रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, भारत की रक्षा खरीद नीति अब केवल आयात आधारित नहीं रही। अब देश में ही अत्याधुनिक हथियार प्रणाली विकसित करने और उन्हें सेना में शामिल करने की प्रक्रिया तेज़ी से चल रही है। इसमें आर्टिलरी गन सिस्टम, ड्रोन, रडार, कम्युनिकेशन इक्विपमेंट, बख्तरबंद वाहन, और एयर डिफेंस सिस्टम जैसे कई अहम प्रोजेक्ट शामिल हैं...
📍New Delhi | 22 Apr, 2025, 12:50 PM
Defence Boost: भारतीय सेना ने वर्ष 2024-25 में अपनी सैन्य ताकत को और मजबूत करने के लिए 85,000 करोड़ रुपये के बड़े हथियार खरीद सौदों को अंतिम रूप दिया है। इन सौदों में आत्मनिर्भरता पर विशेष जोर दिया गया है, जिसके तहत 26 बड़े सौदों में से केवल तीन ही विदेशी कंपनियों से किए गए हैं, जबकि ज्यादातर सौदे देश की घरेलू कंपनियों से किए गए हैं।
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “इस साल कैपिटल बजट के तहत 85,000 करोड़ रुपये के अनुबंधों को मंजूरी दी गई है, जिसमें 95% खर्च स्वदेशी रक्षा कंपनियों पर किया गया है। इन सौदों में सेना ने 35,000 करोड़ रुपये की राशि का इस्तेमाल किया है, जो ‘मेक इन इंडिया’ पहल को मजबूती देने वाला कदम है।”
Defence Boost: स्वदेशी खरीद से अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा
सेना का कहना है कि स्वदेशी कंपनियों से की गई खरीद न केवल सैन्य तैयारियों को मजबूत करती है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी रफ्तार देती है। इस खरीद प्रक्रिया से नई नौकरियों पैदा हो रही हैं, निवेश में बढ़ोतरी हो रही है और औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिल रहा है। एक रक्षा अधिकारी ने कहा, “85,000 करोड़ रुपये की यह ऐतिहासिक खरीद भारतीय सेना को भविष्य के लिए तैयार और तकनीकी रूप से एडवांस बना रही है। यह आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में बड़ा कदम है।”
स्वदेशी रक्षा उत्पादन न केवल सेना की ऑपरेशनल ताकत को बढ़ा रहा है, बल्कि आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। यह कदम भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को बढ़ाने और हजारों कुशल नौकरियों के अवसर पैदा करने में योगदान देगा। रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया, “वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव और आधुनिक युद्ध की नई चुनौतियों को देखते हुए, भारतीय सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक हथियारों और तकनीक से लैस करना जरूरी है।”
🇮🇳 भारत ने बनाया ‘साइलेंट वॉरियर’!
DRDO का यह बिना पायलट का अंडरवॉटर ड्रोन चीन की पनडुब्बियों पर रखेगा नजर रखेगा। यह 300 मीटर गहराई तक जा सकता है और 15 दिन तक पानी के अंदर रह सकता है। https://t.co/LIm5aCnU49#HEAUV #DRDO #IndianNavy #UnderwaterSurveillance #MadeInIndia…— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) April 21, 2025
Defence Boost: रक्षा बजट में बढ़ोतरी
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रक्षा मंत्रालय को कुल 6,21,541 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था, जबकि 2025-26 के लिए यह राशि बढ़कर 6,81,210.27 करोड़ रुपये हो गई है। पूंजीगत व्यय के लिए 2024-25 में 1.72 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, जिसका उपयोग नए हथियारों, उपकरणों और सैन्य प्रणालियों की खरीद के लिए किया जाता है। रक्षा मंत्रालय ने बताया, “2025-26 के लिए पूंजीगत व्यय में 1,80,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो पिछले वर्ष के बजट अनुमान से 4.65% अधिक है।”
Defence Boost: किन प्रणालियों और उपकरणों की हो रही खरीद?
हालांकि सेना ने सभी 26 समझौतों का खुलासा नहीं किया है, लेकिन रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक इनमें एडवांस मिसाइल सिस्टम, स्वदेशी तोपें, ड्रोन, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, बुलेटप्रूफ वाहनों और निगरानी उपकरणों जैसी एडवांस सिस्टम्स की खरीद शामिल है। सूत्रों के अनुसार, यह सभी इक्विपमेंट्स सीमा पार से बढ़ती चुनौतियों और दो मोर्चों पर युद्ध की आशंका को देखते हुए सेना की युद्धक तैयारियों को दुरुस्त करने में मदद करेंगे। इस बढ़े हुए बजट का उपयोग सेना को अत्याधुनिक तकनीक और हथियारों से लैस करने में किया जाएगा। सेना का लक्ष्य है कि वह वैश्विक स्तर पर बदलते युद्ध के तौर-तरीकों के अनुरूप खुद को और सक्षम बनाए। इसमें ड्रोन, साइबर वारफेयर सिस्टम्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड विपेंस और एडवांस मिसाइल सिस्टम पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
Defence Boost: मेक इन इंडिया का प्रभाव
‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत स्वदेशी रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इस वर्ष 35,000 करोड़ रुपये के कैपिटल बजट का इस्तेमाल उपयोग किया गया, जिसमें से 95% हिस्सा स्वदेशी कंपनियों को दिया गया। इससे न केवल रक्षा क्षेत्र में भारत की निर्भरता विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर कम हुई है, बल्कि छोटे और मध्यम उद्यमों को भी बड़े स्तर पर अवसर मिले हैं।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि स्वदेशी खरीद से भारत का रक्षा निर्यात भी बढ़ेगा। हाल के वर्षों में भारत ने कई देशों को हथियार और रक्षा उपकरण निर्यात किए हैं, जिससे वैश्विक बाजार में उसकी स्थिति मजबूत हुई है। एक विशेषज्ञ ने कहा, “स्वदेशी रक्षा उत्पादन से भारत न केवल अपनी जरूरतें पूरी कर रहा है, बल्कि वैश्विक रक्षा बाजार में भी अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रहा है।”
रांची में डिफेंस एक्सपो की योजना
भारतीय सेना की आत्मनिर्भरता और रक्षा उत्पादन को प्रदर्शित करने के लिए अगला डिफेंस एक्सपो रांची, झारखंड में आयोजित करने की योजना है। सूत्रों के अनुसार, यह पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय आयोजन रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ के लोकसभा क्षेत्र रांची में होने की संभावना है। यह आयोजन भारत के स्वदेशी रक्षा उद्योग को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करने का एक बड़ा अवसर होगा। डिफेंस एक्सपो में दुनिया भर की रक्षा कंपनियां, विशेषज्ञ और नीति निर्माता हिस्सा लेंगे, जिससे भारत को अपने उत्पादों और तकनीकों को प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा।
सेना की योजना है कि वह अगले कुछ वर्षों में अपनी खरीद प्रक्रिया में और अधिक स्वदेशी कंपनियों को शामिल करे। इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने कई नीतिगत सुधार किए हैं, जिनमें निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना और स्टार्टअप्स को डिफेंस इनोवेशंस में शामिल करना शामिल है। सेना ने हाल ही में कई स्टार्टअप्स के साथ मिलकर ड्रोन और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में नए प्रोडक्ट्स बनाए हैं।
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रक्षा मंत्रालय का लक्ष्य है कि अगले दशक तक भारत पूरी तरह से आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग स्थापित कर ले। इसके लिए सरकार ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और अन्य संस्थानों के साथ मिलकर कई परियोजनाएं शुरू की हैं। इनमें स्वदेशी लड़ाकू विमान, टैंक और मिसाइल सिस्टम का डेवलपमेंट शामिल है।