📍नई दिल्ली | 12 Nov, 2024, 4:57 PM
Akashteer: देश की रक्षा क्षमताओं को आधुनिक बनाने की दिशा में भारतीय सेना ने एक बड़ा कदम उठाया है। “आकाशतीर परियोजना” (Akashteer) के तहत वायु रक्षा क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिल रहा है। सेना के “डिकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन” और “इयर ऑफ टेक एब्जॉर्प्शन” का हिस्सा यह परियोजना भारत को एक सशक्त और सक्षम वायु रक्षा नेटवर्क प्रदान करने की दिशा में अग्रसर है, जो आधुनिक हवाई खतरों से निपटने में न केवल सक्षम है, बल्कि प्रतिक्रिया में भी त्वरित है।
हाल ही में, आकाशतीर का एक वास्तविक समय में मूल्यांकन किया गया, जिसमें भविष्य के युद्धों की संभावना को ध्यान में रखते हुए परीक्षण किए गए। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस मूल्यांकन को देखा और परियोजना की उपलब्धियों की सराहना की। उन्होंने इसे भारतीय सेना की वायु रक्षा क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण उछाल बताते हुए टीम की मेहनत की तारीफ की।
परियोजना की विशेषताएं और रणनीतिक लाभ
आकाशतीर परियोजना पूरी तरह से स्वचालित और एकीकृत वायु रक्षा प्रणाली प्रस्तुत करती है। आइए जानते हैं इस परियोजना की कुछ मुख्य विशेषताओं के बारे में:
- संपूर्ण सेंसर फ्यूजन: आकाशतीर ने सभी वायु रक्षा सेंसरों का “नीचे से ऊपर तक” एकीकरण किया है, जिसमें थल सेना और वायु सेना के भूमि-आधारित सेंसर सम्मिलित हैं। यह न केवल एक सुसंगठित हवाई चित्र प्रदान करता है, बल्कि सेना की वायु रक्षा इकाइयों को सटीक स्थिति की जानकारी भी देता है।
- स्वचालित संचालन से तेज प्रतिक्रिया: वायु रक्षा में हर क्षण महत्वपूर्ण होता है। आकाशतीर की स्वचालन प्रणाली मैनुअल डेटा प्रविष्टि की आवश्यकता को समाप्त करती है, जिससे त्वरित और कुशल प्रतिक्रिया संभव हो पाती है। उदाहरण के लिए, एक सुपरसोनिक विमान एक मिनट में 18 किलोमीटर तक उड़ सकता है—आकाशतीर सुनिश्चित करता है कि इस दौरान रक्षा की पूरी तत्परता बनी रहे।
- विकेन्द्रीकृत निर्णय लेने का अधिकार: आकाशतीर ने युद्धक विमान पर हमला करने का अधिकार विकेन्द्रीकृत किया है, जिससे अग्रिम पंक्ति पर तैनात इकाइयां त्वरित निर्णय ले सकती हैं। यह विशेषता उत्तर और पूर्वी कमांड में तैनात इकाइयों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहां आकाशतीर पहले ही तैनात किया जा चुका है।
- वास्तविक समय में वायु चित्रण: आकाशतीर विभिन्न स्रोतों जैसे 3D टैक्टिकल रडार, लो-लेवल लाइटवेट रडार, और आकाश हथियार प्रणाली से डेटा एकत्रित करता है। यह एक समग्र हवाई चित्रण प्रदान करता है, जो रणनीतिक योजनाओं और त्वरित प्रतिक्रिया में सहायक होता है।
- मजबूत संचार और स्केलेबिलिटी: यह प्रणाली अत्यधिक परिस्थितियों में भी संचार बनाए रखने के लिए डिजाइन की गई है। साथ ही, इसमें सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर को अपग्रेड करने की क्षमता भी है, जिससे यह भविष्य के तकनीकी बदलावों के लिए भी तैयार रहती है।
- लचीली तैनाती: आकाशतीर को विशेष रूप से विभिन्न सैन्य संरचनाओं की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यह प्रणाली देश की कई सीमाओं पर सुरक्षा को मजबूत बनाती है।
प्रणाली की तैनाती और भविष्य की तैयारियां
आकाशतीर की तैनाती चरणबद्ध तरीके से हो रही है। कुल 455 प्रणालियों में से 107 का वितरण हो चुका है, और मार्च 2025 तक 105 और प्रणालियां प्रदान कर दी जाएंगी। शेष प्रणालियों का वितरण मार्च 2027 तक पूरा हो जाएगा।
आकाशतीर परियोजना के माध्यम से भारतीय सेना वायु रक्षा प्रौद्योगिकी में अग्रणी बनने की दिशा में आगे बढ़ रही है। यह उपलब्धि भारत की रक्षा ताकत को मजबूत करने के साथ-साथ हमारी सेना के प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है कि वे आधुनिक खतरों के सामने पूरी तरह से सजग और सक्षम हैं।