📍नई दिल्ली | 12 Jan, 2025, 12:15 PM
BrahMos Missile Deal: दुनिया बदल रही है और रिश्तों की परिभाषा भी। कभी भारत के अंडमान-निकोबार द्वीप समूह पर कब्जा करने की योजना बनाने वाला इंडोनेशिया अब भारत के साथ दोस्ती की नई इबारत लिख रहा है। ताजा खबर यह है कि इंडोनेशिया भारत से ($450 मिलियन) यानी 3,735 करोड़ रुपये की ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने की तैयारी में है। इंडोनेशिया के रक्षा मंत्रालय ने इस डील को लेकर भारतीय दूतावास को एक औपचारिक पत्र भेजा है। वहीं, भारत ने भी इस सौदे को लेकर सकारात्मक रुख अपनाया है। बता दें कि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति इस बार भारतीय गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि हैं। वहीं, 26 जनवरी को ही इस डील को लेकर आधिकारिक एलान हो सकता है।

BrahMos Missile Deal: डील के लिए भारत दे सकता है लोन
सूत्रों ने बताया कि इंडोनेशिया के रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में भारत के जकार्ता स्थित दूतावास को एक पत्र भेजा है, जिसमें 450 मिलियन डॉलर की ब्रह्मोस मिसाइल डील की पुष्टि की गई है। इस डील को और आसान बनाने के लिए भारत इंडोनेशिया को ऋण देने की भी योजना बना रहा है। सूत्रों के अनुसार, यह ऋण भारतीय स्टेट बैंक या किसी अन्य सरकारी बैंक के माध्यम से दिया जाएगा। पहले EXIM बैंक के जरिए यह प्रक्रिया पूरी होनी थी, लेकिन अब इस पर नए सिरे से काम किया जा रहा है।
इंडोनेशिया के वर्तमान राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतों ने 2020 में भारत दौरे के दौरान इस डील की चर्चा की थी, लेकिन वित्तीय कारणों से इसे उस समय अंतिम रूप नहीं दिया जा सका।
इंडोनेशिया इस डील को लेकर काफी उत्सुक है, लेकिन बजट की कमी उसकी राह में रोड़ा बन रही है। इंडोनेशिया सरकार ने पिछले साल सामाजिक योजनाओं पर ज्यादा फोकस किया, जिससे रक्षा क्षेत्र के लिए पर्याप्त फंड नहीं बचा। ऐसे में इंडोनेशिया ने भारत से ऋण की मदद मांगी है। भारत भी इस डील को सफल बनाने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रहा है।
1965 में अंडमान पर चाहता था कब्जा करना
बता दें कि 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान, इंडोनेशिया ने पाकिस्तान का समर्थन करते हुए अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर कब्जा करने की धमकी दी थी। यह भारत के लिए एक बड़े खतरे की तरह था, क्योंकि इंडोनेशिया पाकिस्तान के पक्ष में दूसरा मोर्चा खोलने की योजना बना रहा था। पाकिस्तान की योजना थी कि उस वक्त इंडोनेशिया भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर हमला करने और कब्जा करने की रणनीति अपनाए ताकि भारत को कश्मीर और पंजाब में कमजोर किया जा सके।
गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्राबोवो सुबियांतो इस साल भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे। उनके दौरे से यह उम्मीद की जा रही है कि ब्रह्मोस मिसाइल डील को औपचारिक रूप दिया जा सकता है। हालांकि, उनके पाकिस्तान दौरे की योजना ने भारत के साथ कुछ असहज स्थिति पैदा कर दी थी। लेकिन भारत के नाराजगी जताने के बाद प्रबोवो ने पाकिस्तान का दौरा रद्द कर दिया और अब वे भारत से सीधे मलेशिया जाएंगे।
अब पाकिस्तान का साथ नहीं दे रहा इंडोनेशिया
वहीं, हाल के वर्षों में इंडोनेशिया ने कश्मीर मुद्दे पर ओआईसी (इस्लामिक सहयोग संगठन) की बैठकों में पाकिस्तान का समर्थन करने से परहेज किया है। रिपोर्ट के अनुसार, मध्य एशियाई देशों और सीरिया में पूर्व असद शासन की तरह, इंडोनेशिया ने भी कश्मीर पर पाकिस्तान के रुख का समर्थन नहीं किया है। गौरतलब है कि हाल के वर्षों में खाड़ी और अरब जगत के नेताओं ने भारत के आधिकारिक दौरों के दौरान पाकिस्तान से दूरी बनाए रखी है। पिछले पांच वर्षों में पाकिस्तान को उच्च-स्तरीय आधिकारिक दौरों की संख्या में भी कमी देखने को मिली है।
फिलीपींस से मिली प्रेरणा
यह पहली बार नहीं है जब भारत ब्रह्मोस मिसाइल का निर्यात कर रहा है। अप्रैल 2024 में, भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल की पहली खेप भेजी थी। इस डील की कीमत करीब 2,700 करोड़ रुपये थी और इसमें तीन मिसाइल बैटरियां शामिल थीं। जनवरी 2022 में फिलीपींस ने $374.96 मिलियन (2,700 करोड़ रुपये) के सौदे के तहत मिसाइल की खरीद की थी। इसके बाद वियतनाम ने भी ब्रह्मोस खरीदने का निर्णय लिया। अब, इंडोनेशिया इस श्रेणी में शामिल होने वाला तीसरा दक्षिण-पूर्व एशियाई देश बन सकता है।
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इंडोनेशिया को क्यों चाहिए ब्रह्मोस?
फिलीपींस की तरह, इंडोनेशिया के पास भी लंबा समुद्री तट है। ब्रह्मोस मिसाइल की तैनाती से उसकी सुरक्षा क्षमता को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा। इंडोनेशिया की भौगोलिक स्थिति और लंबी समुद्री सीमा को देखते हुए उसे इस तरह की एडवांस्ड मिसाइल तकनीक की आवश्यकता है। इंडोनेशिया के मौजूदा राष्ट्रपति, जो एक पूर्व जनरल हैं, देश की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए विशेष प्रयास कर रहे हैं।
इसके अलावा, इंडोनेशियाई वायु सेना के पास पहले से ही रूस निर्मित सुखोई-30 लड़ाकू विमान हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते इन विमानों की रखरखाव संबंधी दिक्कतों को लेकर इंडोनेशिया भारत से मदद मांग सकता है।
पिछले साल ब्रिक्स में शामिल हुआ था इंडोनेशिया
इंडोनेशिया ने पिछले साल जनवरी में ब्रिक्स (BRICS) संगठन में शामिल होकर अपनी अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति को मजबूत किया। ब्रिक्स में शामिल होने से इंडोनेशिया और भारत के बीच रुपया-रुपियाह लेनदेन का रास्ता भी खुला। यह डील आर्थिक और रणनीतिक दृष्टि से दोनों देशों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
दिसंबर में नौसेना चीफ गए थे इंडोनेशिया
इससे पहले नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी पिछले साल दिसंबर के मध्य में 4 दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर इंडोनेशिया गए थे। सूत्रों का कहना है कि ब्रह्मोस की बिक्री को लेकर बातचीत पहले से ही जारी थी। नौसेना प्रमुख ने इस यात्रा के दौरान इंडोनेशिया के शीर्ष सरकारी और रक्षा अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय चर्चा की थी। उन्होंने इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सजाफ्री सजामसोएद्दीन, इंडोनेशियाई सशस्त्र बलों के कमांडर जनरल अगुस सुबियान्टो और इंडोनेशियाई नौसेना के चीफ ऑफ स्टाफ एडमिरल मुहम्मद अली से भी मुलाकात की थी।
290 किलोमीटर की रेंज
ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस के सहयोग से विकसित की गई है। यह मिसाइल 290 किलोमीटर की रेंज और 2.8 मैक (ध्वनि की गति से तीन गुना तेज) की स्पीड से दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने में सक्षम है। इस मिसाइल की 290 किमी तक की मारक क्षमता इसे किसी भी युद्ध क्षेत्र में निर्णायक हथियार बनाती है। ब्रह्मोस का इस्तेमाल जमीन आधारित, नौसेना और हवाई प्लेटफॉर्म से किया जा सकता है।