Air Defence: ड्रोन हमलों से निपटने की बड़ी तैयारी, भारतीय सेना के एयर डिफेंस को मिलेगा हाई-टेक अपग्रेड

By News Desk

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📍नई दिल्ली | 28 Feb, 2025, 9:52 PM

Air Defence: भारतीय सेना ने सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज (CLAWS) के सहयोग से पुणे में एक महत्वपूर्ण सेमिनार का आयोजन किया, जिसका विषय था “मॉर्डन वारफेयर्स में एयर डिफेंस: सीख और भविष्य की क्षमताएं”। इस कार्यक्रम में सेना के टॉप अफसर, डिफेंस एक्सपर्ट और पॉलिसी मेकर्स शामिल हुए। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य भारतीय सेना के एयर डिफेंस सिस्टम को और अधिक मजबूत बनाना था, जिससे उभरते खतरों, विशेष रूप से ड्रोन हमलों और एडवांस मिसाइलों का प्रभावी ढंग से सामना किया जा सके।

Air Defence: Indian Army Gears Up for High-Tech Upgrade to Counter Drone Threats

Air Defence: बढ़ रहा ड्रोन और हवाई खतरा 

मॉर्डन वारफेयरों में ड्रोन का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। ये अब केवल निगरानी और टोही तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सटीक हमलों, इलेक्ट्रॉनिक जासूसी और सुसाइड मिशनों में भी इनका इस्तेमाल किया जा रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध और हाल ही में गाजा संघर्ष ने यह स्पष्ट कर दिया है कि स्वॉर्म ड्रोन (Drone Swarms) और लंबी दूरी की मिसाइलें युद्ध के परिदृश्य को पूरी तरह बदल सकती हैं। भारतीय सेना के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वह अपनी एयर रक्षा क्षमताओं को इस नई वास्तविकता के अनुरूप ढाले।

Air Defence: रूस-यूक्रेन युद्ध से भारत के लिए सबक

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने यह दिखाया कि मॉर्डन वारफेयर में एयर डिफेंस सिस्टम कितना महत्वपूर्ण होता है। यूक्रेन ने अपने S-300, पैट्रियट, NASAMS, IRIS-T और SAMP-T जैसे एडवांस डिफेंस सिस्टम्स का इस्तेमाल करके रूसी हमलों को काफी हद तक विफल किया। दूसरी ओर, रूस की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (Electronic Warfare – EW) तकनीक ने यूक्रेनी ड्रोन हमलों को बेअसर कर दिया।

इस युद्ध से यह भी स्पष्ट हुआ कि पारंपरिक एयर डिफेंस सिस्टम अब काफी नहीं हैं। फाइबर-कंट्रोल (OFC) FPV ड्रोन जैसी नई तकनीकों ने पारंपरिक इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग सिस्टम को भी बेअसर करना शुरू कर दिया है। भारत के लिए यह जरूरी है कि वह इन तकनीकों से सीखते हुए अपने डिफेंस सिस्टम को लगातार अपग्रेड करे।

Air Defence: भारतीय सेना की नई रणनीति

भारतीय सेना मल्टी-लेयरड डिफेंस सिस्टम विकसित कर रही है, इसमें लंबी, मध्यम और छोटी दूरी के डिफेंस सिस्टम शामिल हैं, जो विभिन्न दूरी पर खतरों का पता लगाकर उन्हें नष्ट कर सकेंगे। इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (EW) तकनीक का उपयोग कर दुश्मन के ड्रोन को जैमिंग और सिग्नल इंटरफेरेंस के माध्यम से बेअसर किया जा रहा है। इसके अलावा, बेहतर कमांड और कंट्रोल सिस्टम के माध्यम से हवाई क्षेत्र की निगरानी को मजबूत किया जा रहा है ताकि तेजी से प्रतिक्रिया दी जा सके।

इसमें ग्राउंड-बेस्ड एयर डिफेंस (GBAD) और एंटी ड्रोन (C-UAS) क्षमताओं का व्यापक इस्तेमाल किया जाएगा। ताकि ड्रोन और मिसाइल खतरों से बचा जा सके। एंटी ड्रोन (C-UAS) क्षमताओं को सभी मिलिट्री ऑपरेशंस में शामिल करना आवश्यक है। इसके साथ ही, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (EW) और जैमिंग टेक्नोलॉजी एयर डिफेंस में एक निर्णायक भूमिका निभाएगी। भविष्य के युद्धों में स्वॉर्म ड्रोन, पैदल सेना, तोपखाने और वायु सेना के साथ मिलकर काम करेंगे, जिससे पारंपरिक युद्ध रणनीतियों में बड़ा बदलाव आएगा।

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सेना इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (EW) और जैमिंग तकनीक को भी एडवांस करने पर काम कर रही है। यह तकनीक दुश्मन के ड्रोन और मिसाइलों के नेविगेशन और कम्यूनिकेशन को जाम कर सकती है, जिससे हमलों को रोका जा सकता है। इसके अलावा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) बेस्ड सर्विलांस सिस्टम और मशीन लर्निंग तकनीकों का उपयोग करके ड्रोन गतिविधियों की पहचान और ट्रैकिंग को और तेज किया जा रहा है।

स्वदेशी डिफेंस सिस्टम

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत, भारत एयर डिफेंस और एंटी ड्रोन सिस्टम डेवलप करने पर तेजी से काम कर रहा है। आर्मी डिजाइन ब्यूरो (ADB) स्टार्टअप्स और डिफेंस कंपनियों के साथ मिलकर अगली पीढ़ी की एंटी-ड्रोन तकनीक, हाइब्रिड C-UAS सिस्टम (Counter-Unmanned Aerial System) और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर का सामना करने की टेक्नोलॉजी डेवलप कर रहा है।

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