📍नई दिल्ली | 6 Nov, 2025, 7:08 PM
Tughril vs Nilgiri Class: चीन से मिली टाइप 054ए/पी क्लास की जंगी तुघरिल क्लास फ्रिगेट्स को पाकिस्तान की नौसेना ने अपने बेड़े में शामिल किया है। पाकिस्तान नौसेना के प्रमुख एडमिरल नविद अशरफ ने इसे चीन के साथ रक्षा सहयोग के इतिहास में एक “महत्वपूर्ण उपलब्धि” बताया है। उन्होंने कहा कि इन जहाजों के शामिल होने से पाकिस्तान नौसेना की मल्टी-मिशन क्षमताएं खास तौर पर एयर डिफेंस, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर और समुद्री निगरानी—काफी मजबूत हुई हैं।
बीजिंग स्थित सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स को दिए इंटरव्यू में एडमिरल अशरफ ने कहा कि पाकिस्तान नौसेना को 2026 तक चीन से आठ नई हैंगोर क्लास पनडुब्बियां मिलने वाली हैं। साथ ही उन्होंने यह संकेत भी दिया कि दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग सिर्फ जहाजों या पनडुब्बियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आने वाले समय में यह संबंध और गहरे होंगे।
Tughril vs Nilgiri Class: पाकिस्तान के लिए रणनीतिक बढ़त
इन फ्रिगेट्स का इस्तेमाल पाकिस्तान नौसेना उत्तर अरब सागर और हिंद महासागर क्षेत्र में गश्त और निगरानी के लिए कर रही है। पाकिस्तान ने 2017 में चीन से चार ऐसी फ्रिगेट्स का ऑर्डर दिया था। इनमें से पहली ‘तुघरिल’ फ्रिगेट नवंबर 2021 में पाकिस्तान को मिली। ये सभी जहाज चीन की चाइना स्टेट शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड ने बनाए हैं। अब तक पाकिस्तान को चार तुघरिल क्लास फ्रिगेट्स मिल चुकी हैं जिनमें पीएनएस तुघरिल, पीएनएस तैमूर, पीएनएस टिप्पू सुल्तान और पीएनएस शाहजहां शामिल हैं।

पाकिस्तान नौसेना ने इन जहाजों को “तुघरिल क्लास” नाम दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, ये फ्रिगेट्स लो-रडार डिजाइन वाली हैं और विशेष रूप से एंटी-सबमरीन वॉरफेयर के लिए कस्टमाइज की गई हैं। अब तक पाकिस्तान को चार जहाज मिल चुके हैं और आने वाले सालों में चार और की डिलीवरी की योजना है।
Tughril vs Nilgiri Class: चीन का भरोसेमंद ‘मल्टी-रोल’ वॉरशिप
चीन की नौसेना ने पहली टाइप 054ए फ्रिगेट वर्ष 2008 में सेवा में शामिल की थी। कहा जाता है कि इसका डिजाइन फ्रांस की ला फयेते-क्लास फ्रिगेट से प्रेरित है। नाटो में इस जहाज को जियांगकाई-II नाम से पहचाना जाता है। 2023 तक चीन की नौसेना के पास ऐसी 30 से ज्यादा फ्रिगेट्स थीं, जिससे साफ है कि इस जहाज पर चीन को काफी भरोसा है।
विशेषज्ञ इसे “स्विस आर्मी नाइफ” जैसी मल्टीपर्पज शिप कहते हैं, क्योंकि यह एक साथ कई मिशन जैसे कि पेट्रोलिंग, एस्कॉर्ट, एंटी पायरेसी और नॉन कॉम्बैट मिशन पूरे कर सकता है। चीन ने पहली बार इसी जहाज का इस्तेमाल 2011 में लीबिया से अपने नागरिकों को निकालने के लिए किया था।
क्या फायदा होगाा पाकिस्तान की नौसेना को
इन टाइप 054ए/पी जहाजों की लंबाई 134 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है। ये चार शांक्सी 16पीए6 एटीसी डीजल इंजनों से चलती हैं, जो 5700 किलोवॉट की ताकत देती हैं। जहाज की अधिकतम रफ्तार 27 नॉट्स यानी करीब 50 किलोमीटर प्रति घंटा है और यह 8,000 नौटिकल मील तक सफर कर सकता है।
हथियारों की बात करें तो यह फ्रिगेट एक मल्टी-रोल प्लेटफॉर्म है। एयर डिफेंस के लिए इसमें 32-सेल वर्टिकल लॉन्च सिस्टम (वीएलएस) लगा है, जो एलवाई-80एन सरफेस-टू-एयर मिसाइलें दाग सकता है। सतह से सतह पर हमला करने के लिए इसमें सीएम-302 एंटी-शिप मिसाइलें लगी हैं। पनडुब्बियों से निपटने के लिए इसमें टाइप 87 रॉकेट लॉन्चर और यू-7 टॉरपीडो लॉन्चर मौजूद हैं।
करीबी लड़ाई के लिए इस जहाज में 76 मिमी का मरीन कैनन एच/पीजे-26 और दो टाइप 1130 क्लोज-इन वेपन सिस्टम लगे हैं, जो आने वाली किसी भी मिसाइलों को रास्ते में ही नष्ट कर सकते हैं। साथ ही इसमें दो टाइप 726-4 डिकॉय लॉन्चर भी हैं जो गाइडेड मिसाइलों को भी कन्फ्यूज कर सकते हैं।
एडमिरल नविद अशरफ ने कहा कि इन आधुनिक जहाजों के आने से पाकिस्तान नौसेना को नई तकनीकी ताकत मिली है। चीन और पाकिस्तान के बीच यह सहयोग रक्षा उत्पादन में गहराई तक पहुंच चुका है। पाकिस्तान ने हाल के वर्षों में चीन से सिर्फ युद्धपोत ही नहीं, बल्कि ड्रोन, मिसाइल और रडार सिस्टम जैसी तकनीकें भी हासिल की हैं।
रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान को एक फ्रिगेट की कीमत लगभग 348 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानी करीब 2,900 करोड़ रुपये पड़ी है। चीन के लिए भी यह उसकी अब तक की सबसे बड़ी मरीन एक्सपोर्ट डील मानी जा रही है।
भारत का नीलगिरी क्लास स्टील्थ फ्रिगेट्स
हिंद महासागर क्षेत्र में भारत और पाकिस्तान की नौसेनाओं के बीच संतुलन बनाए रखना हमेशा रणनीतिक महत्व का विषय रहा है। पाकिस्तान को चीन से मिलने वाले ये जहाज भारतीय नौसेना के लिए नई चुनौती साबित हो सकते हैं। वहीं, भारत ने भी नौसेना के आधुनिकीकरण के तहत प्रोजेक्ट 17ए शुरू किया है, जिसके तहत नीलगिरी क्लास स्टील्थ फ्रिगेट्स तैयार की जा रही हैं।

इनका निर्माण मुंबई की मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड और कोलकाता की गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स कर रहे हैं। 2025 तक चार जहाज आईएनएस नीलगिरी, आईएनएस हिमगिरी, आईएनएस उदयगिरी और आईएनएस तारागिरी भारतीय नौसेना में शामिल हो चुके हैं।
इन जहाजों का वजन लगभग 6,500 टन है, यानी यह पाकिस्तान की तुघरिल क्लास से करीब 60 फीसदी भारी हैं। इनमें 75 फीसदी से अधिक स्वदेशी तकनीक का उपयोग किया गया है। निलगिरी क्लास जहाज स्टील्थ डिजाइन पर आधारित हैं, जिससे रडार पर इनका पता लगाना बेहद मुश्किल होता है।
इनमें बराक-8 मिसाइल सिस्टम, ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलें और वरुणास्त्र टॉरपीडो जैसे आधुनिक हथियार शामिल हैं। ये जहाज एमएफ-स्टार रडार सिस्टम से लैस हैं, जो एक साथ कई लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है और मिसाइल गाइडेंस देता है।
भारत के पास एमएच-60आर मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर भी हैं, जो समुद्र में पनडुब्बियों की पहचान और उन्हें नष्ट करने में सक्षम हैं। नीलगिरी क्लास की गति लगभग 30 नॉट्स (55 किमी/घंटा) और रेंज 8,000 नौटिकल माइल्स तक है।
Tughril vs Nilgiri Class: तुघरिल Vs नीलगिरी
अगर सीधी तुलना की जाए तो भारत की नीलगिरी क्लास फ्रिगेट्स तकनीक, मारक क्षमता और सेंसर सिस्टम के मामले में पाकिस्तान की तुघरिल क्लास से कहीं आगे हैं।
तुघरिल क्लास में सीएम-302 मिसाइलें हैं जिनकी रेंज लगभग 250 किलोमीटर है, जबकि नीलगिरी क्लास की ब्रह्मोस मिसाइलें 300 किलोमीटर से अधिक दूरी तक लक्ष्य भेद सकती हैं और तीन गुना तेज मैक 3 की रफ्तार से उड़ती हैं।
पाकिस्तान की फ्रिगेट्स में टाइप 382 3डी रडार है, जबकि भारत की निलगिरी क्लास में एमएफ-स्टार एईएसए रडार लगा है, जो ज्यादा सटीक और लंबी दूरी तक टारगेट को ट्रैक कर सकता है।
एंटी-सबमरीन वॉरफेयर में भी भारत को बढ़त हासिल है। निलगिरी क्लास में वरुणास्त्र टॉरपीडो, एडवांस सोनार सिस्टम और एमएच-60आर हेलीकॉप्टर शामिल हैं, जबकि पाकिस्तान की फ्रिगेट्स अभी भी चीन की पारंपरिक तकनीक पर निर्भर हैं।
2025 में भारतीय नौसेना ने 10 से अधिक जहाज कमीशन
भारत की नौसेना अब “बिल्डर नेवी” बन चुकी है। 2025 में ही भारतीय नौसेना ने 10 से अधिक जहाज कमीशन किए हैं। भारत का लक्ष्य 2030 तक 175 से अधिक जहाजों का बेड़ा तैयार करना है।
भारत की प्रोजेक्ट 17बी योजना के तहत नई पीढ़ी की स्टील्थ फ्रिगेट्स बनाई जा रही हैं, जिनमें 75 फीसदी से ज्यादा स्वदेशी तकनीक होगी। इसके अलावा, नौसेना में राफेल-एम लड़ाकू विमान, टेडबीएफ और कलवरी क्लास पनडुब्बियां शामिल हो रही हैं।

