📍नई दिल्ली | 19 Dec, 2024, 12:41 PM
India-China talks: चीन ने दावा किया है कि 18 दिसंबर को बीजिंग में हुई भारत-चीन सीमा वार्ता में दोनों पक्षों ने “छह बिंदुओं पर सहमति” बनाई है। चीन के अनुसार, यह सहमति 2005 के मार्गदर्शक सिद्धांतों के आधार पर सीमा विवाद के “स्वीकार्य समाधान” की दिशा में एक बड़ा कदम है। हालांकि, भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने अपने बयान में इस कथित सहमति का कोई उल्लेख नहीं किया।
India-China talks: चीन का बयान- छह बिंदुओं पर सहमति
चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 23वें विशेष प्रतिनिधि (SR) स्तर की वार्ता में निम्नलिखित छह बिंदुओं पर सहमति व्यक्त की:
- दोनों पक्षों ने सीमा विवाद पर अब तक हुई प्रगति का सकारात्मक मूल्यांकन किया और तय किया कि समाधान के लिए कार्य जारी रहेगा।
- दोनों पक्ष 2005 के राजनीतिक मार्गदर्शक सिद्धांतों के तहत निष्पक्ष और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
- सीमा प्रबंधन और नियंत्रण नियमों को और बेहतर बनाने, विश्वास निर्माण उपायों को मजबूत करने और सीमा पर स्थायी शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने पर सहमति।
- सीमा पार सहयोग और तीर्थयात्राओं को फिर से शुरू करने, नदियों पर सहयोग बढ़ाने और नाथू ला पास पर व्यापार को बढ़ावा देने पर चर्चा।
- विशेष प्रतिनिधियों की बैठक तंत्र को मजबूत करने और कूटनीतिक व सैन्य समन्वय को बढ़ावा देने पर सहमति।
- अगली विशेष प्रतिनिधि बैठक भारत में आयोजित करने और इसकी तारीख राजनयिक चैनलों के माध्यम से तय करने पर सहमति।
India-China talks: भारत का रुख- अस्पष्टता बरकरार
भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया, “विशेष प्रतिनिधियों ने सीमा प्रश्न के समाधान के लिए एक निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य ढांचे की तलाश करते हुए समग्र द्विपक्षीय संबंधों के राजनीतिक दृष्टिकोण को बनाए रखने के महत्व को दोहराया।”
भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन के दावे का खंडन नहीं किया, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि चीनी बयान कोई संयुक्त घोषणा नहीं है। मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा कि संयुक्त बयान तभी जारी किया जाता है जब दोनों पक्ष सभी बिंदुओं पर सहमत होते हैं।
पांच साल बाद बातचीत
यह 23वीं विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता थी, जो पांच साल के अंतराल के बाद आयोजित की गई। पिछली बार 2019 में यह बैठक भारत में हुई थी।
India-China Disengagement: चीन का दोहरा रवैया, बातचीत में सहमति लेकिन LAC पर सैनिकों का जमावड़ा
इस बार की वार्ता में चीनी पक्ष ने ‘सीमा प्रश्न को द्विपक्षीय संबंधों में उचित स्थान पर रखने’ और दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को खोलने का प्रस्ताव दिया। हालांकि, इस ‘उचित स्थान’ का क्या अर्थ है, इस पर भारतीय बयान में विस्तार से कुछ नहीं कहा गया।
पिछले कदम और ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की वार्ता
21 अक्टूबर 2024 को, दोनों देशों ने सीमा के विवादित बिंदुओं पर सैन्य बलों को अलग करने पर सहमति जताई थी। इसके बाद रूस के कज़ान शहर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई।
इस बैठक में दोनों नेताओं ने विशेष प्रतिनिधियों के बीच बातचीत को फिर से शुरू करने और द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने पर सहमति जताई।
डोभाल और चीनी उपराष्ट्रपति की मुलाकात
इस वार्ता के बाद अजीत डोभाल ने चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से भी मुलाकात की। इस बैठक में भी द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने और भविष्य की चुनौतियों पर चर्चा हुई।
2005 का समझौता
चीन ने 2005 के राजनीतिक मार्गदर्शक सिद्धांतों का उल्लेख किया है, लेकिन इस समझौते के विशिष्ट बिंदुओं को लेकर अभी स्पष्टता नहीं है। विशेषज्ञ इसे भारत-चीन सीमा विवाद के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण संदर्भ मानते हैं।
क्या भारत-चीन संबंध सुधरेंगे?
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद और द्विपक्षीय संबंधों में तनाव को कम करने की कोशिशें जारी हैं। हालांकि, दोनों पक्षों के बयान में अंतर और चीनी दावों पर भारत की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। दोनों देशों ने बातचीत के जरिए समाधान की ओर बढ़ने की बात कही है, लेकिन बयानों में अंतर और चीनी दावों पर भारत की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। क्या यह वार्ता भारत-चीन सीमा विवाद को हल करने में एक बड़ा कदम साबित होगी, यह देखना बाकी है।