📍नई दिल्ली | 29 Apr, 2025, 4:55 PM
Pahalgam terror attack: पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में केंद्र सरकार ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ढांचे को नेस्तनाबूद करने के लिए एक चार-स्तरीय रणनीति तैयार की है। इस रणनीति के तहत न केवल आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, बल्कि स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकजुटता को भी बढ़ावा मिलेगा। केंद्र सरकार की इस नई रणनीति का मकसद पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठनों का समूल नाश करना है।
Pahalgam terror attack: पहला कदम: स्थानीय मददगारों पर नकेल
सरकार ने सबसे पहले कश्मीर घाटी में मौजूद उन स्थानीय नेटवर्कों को तोड़ने पर फोकस किया है, जो आतंकवादियों को मदद दे रहे हैं। सुरक्षा बल आतंकियों के लोकल ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) का पता लगा रहे हैं। जैसे ही सुरक्षा बलों को किसी कई ओवरग्राउंड वर्कर्स के पुख्ता सबूत मिलते हैं, तो उनके घरों को ध्वस्त किया जा रहा है। वहीं, इस कार्रवाई में स्थानीय जनता भी सहयोग कर रही है। क्योंकि पहलगाम हमले (Pahalgam terror attack) के बाद से घाटी के लोग भी आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हुए हैं। हालांकि, यह कार्रवाई बहुत सावधानी से की जा रही है ताकि स्थानीय लोगों की भावनाओं को ठेस न पहुंचे। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि जब आतंकी नेटवर्क के जमीनी मददगार खत्म होंगे, तो आतंकियों का लॉजिस्टिक सपोर्ट और सुरक्षित पनाहगाहें भी खत्म हो जाएंगी।
सूत्रों का कहना है कि सरकार घाटी के अंदर और बाहर आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का माहौल बना रही है। स्थानीय लोगों को आतंकवाद के खिलाफ जागरूक किया जा रहा है और उन्हें यह समझाया जा रहा है कि आतंकवाद न केवल कश्मीर, बल्कि पूरे देश के लिए खतरा है। क्योंकि आतंकवाद के खिलाफ किसी भी रणनीति की सफलता तभी संभव है, जब स्थानीय लोग इसमें सक्रिय रूप से शामिल हों।
Pahalgam terror attack: दूसरा कदम: सीमा पर संभाला मोर्चा
पाकिस्तान के साथ लगी नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर तनाव बढ़ रहा है। पाकिस्तानी सेना ने (Pahalgam terror attack) लगातार चौथी रात को कुपवाड़ा, पुंछ और अखनूर सेक्टरों में बिना उकसावे के गोलीबारी की। हालांकि इसमें छोटे हथियारों का इस्तेमाल किया गया। भारतीय सेना ने हर बार इन हमलों का मजबूती से जवाब दिया। यह रणनीति इसलिए भी अहम है क्योंकि इससे भारतीय सेना न केवल पाकिस्तानी सेना को इंगेज रख रही है, बल्कि किसी भी बड़े हमले के लिए पूरी तरह तैयार है। भारत एलओसी पर मौजूदा तनाव का फायदा उठाना चाहता है, ताकि भारतीय खुफिया और आतंकवाद-रोधी एजेंसियां आतंकियों के खिलाफ गुप्त योजनाएं बना सकें।
🚨 BIG BREAKING!
PM Modi to chair Cabinet Committee on Security (CCS) meeting tomorrow, 30 April, 11 AM. 🕚
🛡️ CCS includes PM Modi, HM Amit Shah, RM Rajnath Singh, EAM S Jaishankar, FM Nirmala Sitharaman, NSA Ajit Doval & top officials.
🇮🇳 India will avenge Pahalgam!#CCS…— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) April 29, 2025
Pahalgam terror attack: तीसरा कदम: आतंकवाद के खिलाफ पूरे राष्ट्र को एकजुट करना
पहली बार सरकार ने सिर्फ सैन्य प्रतिक्रिया तक सीमित न रहकर सिविल सोसायटी और आम जनता (Pahalgam terror attack) को भी आतंकवाद के खिलाफ एकजुट करने की रणनीति अपनाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की और पूरे देश से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील की। कई राज्यों में छोटे-छोटे कैंडल मार्च और शांति यात्राएं आयोजित की जा रही हैं, ताकि पूरे भारत में आतंकवाद विरोधी भावना को मजबूती मिले। सरकार का उद्देश्य है कि कश्मीर का सामान्य नागरिक भी आतंकवाद के खिलाफ खड़ा हो और अलगाववादी सोच पूरी तरह हाशिये पर चली जाए।
सरकार के इन प्रयासों का मकसद जम्मू-कश्मीर को देश के साथ पूरी तरह जोड़ना और आतंकवाद को हराने के लिए एक राष्ट्रीय संकल्प (Pahalgam terror attack) को मजबूत करना है। सरकार का मानना है कि जब पूरा देश एक साथ खड़ा होगा, तभी आतंकवादियों का मनोबल पूरी तरह टूटेगा। यह कदम न केवल घाटी में शांति स्थापित करने में मदद करेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि आतंकवाद को लोगों का समर्थन न मिले।
Pahalgam terror attack: चौथा कदम: अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को बेनकाब करना
पहलगाम हमले के बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की भूमिका को दुनिया के सामने लाने के लिए कूटनीतिक पहल शुरू की है। अमेरिका, यूरोपीय संघ, रूस, सऊदी अरब समेत कई देशों को पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क की जानकारी दी जा रही है। भारत ने यह साफ कर दिया है कि पहलगाम हमला (Pahalgam terror attack) पाकिस्तान की जमीं में पल रहे आतंकी संगठनों की साजिश नतीजा है। वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान की छवि को चोट पहुंचाने के लिए लगातार प्रयास जारी हैं। भारत ने दुनिया को बताया है कि कैसे पाकिस्तान आतंकी संगठनों को पनाह देकर उन्हें भारत के खिलाफ प्रॉक्सी युद्ध लड़ने के लिए भड़का रहा है।
विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास इस दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं ताकि वैश्विक समुदाय (Pahalgam terror attack) पाकिस्तान पर दबाव बनाए। सूत्रों का कहना है कि आतंकवाद के खिलाफ लंबे समय तक सफलता तभी मिलेगी, जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होगा। भारत ने पहले भी बालाकोट हवाई हमले जैसे कदमों के जरिए यह दिखाया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने में सक्षम है। इस बार भी भारत का लक्ष्य आतंकी ठिकानों को नष्ट कर उनके आकाओं को बेनकाब करना है।
Pahalgam terror attack: बालाकोट का एक्सपीरियंस आएगा काम
सूत्रों के मुताबिक, भारत के पास पहले से ही बालाकोट (Pahalgam terror attack) जैसी कार्रवाई के अनुभव हैं, जब 2019 में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविरों को निशाना बनाकर ध्वस्त किया गया था। उस समय भारतीय खुफिया एजेंसियों ने एक डोजियर तैयार किया था, जिसमें यह साबित हुआ था कि पाकिस्तानी अधिकारी बालाकोट में चल रहे आतंकी प्रशिक्षण शिविरों से वाकिफ थे। इस शिविर में जैश-ए-मोहम्मद के 42 बड़े आतंकियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा था। टेक्निकल एविडेंसेज में मसूद अजहर और अन्य आतंकी नेताओं के भड़काऊ भाषणों के सबूत भी शामिल थे।
इस बार भी भारत लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के आतंकियों और उनके आकाओं पर नजर रख रहा है। खुफिया एजेंसियां तकनीकी और मानवीय खुफिया जानकारी जुटा रही हैं, ताकि आतंकी ठिकानों (Pahalgam terror attack) को सटीक निशाना बनाया जा सके। सूत्रों का कहना है कि यह कार्रवाई छोटे आतंकियों तक सीमित नहीं होगी, बल्कि आतंकवाद के मूल स्रोत को खत्म करने पर ध्यान दिया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि ड्रोन सर्विलांस, सैटेलाइट इमेजरी, और कम्युनिकेशन इंटरसेप्ट के जरिए पुख्ता सबूत जुटाए जा रहे हैं।
क्या भारत फिर करेगा सर्जिकल स्ट्राइक या एयरस्ट्राइक?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत फिर से सर्जिकल स्ट्राइक या एयरस्ट्राइक जैसे कदम उठाएगा? भारतीय सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों ने सभी विकल्प खुले रखे हैं। तीन तरह की संभावित कार्रवाइयों (Pahalgam terror attack) पर विचार किया जा रहा है। इनमें छोटे हमले (Targeted Strikes) शामिल हैं। जिनमें भारत आतंकी संगठनों के प्रमुख नेताओं या छोटे ठिकानों को निशाना बना सकता है। यह कार्रवाई सटीक और सीमित होगी, जिससे बड़े पैमाने पर तनाव बढ़ने की आशंका कम रहे।
इसके अलावा बड़े आतंकी शिविरों पर भी एयरस्ट्राइक की जा सकती है, जैसे 2019 के बालाकोट में की गई थी। इसमें भारत पाकिस्तान में मौजूद बड़े आतंकी प्रशिक्षण शिविरों को नष्ट करने के लिए हवाई हमले कर सकता है। इसके लिए खुफिया एजेंसियां पहले से ही तकनीकी और मानवीय जानकारी जुटा रही हैं। इसके अलावा एक अन्य विकल्प आतंकवादी संगठनों के आकाओं जैसे मसूद अजहर या हाफिज सईद जैसे लोगों को निशाना बनाया जा सकता है।
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इनमें से कौन सा विकल्प चुना जाएगा, इसे लेकर सरकार में मथंन जारी है। 30 अप्रैल को होने वाली सीसीएस की बैठक में इन विकल्पों पर चर्चा की जा सकती है। क्योंकि इस बार भारत का मकसद केवल जवाब देना नहीं है, बल्कि आतंकवाद के पूरे नेटवर्क को पूरी तरह उखाड़ फेंकना है।