड फोर्सेज ने हाल ही में इन हेलीकॉप्टरों की उड़ानों पर रोक लगा दी थी, क्योंकि 5 जनवरी को गुजरात के पोरबंदर में तटरक्षक बल का एक ALH ध्रुव दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में दो पायलट और एक एयरक्रू गोताखोर की जान चली गई थी।

रिपब्लिक डे परेड में नहीं होंगे शामिल!

गणतंत्र दिवस के फ्लाईपास्ट में तीनों सेनाओं और तटरक्षक बल के हेलीकॉप्टर हिस्सा लेते हैं, लेकिन इस बार ध्रुव हेलीकॉप्टरों की भागीदारी को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। अधिकारियों के अनुसार, तटरक्षक बल के तीन ALH हेलीकॉप्टर फ्लाईपास्ट का हिस्सा बनने वाले थे, लेकिन हाल की दुर्घटनाओं के चलते इन्हें शामिल करने पर संशय है। ऐसी अटकलें हैं कि उनकी जगह अन्य हेलीकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं। फिलहाल, गणतंत्र दिवस पर ध्रुव हेलीकॉप्टरों के शामिल होने को लेकर किसी भी आधिकारिक बयान का इंतजार किया जा रहा है।

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यह पहली बार नहीं है जब ध्रुव हेलीकॉप्टर पर सवाल उठे हैं। पिछले पांच वर्षों में ALH ध्रुव से जुड़ी 15 से अधिक दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। 2023 में ही कई बार इन हेलीकॉप्टरों की उड़ान रोककर गहन जांच की गई थी। हाल के हादसों ने एक बार फिर इनकी सुरक्षा और डिजाइन पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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हेलीकॉप्टर के मलबे को बेंगलुरु भेजा

पोरबंदर हादसे के बाद तटरक्षक बल और सेना ने अपने ALH बेड़े को अस्थायी रूप से ग्राउंड कर दिया है। इसके तहत सभी हेलीकॉप्टरों के ट्रांसमिशन सिस्टम, गियरबॉक्स और रोटर हब सहित अन्य उपकरणों की जांच की जा रही है। दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर के मलबे को बेंगलुरु ले जाया गया है, जहां HAL इसके ट्रांसमिशन सिस्टम, गियरबॉक्स और रोटर हब की गहन जांच कर रहा है। इस प्रक्रिया में दो सप्ताह तक का समय लग सकता है। विशेषज्ञ यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाओं दोबारा न हों।

ALH ध्रुव, जिसे HAL द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है, भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का एक प्रमुख उदाहरण है। यह हेलीकॉप्टर भारतीय सेना, वायुसेना, नौसेना और तटरक्षक बल के अलावा सीमा सुरक्षा बल और अन्य नागरिक एजेंसियों द्वारा भी उपयोग में लिया जाता है। वर्तमान में तीनों सेनाओं और तटरक्षक बल के पास लगभग 330 ALH ध्रुव और 90 से अधिक रुद्र हेलीकॉप्टर हैं। इसके अलावा सीमा सुरक्षा बल और अन्य सिविल एजेंसियां भी एएलएच का उपयोग करती हैं। इस सभी हेलीकॉप्टरों को फिलहाल निरीक्षण और फ्लाइट सेफ्टी चेक के लिए खड़ा कर दिया गया है।

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हालांकि, इन हेलीकॉप्टरों के हाल में हुए हादसों से इनकी विश्वसनीयता को झटका मिला है। 2023 में, ALH बेड़े में इस्तेमाल होने वाले बूस्टर कंट्रोल रॉड्स की डिजाइन की समीक्षा की गई थी। ये रॉड्स हेलीकॉप्टर की उड़ान को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। HAL ने पुराने एल्युमिनियम रॉड्स को स्टील के नए रॉड्स से बदलने का काम किया था। इसके बावजूद हादसों का सिलसिला जारी रहा है।

पोरबंदर हादसे से पहले भी सितंबर 2024 में एक तटरक्षक बल यानी कोस्टगार्ड का एक ALH ध्रुव दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। उस समय की गई जांच में कई सुरक्षा खामियां सामने आईं थीं। यह हादसा अरब सागर में हुआ था और इसमें भी तीन लोगों की मौत हो गई थी। उस घटना के बाद HAL ने मुख्य ड्राइव शाफ्ट, टेल रोटर असेंबली और अन्य उपकरणों की स्ट्रक्चरल सेफ्टी पर फोकस किया था।

सेना और HAL दोनों ने आश्वासन दिया है कि इस बार की जांच में सुरक्षा मानकों को और मजबूत किया जाएगा। जांच पूरी होने के बाद ही इन हेलीकॉप्टरों को दोबारा उड़ान भरने की अनुमति दी जाएगी। सेना का कहना है कि यह कदम सुरक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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हालांकि, इन सभी प्रयासों के बावजूद ALH ध्रुव और रुद्र हेलीकॉप्टर इस साल गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बन पाएंगे या नहीं, इस पर अब भी संशय बना हुआ है। अधिकारियों के अनुसार, यदि जांच समय पर पूरी नहीं हुई तो इनकी जगह अन्य हेलीकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं।

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ALH ध्रुव भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म है। यह कठिन से कठिन इलाकों में काम करने में सक्षम है और इसे भारतीय सेनाओं के “वर्कहॉर्स” के रूप में देखा जाता है। हालांकि, लगातार हो रही दुर्घटनाओं ने इसकी छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

सेना प्रमुख ने कहा, “छोटी गड़बड़ियां”

सेना प्रमुख का कहना है कि दुनिया के अन्य हेलीकॉप्टरों के साथ भी हादसे होते हैं। उन्होंने इसे “छोटी गड़बड़ियां” बताया, जो किसी भी आधुनिक तकनीक के साथ हो सकती हैं। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ALH ध्रुव की बार-बार होने वाली दुर्घटनाओं का कारण इसके डिजाइन में कुछ मूलभूत खामियां हो सकती हैं, जिन्हें तुरंत सुधारने की जरूरत है।

सेना, वायुसेना और तटरक्षक बल द्वारा ALH हेलीकॉप्टरों का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है। ऐसे में इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है। आगे की जांच और सुधारों से यह साफ होगा कि यह प्लेटफॉर्म भविष्य में कितनी विश्वसनीयता के साथ काम कर सकेगा।

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