📍उधमपुर | 17 Oct, 2025, 8:29 PM
MULTI DOMAIN WARFARE: भारतीय सेना की नॉर्दर्न कमांड ने मॉडर्न वारफेयर को देखते हुए एक महत्वपूर्ण मल्टी-डोमेन एक्सरसाइज आयोजित की। यह एक्सरसाइज चार दिनों तक चली। खास बात यह थी कि इसमें सेना के साथ नौसेना, वायुसेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों ने भी हिस्सा लिया। इस दौरान साइबर, स्पेस, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और कॉग्निटिव डोमेन में भविष्य के खतरों की चुनौतियां पेश की गईं।
अभ्यास का उद्देश्य था, तेजी से बदलते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में भारतीय सशस्त्र बलों की तैयारी का मूल्यांकन करना और नई तकनीकों को सैन्य रणनीति में शामिल करना। इस युद्धाभ्यास में कई केंद्रीय सरकारी एजेंसियों और निजी रक्षा कंपनियों ने भी हिस्सा लिया, जिससे “व्होल ऑफ नेशन एप्रोच” यानी पूरे राष्ट्र की भागीदारी की भावना को मजबूती मिली।
इस दौरान फॉरवर्ड इलाकों में तैनात सैनिकों को साइबर घुसपैठ, इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग, स्पेक्ट्रम सैचुरेशन, स्पूफिंग और कॉग्निटिव अटैक जैसी परिस्थितियों से निपटने की ट्रेनिंग दी गई। सेना ने इन सिनारियो के जरिए यह सुनिश्चित किया कि सैनिक केवल फिजिकल वॉरफेयर नहीं, बल्कि डिजिटल और हाइब्रिड युद्ध के लिए भी तैयार रहें।
नॉर्दर्न कमांड के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा ने अभ्यास के दौरान सैनिकों से बातचीत करते हुए कहा, “आधुनिक युद्ध में विभिन्न क्षेत्रों के बीच की सीमाएं धुंधली हो गई हैं। ऐसे में हमें नई तकनीकों का लाभ उठाना होगा और निरंतर इनोवेशन करते रहना होगा। देश की सीमाओं और स्ट्रेटेजिक असेट्स की सुरक्षा के लिए पूरे राष्ट्र को एकजुट होकर कार्य करना चाहिए, और जरूरत पड़ने पर दुश्मन पर निर्णायक हमले के लिए तैयार रहना चाहिए।”
यह अभ्यास उस संवाद सत्र का विस्तार था, जिसकी शुरुआत 4 अक्टूबर को मथुरा में हुई थी। वहां से शुरू हुई चर्चाओं ने सेना के विभिन्न अंगों में बेहतर समन्वय और एकीकृत सोच की दिशा तय की थी।
अभ्यास के दौरान स्वदेशी रक्षा उद्योग की भागीदारी ने आत्मनिर्भर भारत की भावना को नई ऊंचाई दी। सेना ने इस अवसर पर यह भी प्रदर्शित किया कि कैसे आधुनिक युद्ध केवल बंदूकों और टैंकों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब इसमें डेटा, सूचना और मेंटल डोमिनेंस भी शामिल है।
इस मल्टी-डोमेन के समापन के साथ भारतीय सेना की नॉर्दर्न कमांड ने यह संदेश दिया कि वह अब 21वीं सदी के हाई-टेक युद्ध के लिए तैयार है। जॉइंटनेस, इनोवेशन और आत्मनिर्भरता के इस नए दृष्टिकोण ने भारतीय सशस्त्र बलों की तैयारी को अगले स्तर पर पहुंचा दिया है।